लेख-निबंध >> जीप पर सवार इल्लियाँ जीप पर सवार इल्लियाँशरद जोशी
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शरद जोशी के व्यंगात्मक निबंधों का संग्रह...
पुनश्च : दाल मिलवाले सहयोग पूरा करेंगे। उनकी हालत इन दिनों खराब है। यूनियन
के झगड़े चल रहे हैं। आपसे लोन चाहते हैं। जरूरी हुआ तो मैं खुद उनके और
यूनियन के बीच कूदकर आपसे कर्ज दिलवा मामला पटवाऊँगा।
पूज्य कुन्दनलालजी,
वोटों की गिनती करवाकर कलेक्ट्रेट से सीधा नर्मदाबाई के घर पहुँचा इस आशा से
कि आप मिल जाओगे पर पता लगा कि आप निराश होकर जा चुके हैं। मेरा जी बड़ा भारी
था, मैं सुखलाल के घर जाकर सो रहा। आपकी हार मेरी हार है, क्षेत्र की जनता की
हार है। हार की पीड़ा तो थी ही सही पर यह सुनकर और भी मन को दुख हुआ कि जाते
समय कुन्दनलालजी कह गए कि सेवकराम ने मेरा रुपया खाया और काम नहीं किया जिसकी
वजह से मुझे हारना पड़ा। ठीक है, भाई साहब, आप कह सकते हैं। आप बड़े आदमी हैं,
मैं गरीब आदमी हूँ आप जो कहेंगे वही सत्य है और मैं जो कहूँगा सो झूठ है। तीन
महीने से घर-द्वार की फिकर नहीं कर आपकी खातिर मारा-मारा फिर रहा हूँ क्षेत्र
में बदनाम हुआ और कोकिला बहन-जैसी देवी का
विरोध किया। उनकी विजय के बाद आज मैं उनको मुँह दिखाने की हालत में नहीं हूँ।
कांग्रेस का विरोध करने के कारण जिले के हाकिम-उमरा मुझसे अलग खफा होंगे सो
उनका दण्ड मुझे भुगतना पड़ेगा।
भाई साहब, मेरी सच्ची सेवा की आज आपकी निगाह में कोई इज्जत नहीं है और मैं
अपनी किस्मत को रो रहा हूँ। और यह कड़ी बात भी मुझे सुनाई उस नर्मदाबाई ने
जिसके मायाजाल में फँसकर आप घर, परिवार, क्षेत्र की जनता और मुझ-जैसे सच्चे
साथियों को भी भुला रहे हैं। अरे आपसे रुपया तो खाया है उस छिनाल नर्मदाबाई
ने जो जीवन बाबू को छोड़ अब आपके गले लग गई और रुपया लूट रही है। मुझे तो देवी
रूप भाभीजी का ध्यान आता हैं कि जिन्हें आप भुला बैठे और साथ ही मुझ-जैसे
सेवकों को भी। खैर, आशा है आपको एक दिन सच्ची बात समझ आएगी। ईश्वर सब देखता
है। मैं सिर्फ इतना कहूँगा कि अगर आप नर्मदाबाई के घर ही दिन-रात नहीं पड़े
रहते और क्षेत्र की जनता से मिलते, दौरा-प्रचार करते तो आपकी विजय निश्चित
होती। आपके घर रहने की वजह से नर्मदाबाई भी लेडीजों में प्रचार नहीं कर पाई।
मैं कार्यकर्त्ता हूँ और मैं तो आपकी तरह भावुक नहीं हो सकता कि अपने-पराए को
भूल जाऊँ। मेरा निवेदन है आप ठण्डे माथे से सब विचारें और हार के कारणों पर
ध्यान दें, भविष्य की योजना निश्चय करें। यह सच है कि कोकिला बहन विजयी हुई
हैं पर पिछली बार से इस बार उन्हें कम वोट मिले हैं और हमारे वोट का प्रतिशत
बढ़ा है, सो हमारे परिश्रम का परिणाम है। हारकर भी आपकी नैतिक विजय हुई है,
ऐसा विचार मेरे मन में आता है।
हार के कई कारण हैं। धनपतसिंह ने अपने से सहायता ली पर राजपूत वोट कांग्रेस
को ही गिरवाए। राजपूत होकर उसने वचन नहीं निभाया, अब क्या कहें। चमार-वोट
पक्के थे पर रातों-रात फूटे हैं क्योंकि विरोधियों ने कोई बड़ा लालच फेंका था।
हमारा मुफ्त दारू पिलवाना काम नहीं आया। संगरपुर में डा. तिवारी का असर फिर
काम कर गया। पं. गजधर मिश्र को आपने मन्दिर के जीर्णोद्धार के लिए रुपए दिए
पर वे बजाय मन्दिर के काम में लगने के सीमेण्ट को जोरदार चोर-बाजारी में लगे।
मुझे पता लगा कि पं. गजधर मिश्र ने कई पार्टियों से जीर्णोद्धार के नाम पर
पैसा खाया है।
मुकुन्दीलाल विद्रोही का 'बवण्डर' काफी जोर मारता रहा और आपने भी उसे मनचाहा
रुपया दिया पर आप जानते हैं कि आजकल पब्लिक की मेण्टेलिटी ऐसी हो गई है कि वह
छोटे अखबार के प्रभाव में नहीं आती। दाल मिल को आपने कर्ज दिया सो मैनेजमेण्ट
के वोट तो आपको मिले पर यूनियनवालों के नहीं मिले जिसकी उम्मीद थी। प्रसन्नता
की बात यह है कि वे कांग्रेस को भी नहीं गए।
यदि आप स्वीकार करें तो कहना होगा कि हम पूरी तरह वर्क नहीं कर सके क्योंकि
आपने निर्णय देर से लिया। पर मेरा विचार है कि आगामी चुनाव के लिए हमें आज से
कार्य शुरू करना होगा। कल्याण भाई भी हार से दुखी हैं पर उनका भी यही विचार
है। आप भी यह निर्णय लें कि आप क्षेत्र की जनता से सम्पर्क करेंगे और क्षेत्र
की जनता को यह कहने का अवसर नहीं देंगे कि आप नर्मदाबाई के घर समय गुजारकर
चले जाते हैं। इस बार आपके खिलाफ वोट गिरने का एक बड़ा कारण आपके और नर्मदाबाई
के सम्बन्धों को लेकर हुई चर्चा है, यद्यपि आपके ईमानदार कार्यकर्त्ता के
नाते मैंने सदैव यही कहा है कि भाई साहब नर्मदाबाई से पवित्र प्रेम रखते हैं।
अब मेरा निवेदन है कि कृपया पाँच हजार का ड्राफ्ट आप तुरन्त भेज दें क्योंकि
माइकवाले, टैक्सी का किराया, कार्यालयों का भाड़ा, पैट्रोलवाले का पेमेण्ट सभी
करना है। क्षेत्र में अभी से वर्क आरम्भ करने के लिए क्या बजट आएगा सो मैं
पत्र आने पर भेजूँगा। मुकुन्दीलाल विद्रोही को शायद आपने कुछ रुपया देने का
वचन दिया है सो भिजवा दें अन्यथा वह छिछला आदमी है, आपके नर्मदाबाई प्रकरण पर
गन्दी बातें उछालेगा सो अच्छा नहीं क्योंकि भाभी साहब की आत्मा कौ कष्ट होगा
और आपकी बदनामी होगी। कृपया गुप्ताजी को डाज गाड़ी देने पर धन्यवाद का पत्र दे
दें हालाँकि सुधरवाई पर इतना खर्च होने पर भी वह ऐन चुनाव के दिनों में बिगड़ी
रही। पर उन्हें धन्यवाद का पत्र भेजना आपका कर्त्तव्य है ताकि आगे भी सम्बन्ध
बने रहें और गाड़ी प्राप्त हो सके।
आशा है आप बिजनेस में व्यस्त होंगे। आप जैसे धीर, गम्भीर महापुरुष का निराश
होना और मैदान छोड़ना उचित नहीं है। पूज्य भाभी साहब को प्रणाम।
भवदीय,
सेवकराम 'निर्भय'
पुनश्च-पाँच हजार का ड्राफ्ट तुरन्त भिजवा दें।
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