लोगों की राय

लेख-निबंध >> जीप पर सवार इल्लियाँ

जीप पर सवार इल्लियाँ

शरद जोशी

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2008
पृष्ठ :158
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 6839
आईएसबीएन :9788171783946

Like this Hindi book 4 पाठकों को प्रिय

241 पाठक हैं

शरद जोशी के व्यंगात्मक निबंधों का संग्रह...


पर इससे यह समझना भूल होगी कि साबुनों में अद्वितीय 000 का बड़ा बट्टा जैसा वातावरण देखता है वैसा ही बाना धारण कर लेता है। नहीं, कदापि नहीं। यदि ऐसा होगा तो साबुन के क्षेत्र में 000 के बड़े बट्टे और राजनीति के क्षेत्र में 420 की छोटी बट्टियों में क्या अन्तर रह जाएगा? वह ऊँचा उठता है। दार्शनिक ऊँचाइयॉं में जो मनीषियों ने विचारा है, जो महान सूत्र बिखरे हैं और मानवता का पथ-प्रदर्शन करते हैं, उन सब पर 000 का बड़ा बट्टा मुक्ति-चिन्तन करता है और विज्ञापन द्वारा ऐसी आनन्दकारी स्थितियाँ उत्पन्न कर देता है कि मात्र 50 पैसे में आप चाहें तो उस चिन्तन से स्वयं को जोड़ सकते हैं। विज्ञापन पढ़कर ऐसी बौद्धिक फुरहरी आती है जो 000 साबुन से ही आ सकती है। बड़ा बट्टा हो तो क्या कहने!

ऐसे ही सद्विचारों से अलंकृत एक विज्ञापन मैंने गत सप्ताह पढ़ा था : 'मानव जो सपना देखता है, सुन्दरता उसका प्रतीक है। सुन्दरता मानव का स्वाभाविक गुण है। सुन्दरता कल्याण का पर्याय है, सुन्दरता मानव के सत्य का रूप है। मानव का समस्त विकास, उसकी समस्त उपलब्धि-इनका आधार है मानव का सपना। इसी सपने को लक्ष्य रूप में रख मानव आगे बढ़ता है।

'000 सोप वर्क्स भी एक सपना लिए अग्रसर हुआ और 000 के बडे बट्टे (मूल्य 50 पैसे) के रूप में यह सपना सत्य सिद्ध हुआ। सुन्दरता का यह प्रतीक ही सत्य, कल्याणकारी, सस्ता एवं नगर की हर दूकान पर उपलब्ध है।
'नियमित उपयोग कर मानव-कल्याण में योग दें।'

और अब मुझे लगता है मानव-कल्याण में किसी भी प्रकार का योग देना अन्ततः 000 सोप वर्क्स के 000 के बड़े वट्टे की बिक्री में योग देना है। जो भी श्रेष्ठ विचारा जाएगा, लिखा जाएगा, राजनीतिक, आर्थिक या सामाजिक क्षेत्र में जो भी महत्त्वपूर्ण कदम उठेगा, वह 000 के बड़े बट्टे की बिक्री में सहायक सिद्ध होगा। हर क्रान्ति चाहे वह वैचारिक हो या विचारहीन, 000 साबुन की बिक्री बढ़ाएगी। इस देश में अब कुछ नहीं होगा, सिवाय उस बड़े बट्टे की बिक्री के। मैं तो डर गया हूँ। मैं तो मन में कोई अच्छा विचार लाने से डर गया हूँ। अगर कोई बात उठती भी है तो प्रकट नहीं करता। पिछले दिनों जो सवाल उठते रहे हैं मैं उन सारे सन्दर्भों में (यदि कोई मुझसे पूछता है) एक ही उत्तर देता हूँ कि आप 000 साबुन का उपयोग करें। बल्कि अब कोई सवाल खड़ा करना व्यर्थ हो गया है। उससे बेहतर है हम उसका हल तलाश करें। हल एक ही है-'000 साबुन का बड़ा बट्टा 50 पैसे।'

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book