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जीप पर सवार इल्लियाँ

शरद जोशी

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2008
पृष्ठ :158
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 6839
आईएसबीएन :9788171783946

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शरद जोशी के व्यंगात्मक निबंधों का संग्रह...


दूसरे हैं बाबू किशनलाल आर्यभक्त। आर्यभक्त नाम तब से चला आ रहा है जब आप राष्ट्रीय कविताएँ लिखते थे और आपकी 'बढ़े चलो' नामक कविता सारे जिले में मशहूर हो गई थी। आपने एक साप्ताहिक निकाला था, जो बन्द हो गया। अनशन करने में उस्ताद हैं। बहुत बोलते हैं, खूब पान खाते हैं और शहर में कहीं भी खड़े हुए मिल जाते हैं। अपनी इसी आदत के कारण शहर के दो सुप्रसिद्ध 'मर्डरों' के चश्मदीद गवाह रह चुके हैं। उसमें आपने बड़ी रकम बनाई। कोई घरबार नहीं। पिछले बाईस वर्षों से कांग्रेस कमेटी के दफ्तर में रहते हैं। इन्हें हटाने का जब प्रस्ताव आया, आप अनशन करने बैठ गए। नतीजा यह है कि कोई चुने या नहीं, आप कांग्रेस के स्थायी कार्यालय-मंत्री हैं। हटाना कठिन है। 'क्राइसिस' के समय ऐसे उत्साह में आ जाते हैं कि वरिष्ठ नेता के दावे नहीं दबते। आपका नारा रहता है कि बस जनता में कूद पड़ो। आपकी पीड़ा है कि 'हाय! कांग्रेस जनता से दूर जा रही है।' आप आगाह कर चुके हैं कि अगर कांग्रेस जनता से दूर हो गई तो डूब जाएगी। हर 'क्राइसिस' के मौके पर आप गरजकर और फुसफुसाकर एक ही बात कहते हैं कि वक्त आ गया है, जब जनता में काम शुरू कर देना चाहिए। कांग्रेसी मित्र उनकी गरज से डरते हैं, मगर उनकी फुसफुसाहट का आदर करते हैं। जनता में काम करना मानो जनता को मूर्ख बनाने का षड्यन्त्र हो। सब सहमत हो जाते हैं। मगर कुछ नहीं होता। सिर्फ किशनलाल आर्यभक्त देर रात तक होटलों पर पान की दूकान पर खड़े रहते हैं। उससे कांग्रेस जितनी सुदृढ़ हो सकती है, हो जाती है।

तीसरे हैं लालाराम गौड़। दो बार जेल गए हैं और दोनों ही बार राजनीतिक कारणों से। अन्य किसी कारण से पुलिस आपको कभी पकड़ नहीं पाई। संस्थाएँ खड़ी करने में जवाब नहीं आपका। नगर की तीन-चौथाई संस्थाएँ आपके कब्जे में हैं। कुछ जातियों के वोट इनके हाथ में हैं, इसलिए जब चाहे तब कांग्रेस से नाराज हो जाते हैं। आपका कहना है कि पंडित जवाहरलाल नेहरू जब तक रहे, अक्सर संकट के समय रात को ट्रंक काल कर आपसे सलाह लेते रहे हैं। सरासर गलत है, सब जानते हैं। भाषण हमेशा लम्बा खींचते हैं। विषय पर आने के पूर्व हमेशा विस्तार से बताते हैं कि हमारा भारतवर्ष कैसे आजाद हुआ। कोई नेता मरता है तो नगर में सबसे पहले आप ही उसे महान घोषित करते हैं। शोक-सभा में आँसू बहा देने में आपका सानी नहीं। खुद को निःस्वार्थ सेवक कहते हैं। पिछले दिनों दो हाउसिंग सोसायटीज डुबोई और तीन मकान खड़े किए। संकट के समय पंसारेजी के निवास-स्थान पर बैठक में लालारामजी दो बातें हमेशा कहते हैं। एक तो यह कि कांग्रेस पार्टी को आत्मविश्लेषण कर अपने दोष देखना चाहिए तथा कुछ आम सभाएँ करनी चाहिए। आत्मविश्लेषण न हो पाए, मगर आम सभाएँ हो जाती हैं, जिनमें कुछ जनता एकत्र होती है और लम्बा भाषण दे लालाराम गौड़ बताते हैं कि भारतवर्ष कैसे आजाद हुआ। इसके घोर विरोधी हैं बाबू रतनसिंह सुराजी। पहले पन्द्रह अगस्त को झण्डावन्दन श्री सुराजी ने ही किया था, मगर बाद में वे कुछ नहीं कर पाए। कांग्रेस जब भी गलती करती है, आप तुरन्त कांग्रेस से त्यागपत्र दे देते हैं। और जैसे ही कांग्रेस कोई अच्छा काम करती है, आप फिर से संस्था में आ जाते हैं। साल में एक-दो बार ऐसा हो जाता है। ईमानदार चाहे हों, मगर भरोसे के नहीं। जब से राजनीतिक पीड़ित होने के कारण खेती के लिए सरकार से जमीन मिल गई है, कृषि-क्रान्ति के घोर-समर्थक हो गए हैं। संकल्प लिया है कि चार किलो का भुट्टा पैदा करेंगे और कृषि-मंत्री की नाक पर मारेंगे। लालाराम गौड़ से आपके राजनीतिक विरोध के कारण व्यक्तिगत हैं। जो लोग जमुनाबाई काण्ड से परिचित हैं, असली मामला जानते हैं।

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