लेख-निबंध >> जीप पर सवार इल्लियाँ जीप पर सवार इल्लियाँशरद जोशी
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शरद जोशी के व्यंगात्मक निबंधों का संग्रह...
'प्रधान हैं तो स्वयं जाकर टेलीफोन क्यों नहीं उठाते? जवाब हमको देने को
क्यों कहते हैं।' -नन्दरामजी ने कहा।
'हम हिसाब कर रहे हैं।'
'तो आप हिसाब ही कीजिए। फिर यह क्यों जानना चाहते हैं कि हमारी फोन पर क्या
बातचीत हुई?'
'प्रश्न सिद्धान्त का है।' कम्बलों से टिककर लेटे व्यक्ति ने पुनः टोपी आँखों
पर खिसका ली और सो गया।
'हाँ, सिद्धान्त का ही है।' नन्दरामजी ने दुहराया, 'जो टेलीफोन करेगा वह अपनी
बात को अपने पास रखेगा। आप हिसाब करिए।'
'कोई गुप्त बात है क्या?'
'गुप्त हो, चाहे न हो।'
नन्दरामजी यह बात कह ही रहे थे कि एक लड़का जो टेरेलीन का बुश्शर्ट और नैरो
पैन्ट पहने हुए था, खादी भंडार में घुसा। उसने आते ही पूछा, 'आपके यहाँ
रेडीमेड कपड़े हैं?' लड़के ने नन्दरामजी को देखकर ही यह बात पूछी थी सो उत्तर
नन्दरामजी को ही देना पड़ा। उन्होंने दिया, 'हैं क्यों नहीं? तमाम रेडीमेड पड़ा
है, आपको दिखाई नहीं देता!'
'मुझे क्या मालूम!' लड़का बोला।
'ईश्वर ने आपको आँखें दी हैं। आप स्वयं देख सकते हैं। सामने आलमारी में तमाम
रेडीमेड पड़ा है। आपको क्या चाहिए, सो बताइए?'
'कुर्ता-पाजामा।'
'ऐसा कहिए ना। आप तो कह रहे हैं रेडीमेड है क्या? रेडीमेड तो बहुत कुछ होता
है।'
'मुझे कुर्ता-पाजामा चाहिए।'
'किस नाप का? आपके ही लिए चाहिए या किसी दूसरे के लिए?'
'आपकी नाप का कुर्ता-पाजामा निकाल दीजिए।' नन्दरामजी ने काली जाकेटवाले
सदाशिव से कहा।
'आप ही निकाल दीजिए, हम हिसाब कर रहे हैं।'
'आप हमेशा हिसाब ही किया करते हैं। फोन आए तो आप हिसाब कर रहे हैं और ग्राहक
आए तो आप हिसाब कर रहे हैं।'
'हाँ भाई।' सदाशिवजी ने गम्भीर होकर कहा, 'हिसाब जरा बड़ा है।'
'सो तो हम नहीं जानते। हम तो यह देखते हैं कि जो कोई ग्राहक आए तो आप हिसाब
कर रहे हैं और जो कोई फोन आए तो आप हिसाब कर रहे हैं।'-नन्दरामजी ने सदाशिवजी
को घूरते हुए कहा।
'अब आप कुर्ता-पाजामा तो निकाल दीजिए आपको।'
'हाँ, सो तो दे ही रहे हैं। उसमें क्या बात है।' नन्दरामजी ने आलमारी से
कुर्ता-पाजामा निकाल टेरेलीन की बुश्शर्ट पहने लड़के की ओर बढ़ाया और सिर
खुजाने लगे। लड़के ने नाक-भौं सिकोड़ते हुए उन कपड़ों को देखा और कहा, 'मुझे
लगता है यह बड़ा पड़ जाएगा।'
'सो तो अच्छी बात है।' नन्दरामजी बोले।
'ढीला होगा न।'
'शुरू में होगा। बाद में एक धुलाई हो जाने पर थोड़ा सिकुड़ेगा, सो फिट आ
जाएगा।'
'मुझे अभी इन्टरव्यू में जाना है। बिलकुल फिट चाहिए।'
'कहाँ जाना है?'
'इन्टरव्यू में।'
'क्या होता है इंटरजू?'
'नौकरी के लिए होता है भाई। मुझे बिलकुल फिट चाहिए। आप इससे छोटा नम्बर
निकालिए।'
'एक बार की बात है। थोड़ा ढीला ही पहन लीजिए। बाद में ठीक हो जाएगा।'
'आप बाद की फिक्र न करें। मुझे इससे छोटा नम्बर निकालकर दें।'
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