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जीप पर सवार इल्लियाँ

शरद जोशी

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2008
पृष्ठ :158
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 6839
आईएसबीएन :9788171783946

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शरद जोशी के व्यंगात्मक निबंधों का संग्रह...


नेक्स्ट आयटम : 'करप्शन आफ इंडिया-भारत में भ्रष्टाचार' की घोषणा करता हुआ जादूगर फिर उसी थैली के पास पहुँचता है जिसे वह खाली कर आया था। भ्रष्टाचार की खाली थैली भर गयी है अब तक। जादूगर उसे उलटता है, रुपया निकलकर नीचे डिब्बे में गिरता है।

'भ्रष्टाचार कभी खतम नईं होएँगा साहेब, थैली कभी खाली नईं होएँगा। थैली पर नजर रखिए साहबान।' जादूगर कहता है। और अपनी जगह लौटकर नये कार्यक्रम की घोषणा करता है-'फॉरेन पालिसी : अमारा विदेश-नीति।'
लड़कियाँ स्टूल पर एक लकड़ी का बड़ा-सा डिब्बा रख देती हैं। जादूगर दर्शकों को बताता है कि डिब्बा सब तरफ से खुलता है। 

'ये फॉरिन पालिसी-विदेश-नीति है साहबान, डिब्बा सब बाजू से खुलता है। इस बाजू से अमेरिका से बात करेंगा। इस बाजू से रूस से बात करेंगा। इदर से इंग्लैण्ड से बात करेंगा। इदर से फ्रांस से बात करेंगा। डिब्बा सब बाजू से खुलता है।' जादूगर डिब्बा बन्द कर देता है। फिर कहता है, 'साहबान, ये हमारा फॉरिन पालिसी है। अब हम देखेंगा कि उसमें क्या-क्या है?'-वह जादू की लकड़ी घुमाता है, डिब्बे को खोलता है और उसमें से कबूतर निकलता है।

'कबूतर, पीस डोव, शान्ति का पाखी। हमारा कंट्री सबसे पीस चाहता है।' जादूगर फिर डिब्बे में हाथ डालता है और एक कटोरा निकालता है। दर्शकों को बताकर कहता है, 'ये फॉरेन एड-विदेश की मदद-का कटोरा है साहबान।' वह कटोरा लड़की को देता है और बोलता है, 'अमरीका का वास्ते', फिर डिब्बे में हाथ डाल एक और कटोरा निकालता है-'रूस का वास्ते!' फिर एक और कटोरा-  'कनाडा का वास्ते,' फिर एक और-'फ्रांस का वास्ते!' और इसी तरह वह देशों का नाम लेता जाता है और विदेश-नीति के उस छोटे से खाली डिब्बे से सहायता के लिए कटोरे निकलते जाते हैं।

दर्शक तालियाँ बजा रहे हैं। कटोरे निकलते जा रहे हैं।

नेक्स्ट आयटम आफ दि प्रोग्राम : 'इकॉनामिक्स आफ इंडिया-भारत का अर्थशास्त्र।' जादूगर ने कहा और लड़कियों ने उसकी दोनों ओर दो बड़े टेबल रखे जिन पर दो बड़े डिब्बे रखे गए। एक पर लिखा था : सार्वजनिक क्षेत्र और दूसरे पर निजी क्षेत्र। दोनों डिब्बे खोलकर दिखाए गए। वे खाली थे। लड़कियाँ दो मुर्गियाँ लेकर आईं। जादूगर ने एक मुर्गी सार्वजनिक क्षेत्र के डिब्बे में रखी और दूसरी निजी क्षेत्र के। जादू की लकड़ी घुमायी और सबसे पहले निजी क्षेत्र का डिब्बा खोला। मुर्गी बाहर आयी और उसके बाद जादूगर ने दस ताजे अंडे निकालकर दिखाए। दर्शकों ने तालियाँ बजाई। उसके बाद जादूगर ने सार्वजनिक क्षेत्र का डिब्बा खोला। वहाँ से मुर्गी भी गायब थी। कुछ नुचे हुए पंख मिले।

'आय, अंडा मिलना तो दूर, इदर पब्लिक सेक्टर का मुर्गी भी साफ हो गिया।'
जादूगर ने इस बार पाँच अंडे सार्वजनिक क्षेत्र के डिब्बे में और पाँच अंडे निजी क्षेत्र के डिब्बे में रखे। डिब्बों को बन्द किया और जादू की लकड़ी घुमायी। डिब्बों को खोला तो निजी क्षेत्र के पाँच अंडे गायब थे, मगर उनकी जगह पाँच चूजे बाहर आए। सार्वजनिक क्षेत्र के डिब्बे से पाँच अंडे गायब थे मगर चूजा नहीं निकला।

'कैसा है पब्लिक सेक्टर साहबान, मुर्गी भी गायब हो गया, अंडा रखा तो अंडा भी गायब हो गया। थोड़ा जाँच-इंक्वारी करना होगा।' जादूगर मंच से उतरा। सामने की पंक्ति में बैठे एक मिनिस्टर साहब की जेब से एक अंडा निकालकर दिखाया। कुछ दूर एक आई. ए. एस. अधिकारी बैठे थे, उनकी नाक से अंडा टपकाकर निकाला। थोड़ी दूर पर एक ट्रेड यूनियन नेता बैठे थे, उनकी टोपी उठाकर अंडा उसमें से निकाला। एक इंजीनियर की बगल से निकाला। एक बाबू की जेब से निकाला।

'ये वो पाँच अंडा है साहबान जो पब्लिक सेक्टर से गायब हो गिया था। हाम नहीं पकड़ता तो साब उसका आमलेट बनाकर खा जाता।' जादूगर ने कहा और दर्शकों ने तालियाँ बजाईं।

'नेक्स्ट आयटम आफ दि प्रोग्राम : 'करप्शन आफ इंडिया-भारत में भ्रष्टाचार।' थैली पर नजर रखिए साहबान। यह करप्शन का थैली है। इसका रुपया कभी कम नहीं होता।' जादूगर ने मंच के कोने पर रखी थैली को फिर उलटा और उससे रुपया निकलने लगा।

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