इतिहास और राजनीति >> भारत की एकता का निर्माण भारत की एकता का निर्माणसरदार पटेल
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स्वतंत्रता के ठीक बाद भारत की एकता के लिए सरदार वल्लभभाई पटेल द्वारा देश की जनता को एकता के पक्ष में दिये गये भाषण
(२)
लखनऊ
१८ जनवरी, १९४८
बहनो और भाइयो!
मेहरबानी करके अब कोई आवाज़ न
करें, सब भाई-बहन शान्त हो जाएँ। बहुत दिनों के बाद आप लोगों से मिलने का
मुझे सौभाग्य प्राप्त हुआ, इससे मुझे बहुत खुशी हुई है। आप लोगों से मिलने
की ख्वाहिश तो बहुत दिनों से थी, लेकिन हम लोग ऐसी मुसीबतों में फंसे रहे
कि किसी जगह पर आ-जा नहीं सकते थे। लेकिन इस बार चन्द दिनों के लिए मुझे
आसाम और कलकत्ता जाना था, हमारे प्रधान मन्त्री पन्त जी का एक सन्देश मेरे
पास आया कि कम-से-कम एक रोज के लिए सब से मिलने के लिए मैं लखनऊ रुकूं।
मैंने कबूल कर लिया कि एक रोज के लिए आऊँगा। लेकिन मेरा जी आज भी दिल्ली
में पड़ा है, क्योंकि आजकल वहां इतना काम रहता है कि हम वहां से हट नहीं
सकते। तो भी मैं आया हूँ और आप लोग मेरी कुछ बात भी सुनना चाहते हैं, तो
ठीक है कि मैं कुछ बातें आप से कहूँ।
आप का यह लखनऊ शहर हमारे मुल्क
का एक बहुत पुराना शहर है, और यह हिन्दू और मुसलमान दोनों की मिश्रित
कल्चर (संस्कृति) का एक केन्द्र स्थान है। इस शहर की पुरानी बातें हम सदा
सुनते रहते हैं। लखनऊ की पुरानी निशानियों को देख कर हम मगरूर भी होते है।
पिछली आजादी की लड़ाई में इस शहर का जो हिस्सा है, जो इतिहास है, वह देख कर
भी हम मगरूर होते हैं। साथ ही आज तक हम इस बात को याद करते हैं कि इसी शहर
में से यह बात निकली थी कि हम हिन्दू और मुसलमान एक कौम नहीं हैं, एक नेशन
(राष्ट्र) नहीं हैं एक प्रजा नहीं है-हमें अलग-अलग हिस्सा करना चाहिए।
यहीं कहा गया था कि हमारी जबान अलग है, हमारी संस्कृति अलग है हमारा सब
प्रकार का काम अलग-अलग है, इसलिए हमें अलग होना चाहिए। हिन्दोस्तान के
सारे मुसलमानों के ऊपर ज्यादातर लखनऊ के मुसलमानों का ही असर पड़ा और पड़ता
रहा। दूसरी ओर हमारे जो नेशनलिस्ट (राष्ट्रीय) मुसलमान थे, वे भी इसी
प्रान्त के थे। उन लोगों ने काफी विरोध किया और काफी मुसीबतें उठाई।
हिन्दुओं और नेशनलिस्ट मुसलमानों में बहुत मुहब्बत थी और आज भी है। वे
चन्द लोग हैं और परेशान हैं। उनकी तकलीफ और उनकी परेशानी हम उनके चेहरों
पर देखते हैं और तब हमको दर्द होता है।
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- वक्तव्य
- कलकत्ता - 3 जनवरी 1948
- लखनऊ - 18 जनवरी 1948
- बम्बई, चौपाटी - 17 जनवरी 1948
- बम्बई, शिवाजी पार्क - 18 जनवरी 1948
- दिल्ली (गाँधी जी की हत्या के एकदम बाद) - 30 जनवरी 1948
- दिल्ली (गाँधी जी की शोक-सभा में) - 2 फरवरी 1948
- दिल्ली - 18 फरवरी 1948
- पटियाला - 15 जुलाई 1948
- नई दिल्ली, इम्पीरियल होटल - 3 अक्तूबर 1948
- गुजरात - 12 अक्तूबर 1948
- बम्बई, चौपाटी - 30 अक्तूबर 1948
- नागपुर - 3 नवम्बर 1948
- नागपुर - 4 नवम्बर 1948
- दिल्ली - 20 जनवरी 1949
- इलाहाबाद - 25 नवम्बर 1948
- जयपुर - 17 दिसम्बर 1948
- हैदराबाद - 20 फरवरी 1949
- हैदराबाद (उस्मानिया युनिवर्सिटी) - 21 फरवरी 1949
- मैसूर - 25 फरवरी 1949
- अम्बाला - 5 मार्च 1949
- जयपुर - 30 मार्च 1949
- इन्दौर - 7 मई 1949
- दिल्ली - 31 अक्तूबर 1949
- बम्बई, चौपाटी - 4 जनवरी 1950
- कलकत्ता - 27 जनवरी 1950
- दिल्ली - 29 जनवरी 1950
- हैदराबाद - 7 अक्तूबर 1950