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जीप पर सवार इल्लियाँ

शरद जोशी

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2008
पृष्ठ :158
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 6839
आईएसबीएन :9788171783946

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शरद जोशी के व्यंगात्मक निबंधों का संग्रह...


'हमारे महान नेता का आज स्वर्गवास हो गया। सारी जनता मृतात्मा का स्मरण कर शोक-संतप्त है।

'धीरे-धीरे सभी महान नेता भारत भूमि से उठते जा रहे हैं। हमारा देश अपने को अनाथ अनुभव कर रहा है। अब कौन है जो सत्य, अहिंसा आदि उच्च मानवीय गुणों की रक्षा करेगा? कौन है जो बढ़ती मिलावट को रोकेगा? कहीं ऐसा न हो कि जोरदार नेताओं के अभाव में देश में नकली साबुनों की बाढ़ आ जाए और 000 के शुद्ध बड़े बट्टे का मान गिर जाए।

'नहीं, ऐसा नहीं होगा! हम अपने महान स्वर्गीय नेता के बताए मार्ग पर चलकर सत्य, अहिंसा की ज्योति जलाए रखेंगे। हम 000 के बड़े बट्टे (मूल्य 50 पैसे) का सम्मान बनाए रखेंगे। असल की जगह नकल नहीं चलने देंगे।

'000 सोप वर्क्स का 000 का बड़ा बट्टा खरीद स्वर्गीय नेता के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करें।'

नेता की मृत्यु के कारण उस दिन दफ्तरों और स्कूलों की छुट्टी थी। लोग घर पर पड़े शोक में सपत्नी अलसा रहे थे। विज्ञापन पढ़ वे चौंक गए होंगे और आश्चर्य नहीं तुरन्त 000 का बड़ा बट्टा खरीद मल-मलकर नहाने और मैले कपड़े साफ करने बैठ गए हों। मैं तो 000 साबुन का एक माह का स्टाक पहली तारीख को खरीद लेता हूँ ताकि राष्ट्र पर आए संकट के क्षणों में मुझे बाजार नहीं दौड़ना पड़े। संकट आता ही रहता है, क्योंकि देश इस समय संक्रमण के दौर से गुजर रहा है। नित नई समस्याएँ खड़ी हो रही हैं। ऐसे में 000 का बड़ा बट्टा ही हमारा सहारा है। नेता निर्णय नहीं ले पा रहे हैं, पर जनता तो ले सकती है। उसे तो 000 बड़ा बट्टा खरीदने से कोई रोक नहीं सकता।

और जब नेता निर्णय लेते हैं, 000 के बट्टे को प्रसन्नता होती है। बैंक राष्ट्रीयकरण के उत्साह में 000 ने हाथ बँटाया, उस दिन 000 सोप वर्क्सवाले भैयाजी ने स्थानीय दैनिक में विज्ञापन दिया :

'बैंकों का राष्ट्रीयकरण हो गया। देश के आर्थिक जीवन में यह एक नई क्रान्ति की शुभ सूचना है। नेताओं ने यह समयोचित कदम उठाकर अपनी डूबती नैया को बचाया है। वे बधाई के पात्र हैं।

'यदि इसी प्रकार जनहित की नीतियाँ बना उन पर अमल किए जाएँ तो कृषि और उद्योग दोनों को लाभ पहुँचे। वस्तुओं के भाव न बढ़े। आज जो 000 का बड़ा बट्टा 50 पैसे में मिल रहा है, उसके दाम न बढ़ाने पड़े। जनता की यही आकांक्षा है और इसी कारण वह बैंकों के राष्ट्रीयकरण से प्रसन्न है।

'अब देखना यह है कि यह नई नीति राष्ट्र को कितना लाभ पहुँचाती है। जनता को पूरा सहयोग देना होगा। बाजार में अशुद्ध तत्त्वोंवाले नकली साबुनों से मुक्ति पाकर 000 सोप वर्क्स के 000 साबुन का घर-घर उपयोग बढ़ाकर ही हम देश में सच्चा समाजवाद ला सकेंगे। इस दिशा में सक्रिय पहल हेतु बड़े बट्टे का मूल्य मात्र 50 पैसे।'

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