मैं अभी काठियावाड़ में गया था।
सारे हिन्दुस्तान में जितने राज नहीं हैं, उतने राज काठियावाड़ में हैं।
अढ़ाई-तीन सौ छोटे-छोटे राज वहाँ हैं। यदि हर एक राज का अलग-अलग रंग नकशे
में भरना हो, तो इतने रंग तो मेरे पास नहीं हैं। कैसे करुं? इतनी हुकूमतों
के अलग-अलग राज वहाँ हैं। उसमें आज एक हवा चली है कि छोटी-छोटी रियासतों
के लोग भी कहते हैं कि हमको अलग-अलग रेस्पांसबिल गवर्नमेंट (उत्तरदायी
सरकार) दे दो। जो है नहीं, वह देगा कैसे? वहाँ रेस्पासबिल गवर्नमेंट बनती
कैसे? कहीं ५ हजार की आबादी है, तो कहीं १० हजार की आबादी और बहुत हुआ तो
कहीं २५ हजार की आबादी। किसी राजा के पास २० गाँव हैं, किसी के पास २५
गाँव और जो सबसे बड़ी स्टेट है, उसकी आबादी छः, साढ़े छः लाख की है। यह तो
गनीमत हुई कि हम जूनागढ़ लेकर बैठ गए। अब काठियावाड़ में इतने छोटे-मोटे
राजा हैं, उन सबको मैंने समझाने की कोशिश की कि भाई अपने यहाँ सौराष्ट्र
नाम का एक प्रान्त बना लो और इस तरह महासागर के भाग बनो, उसमें खेलो। इस
तरह यह क्या कर रहे हो? अँग्रेज़ गया तो उसके साथ सार्वभौम सत्ता भी चली
गई। जैसे हम वरणी में आम का आचार रखते हैं, कि आचार में कीड़ा न पड़े, इसलिए
कुछ तेल भी डाल देते हैं, उसी तरह आपको रखकर उसने अपने स्वाद के लिए सामान
पैदा किया था। अब वह चला गया। अब आप को चाहिए कि आप ठीक हो जाओ, और अपने
को हवा लगने दो। वे सब समझ गए कि यह ठीक कहता है। तो कल रात मेरे पास उनका
टेलीफोन आया कि हमने फैसला कर लिया है कि हमें एक सौराष्ट्र बनाना है। इस
तरह से काम चलता है।
अब महाराष्ट्र के राजा-महाराजा
कल आठ-नौ बजे मुझसे मिलनेवाले हैं। यहाँ जो छोटी-मोटी १८ हुकूमतें हैं, उन
सब का भी अब बहुत करके यही फैसला होगा कि भई, हमें तो बम्बई प्रान्त में
मिल जाना हैं। तो मैं महाराष्ट्र को बडा बना रहा हूँ, उसे छोटा नहीं बना
रहा हूं। जैसे उड़ीसा बनाया, ऐसे ही महाराष्ट्र को बनाकर मैं आपको दूंगा।
फिर आप अलग हो जाइएगा। अभी आपको इतनी जल्दी क्यों है?
यदि हमें इस तरह से
हिन्दुस्तान को एक महान देश बनाना है, तो पाकिस्तान जैसे छोटे टुकड़े से आप
क्यों डरते हैं? इसमें है क्या? लेकिन हमें दिमाग से काम लेना चाहिए और
समझ-बूझकर, आपस में संगठित होकर हिन्दुस्तान को उठाना चाहिए। तब हम सारे
एशिया की लीडरशिप ले सकते हैं। इसमें मेरे दिल में कोई शक नहीं है। इसलिए
मेरी कोशिश यह है कि हिन्दुस्तान को एक बना लो। कुछ लोग अन्देशा करते थे
कि ऐसा नहीं होगा। कुछ राजाओं के दिल में भी शंका थी अब न जाने क्या होगा।
कुछ हमारे सोशलिस्ट भाई भी शंका करते थे कि हिन्दुस्तान में राजाओं को
पोजीशन मिल जाएगी। कुछ लोग तो कहते थे कि अब तो राजा जो चाहे सो करेंगे और
हमारी कुछ भी नहीं चलेगी। मैंने कहा कि भाई, धीरज रखो। हम आज़ाद हुए, राजा
भी आज़ाद हुआ है। उसको भी अपने मुल्क का ख्याल आएगा। उसके दिल में भी
स्वदेशाभिमान पैदा होगा, कुछ खुद का अभिमान पैदा होगा। हमारे हिन्दुस्तान
में ही बुद्ध भगवान पैदा हुए। उनकी कितनी छोटी रियासत थी। वह रियासत भी
उन्होंने छोड़ दी। अपने पास न बन्दूक रखी, न तोप रखी। लेकिन हिन्दुस्तान के
बाहर तक वह पहुँच गए। वह चीन और जापान तक पहुँच गए। वह सीलोन में पहुँचे,
बर्मा में पहुँचे। आप क्यों घबराते हो?
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