लेख-निबंध >> जीप पर सवार इल्लियाँ जीप पर सवार इल्लियाँशरद जोशी
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शरद जोशी के व्यंगात्मक निबंधों का संग्रह...
एक भूतपूर्व मंत्री से मुलाकात
मंत्री थे तब उनके दरवाजे कार बँधी रहती थी। आजकल क्वार्टर में रहते हैं और
दरवाजे भैंस बँधी रहती है। मैं जब उनके यहाँ पहुँचा, वे अपने लड़के को दूध
दुहना सिखा रहे थे और अफसोस कर रहे थे कि कैसी नई पीढ़ी आ गई है, जिसे भैंसें
दुहना भी नहीं आता।
मुझे देखा तो बोले-''जले पर नमक छिड़कने आए हो!''
''नमक इतना सस्ता नहीं है कि नष्ट किया जाए। कांग्रेस राज में नमक भी सस्ता
नहीं रहा।'' ''कांग्रेस को क्यों दोष देते हो! हमने तो नमक-आन्दोलन
चलाया।''-फिर बड़बड़ाने लगे, ''जो आता है कांग्रेस को दोष देता है। आप भी क्या
विरोधी दल के हैं?''
''आजकल तो कांग्रेस ही विरोधी दल है।''
वे चुप रहे। फिर बोले, ''कांग्रेस विरोधी दल हो ही नहीं सकती। वह तो राज
करेगी। अंग्रेज हमें राज सौंप गए हैं। बीस साल से चला रहे हैं और सारे गुर
जानते हैं। विरोधियों को क्या आता है, फाइलें भी तो नहीं जमा सकते ठीक से। हम
थे तो अफसरों को डाँट लगाते थे, जैसा चाहते थे करवा लेते थे। हिम्मत से काम
लेते थे। रिश्तेदारों को नौकरियाँ दिलवाई और अपनेवालों को ठेके दिलवाए।
अफसरों की एक नहीं चलने दी। करके दिखाए विरोधी दल! एक जमाना था, अफसर खुद
रिश्वत लेते थे और खा जाते थे। हमने सवाल खड़ा किया कि हमारा क्या होगा,
पार्टी का क्या होगा? हमने अफसरों को रिश्वत लेने से रोका और खुद ली।
कांग्रेस को चन्दा दिलवाया, हमारी बराबरी ये क्या करेंगे?''
''पर आपकी नीतियाँ गलत थीं और इसलिए जनता आपके खिलाफ हो गई!''
''कांग्रेस से यह शिकायत कर ही नहीं सकते आप। हमने जो भी नीतियाँ बनाईं उनके
खिलाफ काम किया है। फिर किस बात की शिकायत? जो उस नीति को पसन्द करते थे, वे
हमारे समर्थक थे, और जो उस नीति के खिलाफ थे वे भी हमारे समर्थक थे, क्योंकि
हम उस नीति पर चलते ही नहीं थे।''
मैं निरुत्तर हो गया।
''आपको उम्मीद है कि कांग्रेस फिर इस राज्य में विजयी होगी?''
''क्यों नहीं? उम्मीद पर तो हर पार्टी कायम है। जब विरोधी दल असफल होंगे और
बेकार साबित होंगे, जब दो गलत और असफल दलों में से ही चुनाव करना होगा, तो
कांग्रेस क्या बुरी? बस तब हम फिर 'पावर' में आ जाएँगे। ये विरोधी दल उसी
रास्ते पर जा रहे हैं जिस पर हम चले थे और इनका निश्चित पतन होगा।''
''जैसे आपका हुआ।''
''बिलकुल।''
''जब से मंत्री पद छोड़ा आपके क्या हाल हैं?''
''उसी तरह मस्त हैं, जैसे पहले थे। हम पर कोई फर्क नहीं पड़ा।
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