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जीप पर सवार इल्लियाँ

शरद जोशी

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2008
पृष्ठ :158
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 6839
आईएसबीएन :9788171783946

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शरद जोशी के व्यंगात्मक निबंधों का संग्रह...


आइन्स्टीन ने यह भ्रम दूर कर दिया है कि केन्द्र एक ही हो सकता है। तालाब में दोनों ही केन्द्र हैं और ऐसे अनेक केन्द्र हो सकते हैं, एक साथ। पृथ्वी को ही केन्द्र समझना गलत था, सूर्य को ही समझना गलत था और साथ ही दोनों को केन्द्र समझना सही भी था। इस ब्रह्मांड में सभी बिन्दु केन्द्र-बिन्दु हैं। आज राजनीति में भी सभी बिन्दु केन्द्र-बिन्दु हैं।

ख्यालीराम जहाँ हैं, जैसे हैं, वह केन्द्र रहेंगे। उनके आस-पास, छोटी हो या बड़ी, लहरें उठेंगी। उनका नाम होगा, उनके इर्द-गिर्द प्रचार और यश के वृत्त बनेंगे। दल बदलने से कुछ नहीं होता। उन्होंने जो किया सो ठीक किया।

प्रकाश की गति सबसे तेज होती है। आवाज की गति उसके सामने केंचुआ है। आइन्स्टीन ने सबसे पहले इस मूल बात को पकड़ा और अपने निर्णय निकाले। ख्यालीरामजी ने भी इस तथ्य को समझा और अपने निर्णय लिए। प्रकाश की गति आवाज की गति से तेज होती है। उन्होंने कहा कि चमको ख्यालीरामजी! बस, चमको तो तुम्हारी गति तीव्र होगी!!! आवाज लगानेवाले, आलोचनाएँ करनेवाले, शोर तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ सकते। वे तुम तक नहीं पहुँच सकते क्योंकि तुम प्रकाश में हो, तुमसे रोशनी की किरणें निकल रही। प्रकाश की गति आवाज की गति से तेज होती है ख्यालीरामजी!!!

उन्होंने दल बदल दिया और एकाएक उनके नाम की चकाचौंध से प्रदेश का राजनीतिक आकाश आलोकित हो उठा। शोर मचानेवाले मचाकर रह गए पर ख्यालीरामजी मंत्री हो ही गए। आइन्स्टीन काम आया। उनकी महत्त्वाकांक्षा वाला यह चौथा आयाम प्रकट हुआ।

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