लोगों की राय

लेख-निबंध >> जीप पर सवार इल्लियाँ

जीप पर सवार इल्लियाँ

शरद जोशी

प्रकाशक : राजकमल प्रकाशन प्रकाशित वर्ष : 2008
पृष्ठ :158
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 6839
आईएसबीएन :9788171783946

Like this Hindi book 4 पाठकों को प्रिय

241 पाठक हैं

शरद जोशी के व्यंगात्मक निबंधों का संग्रह...


पूज्य कुन्दनलालजी,

जमनाप्रसादजी भाई साहब से आपकी हुई ट्रंककाल पर चचा के अनुसार पता लगा कि आपको कांग्रेस टिकिट नहीं मिल रहा है और जिला कमेटी के प्रस्ताव के अनुसार कोकिलावाई को टिकिट दिया जा रहा है। इस समाचार से कि टिकिट कोकिलाबाई को मिल रहा है, यहीं के कांग्रेसी रुष्ट हैं। मैंने उनसे बात चलाई है और उम्मीद है कि ये ऊपर से कांग्रेस का और गुप्त रूप से हमें सफल बनाने की ही कोशिश करेंगे। या नीचे का वोट कांग्रेस को और ऊपर का वोट यानी दिल्लीवाला लोकसभा का वोट आपके नाम गिरवाएँगे। अब आप स्वतन्त्र उम्मीदवार हो जाओ क्योंकि जनसंघ से भी टिकिट मिलना कठिन होगा, यों आप कोशिश करके देख लो। कांग्रेस ने आपको टिकिट न देकर भारी गलती की है पर इसके लिए कांग्रेस को पछताना पड़ेगा।

पहली बात तो यह है कि कल्याण भाई आपका समर्थन करने को राजी हो गए और बोले कि जब खुद कुन्दनलालजी खड़े हो रहे हैं तो किसी और को समर्थन करने का सवाल ही नहीं उठता। बिचारे आपको बड़ा मान देते हैं। मुझसे उन्होंने फिलहाल एक हजार रुपया माँगा है और बोले कि अगर जरूरत समझेंगे तो तीन-चार दिन का अनशन और किसी बात पर कर देंगे। मैंने दे दिया है। आपके पाँच हजार के ड्राफ्ट मिलने के बाद मुझे दो हजार रुपए जमनाप्रसादजी से और लेने पड़े, आप कृपया उन्हें दें। रुपए की आवश्यकता इस कारण आ पड़ी कि बिलवानी में वर्क शुरू करना जरूरी हो गया था। वहाँ का बी.डी.ओ. जिसे अभी भ्रष्टाचार के मामले में सरकार ने अलग किया, अपना पूरा साथ देगा क्योंकि उसका प्रभाव और पहचान बहुत है और वह कांग्रेस को हराने की ठाने हुए हैं। आप और रुपए तुरन्त भिजवाऐं। नर्मदाबाई भी लेडीजों में वर्क शुरू करना चाह रही हैं। रुपए के लिए वह आपको खुद लिखतीं पर भाभी साहब के डर से नहीं लिख रहीं कि कहीं उनके हाथ लेटर पड़ गया तो खामोखा का झगड़ा खड़ा होगा।

एक बात यह है कि अब आपका क्षेत्र में पधारना आवश्यक हो गया है। यूँ आप बिजनेस भी नहीं छोड़ सकते पर जनता आपके दर्शन कर ले, यह जरूरी हो जाता है। जनता की शिकायत है कि आप पिछले चुनाव में हारने के बाद क्षेत्र से रुष्ट हो गए हैं। आप आते भी हैं तो बाला-बाला नर्मदाबाई से मिलकर चले जाते हैं। इस शिकायत को दूर करना आवश्यक है, अतः आप शीघ्र पधार जाएँ।

अब रिपोर्ट यह है कि संगरपुर की झलक पहले से सुधरी है। ब्राह्मणों ने साफ कह दिया है कि डा. तिवारी की चाल में हम नहीं फँसेंगे। मैंने पं. गजधर मिश्र से बात की है। उन्होंने सहयोग का वचन दिया है। वे अपने मन्दिर का जीर्णोद्धार करवाना चाहते हैं और आपसे सहायता चाहते हैं। आप दान खाते से पाँच हजार रुपए उन्हें भिजवा दें। इस बहाने गजधर मिश्र जाति के ब्राह्मणों में प्रभावशाली हो जाएँगे और दान देने से आपका यश बढ़ेगा जो चुनाव में काम आएगा। धनपतसिंह को विधानसभा का टिकिट मिला है। इस तरह बिलवानी के वोट विधानसभा के धनपतसिंह को और लोकसभा के कोकिला बहन को जाएँगे। ऐसी हालत में सिर्फ चमार-वोट हमारे पास रह जाते हैं। पर मेरी धनपतसिंह से गुप्त चर्चा चल रही है। वह कहते हैं अगर मेरे विधानसभा के चुनाव-खर्च में कुन्दनलालजी मदद करें तो लोकसभा के राजपूत वोट कांग्रेस को कटवाकर उन्हें दिलवा दूँ। मैंने विचार करने को कह दिया है। इसे दो जीपें भिजवाने और माइक का खर्चा देना पर्याप्त होगा। प्रस्ताव बुरा नहीं है। चमार-वोट हाथ से नहीं जाएँगे क्योंकि आपकी कृपा से इस वर्ष बिलवानी की शराब की दुकान का ठेका मुझे मिल गया है। इस तरह बिलवानी सालिड हो गया है।

मुकुन्दीलाल विद्रोही मुझसे मिला था। बोला, उसके पास दैनिक 'बवण्डर' का डिक्लेरेशन पड़ा है और अगर जरूरत पड़े तो कुन्दनलालजी के समर्थन में और कांग्रेस के विरोध में दो पन्ने का सायंकालीन शुरू किया जा सकता है। विद्रोही की कलम तेज है जिसे आप सरलाबाई नर्स के प्रेमकाण्ड के समय में खुद देख चुके हैं। आप आर्थिक सहायता करें तो अपने पास जोरदार पर्चा हो जाएगा जो जोर की आवाज बुलन्द कर आपका समर्थन करेगा। इसका चुनाव में खूब असर होगा। और कोई विशेष बात नहीं। रुपयों की प्रतीक्षा है। गुप्ताजी की डाज गाड़ी दुरुस्ती को डाल दी है। आप क्षेत्र में पधारने का कार्यक्रम लिखिए। जीपें किराए से लेने के लिए एडवांस देना, इन्तजार में हूँ। उपरोक्त सभी समस्याओं पर निर्णय दें। मुकुन्दीलाल विद्रोही 'बवण्डर' में कोकिलाबाई के सब कच्चे चिट्ठे खोलने के मूड में हैं।

आपका,
सेवकराम 'निर्भय'

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book