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इतिहास और राजनीति >> भारत की एकता का निर्माण

भारत की एकता का निर्माण

सरदार पटेल

प्रकाशक : भारतीय साहित्य संग्रह प्रकाशित वर्ष : 2005
पृष्ठ :350
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 62
आईएसबीएन :

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स्वतंत्रता के ठीक बाद भारत की एकता के लिए सरदार वल्लभभाई पटेल द्वारा देश की जनता को एकता के पक्ष में दिये गये भाषण



(5)

गान्धी जी की हत्या के एकदम बाद

दिल्ली, ३0  जनवरी, १९४८

भाइयो और बहनो,

आपने मेरे प्यारे भाई पं जवाहरलाल नेहरू का पैगाम सुन लिया। मेरा दिल दर्द से भरा हुआ है। क्या कहूँ क्या न कहूँ? जबान चलती नहीं हैं। आज का अवसर भारतवर्ष के लिए सब से बड़े दुख, शोक और शर्म का अवसर है। आज चार बजे मैं गान्धी जी के पास गया था और एक घंटे तक मैंने उनसे बात की थी। वह घड़ी निकालकर मुझ से कहने लगे कि मेरा प्रार्थना का समय हो गया है; अब मुझे जाने दीजिए। तो वह भगवान के मन्दिर की तरफ अपने हमेशा के समय पर चलने के लिए निकल पड़े। तब मैं वहां से अपने मकान की तरफ चला। मैं मकान पर अभी पहुँचा नहीं था कि उतने में रास्ते में एक भाई मेरे पास आया। उसने कहा कि एक नौजवान हिन्दू ने गान्धी जी के प्रार्थना की जगह पर जाते ही अपनी पिस्तौल से उन पर तीन गोलियां चलाईं, वह वहां गिर पड़े और उनको वहां से उठा कर घर में ले जाया गया है। मैं उसी वक्त वहां पहुँच गया। मैंने उनका चेहरा देखा। वही चेहरा था। वैसा ही शान्त चेहरा था, जैसा हमेशा रहता था। ठीक वही चेहरा था। और उनके दिल में दया और माफी के भाव अब भी उनके चेहरे से प्रकट होते हैं। आस-पास बहुत लोग जमा हो गए। लेकिन वह तो अपना जो काम उन्हें करना था, उसे पूरा करके चले गए!

पिछले चन्द दिनों से उनका दिल खुट्टा हो गया था और आप जानते हैं कि आखिर उन्होंने उपवास भी किया। उपवास में चले गए होते, तो अच्छा होता। लेकिन उनको और भी काम देना था तो रह गए। पिछले हफ्ते में एक दफा और एक हिन्दू नौजवान ने उनके ऊपर बम फेंकने की कोशिश की थी। उसमें भी वह बच गए थे। इस समय पर ही उनको जाना था। आज वह भगवान के मन्दिर में पहुँच गए! यह बड़े दुख का, बड़े दर्द का समय है, लेकिन यह गुस्से का समय नहीं है। क्योंकि अगर हम इस वक्त गुस्सा करें, तो जो सबक उन्होंने हमको ज़िन्दगी भर सिखाया, उसे हम भूल जाएँगे। और कहा जायेगा कि उनके जीवन में तो हमने उनकी बात नहीं मानी, उनकी मृत्यु के बाद भी हमने नहीं माना। हम पर यह धब्बा लगेगा। तो मेरी प्रार्थना है कि कितना भी दर्द हो, कितना भी दुख हो, कितना भी गुस्सा आए, लेकिन गुस्सा रोककर अपने पर काबू रखिए। अपने जीवन में उन्होंने हमें जो कुछ सिखाया, आज उसी की परीक्षा का समय है। बहुत शान्ति से बहुत अदब से, बहुत विनय से एक दूसरे के साथ मिलकर हमें मजबूती से पैर जमीन पर रखकर खड़ा रहना है। आप जानते हैं कि हमारे ऊपर जो बोझ पड़ रहा है, वह इतना भारी है कि करीब-करीब हमारी कमर टूट जाएगी। उनका एक सहारा था और हिन्दुस्तान को वह बहुत बड़ा सहारा था। हमको तो जीवन भर उन्हीं का सहारा था। आज वह चला गया! वह चला तो गया, लेकिन हर रोज़, हर मिनिट वह हमारी आँखों के सामने रहेगा! हमारे हृदय के सामने रहेगा! क्योंकि जो चीज वह हमको दे गया है, वह तो कभी हमारे पास से जाएगी नहीं!

कल चार बजे उनकी मिट्टी तो भस्म हो जाएगी, लेकिन उनकी आत्मा तो अब भी हमारे बीच में है। अभी भी वह हमें देख रही है कि हम लोग क्या कर रहे हैं। वह तो अमर है। जो नौजवान पागल हो गया था, उसने व्यर्थ सोचा कि वह उनको मार सकता है। जो चीज उनके जीवन में पूरी न हुई, शायद ईश्वर की ऐसी मर्ज़ी हो कि उनके द्वारा इस तरह से पूरी हो। क्योंकि इस प्रकार की मृत्यु से हिन्दुस्तान के नौजवानों का जो कॉनशंस (अन्तरात्मा) है जो हृदय है, वह जाग्रत होगा, मैं ऐसी आशा करता हूँ। मैं उम्मीद करता हूँ और हम सब ईश्वर से यह प्रार्थना करेंगे कि जो काम वह हमारे ऊपर बाकी छोड़ गए हैं, उसे पूरा करने में हम कामयाब हों। मैं यह भी उम्मीद करता हूँ कि इस कठिन समय में भी हम पस्त नहीं हो जाएँगे, हम नाहिम्मत भी नहीं हो जाएँगे। सब को दृढ़ता से और हिम्मत से एक साथ खड़ा होकर इस बहुत बड़ी मुसीबत का मुकाबिला करना है और जो बाकी काम उन्होंने हमारे ऊपर छोड़ा है, उसे पूरा करना है। ईश्वर से प्रार्थना कर, आज हम निश्चय कर लें कि हम उनके बाकी काम को पूरा करेंगे।

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    अनुक्रम

  1. वक्तव्य
  2. कलकत्ता - 3 जनवरी 1948
  3. लखनऊ - 18 जनवरी 1948
  4. बम्बई, चौपाटी - 17 जनवरी 1948
  5. बम्बई, शिवाजी पार्क - 18 जनवरी 1948
  6. दिल्ली (गाँधी जी की हत्या के एकदम बाद) - 30 जनवरी 1948
  7. दिल्ली (गाँधी जी की शोक-सभा में) - 2 फरवरी 1948
  8. दिल्ली - 18 फरवरी 1948
  9. पटियाला - 15 जुलाई 1948
  10. नई दिल्ली, इम्पीरियल होटल - 3 अक्तूबर 1948
  11. गुजरात - 12 अक्तूबर 1948
  12. बम्बई, चौपाटी - 30 अक्तूबर 1948
  13. नागपुर - 3 नवम्बर 1948
  14. नागपुर - 4 नवम्बर 1948
  15. दिल्ली - 20 जनवरी 1949
  16. इलाहाबाद - 25 नवम्बर 1948
  17. जयपुर - 17 दिसम्बर 1948
  18. हैदराबाद - 20 फरवरी 1949
  19. हैदराबाद (उस्मानिया युनिवर्सिटी) - 21 फरवरी 1949
  20. मैसूर - 25 फरवरी 1949
  21. अम्बाला - 5 मार्च 1949
  22. जयपुर - 30 मार्च 1949
  23. इन्दौर - 7 मई 1949
  24. दिल्ली - 31 अक्तूबर 1949
  25. बम्बई, चौपाटी - 4 जनवरी 1950
  26. कलकत्ता - 27 जनवरी 1950
  27. दिल्ली - 29 जनवरी 1950
  28. हैदराबाद - 7 अक्तूबर 1950

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