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जीप पर सवार इल्लियाँ

शरद जोशी

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2008
पृष्ठ :158
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 6839
आईएसबीएन :9788171783946

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शरद जोशी के व्यंगात्मक निबंधों का संग्रह...


दूसरे कांग्रेसी ने अब तक अपनी प्लेट साफ कर दी थी। उसने इतमीनान से कहा, 'देखिए भाई साहब, आप भी पॉलिटिक्स में हैं और हम भी पॉलिटिक्स में हैं। आप जिस मजबूरी से इन कांग्रेसी भाई की नाक पकड़े हैं, हम समझ रहे हैं। लीडरी जमाने के लिए यह सब करना पड़ता है। हमने भी किया है। इधर बीस-इक्कीस साल से प्राक्टिस छूट गया है, मगर एक वक्त में हमने किलब में घुसकर एक अंग्रेज की नाक पकड़ी थी। मगर जिस कांग्रेसी भाई की नाक आप पकड़े हैं, वे इधर जरा कष्ट में चल रहे हैं। आप कांग्रेस छोड़ने की सोच रहे हैं। कांग्रेस के सच्चे सेवक रह चुके हैं। मगर एक घटना ने दिल खट्टा कर दिया। इन्हें कांग्रेस का समाजवाद धोखा लग रहा है।'

'वह तो है ही, इसमें क्या शक है। वह छुरी-काँटे का समाजवाद सरासर धोखा है।' साथी ने कांग्रेसी की नाक छोड़ दी और कहा, 'कोई बात नहीं जनाब, आप उस सड़ी-गली कांग्रेस को छोड़ रहे हैं तो आप हमारे दोस्त हैं। आपकी नाक हमारी नाक है।' और वह दोनों से हाथ मिलाकर अपनी टेबुल की ओर लौट गया।
इस लाजवाब कार्रवाई पर सभी साथियों ने, जो कर्म की महत्ता पर विश्वास करते थे, उसे बधाई दी। उन्होंने कहा कि नारे को वास्तविकता में बदलना, शब्दों को अर्थ देना इसी को कहते हैं। वे सब प्रसन्न थे कि इसी सीधी कार्रवाई ने इस पुराने भ्रष्ट कांग्रेसी को आत्मविश्लेषण कर उस सड़ी-गली कांग्रेस को छोड़ने को प्रेरित किया।

मगर ऐसा नहीं था। जब वे लोग कॉफी हाउस से बाहर निकल गए, तब उस कांग्रेसी ने, जिसकी नाक पकड़ी गई थी, दूसरे कांग्रेसी से कहा, 'अभी हमारा दल छोड़ना अनिश्चित है। यदि वे मंत्री महोदय इस्तीफे के दबाव पर हमारे आदमी के नाम टेन्डर मंजूर कर देते हैं तो हम उनके साथ हैं और उनका समाजवाद का कार्यक्रम हमें स्वीकार है। नहीं, भाड़ में जाएँ। यह डिक्टेटरशिप हम सहन नहीं करेंगे और सगंठन के प्रति निष्ठा के नाम खिसककर दूसरे गुट में चले जाएँगे।' फिर आँख मारकर बोले, 'और तुम कहो इन विरोधी पार्टीवालों से मिल जाएँ, कम-से-कम नाक तो बचेगी।'
इतना कहकर वे दोनों खुर्राट जोर-जोर से हँसने लगे।

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