बहुभागीय पुस्तकें >> राम कथा - साक्षात्कार राम कथा - साक्षात्कारनरेन्द्र कोहली
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राम कथा पर आधारित उपन्यास, चौथा सोपान
''आर्य जटायु को सूचित करो कि अनिन्द्य और उसकीं टोली को यहां मेरे पास भेज दिया जाए। उन्हें वहां न बसाया जाए।''
थोड़ी ही देर में अनिन्द्य अपने साथी सैनिकों के साथ उनके समुख खड़ा था। राम ने खड़े होकर उनके अभिवादन का उत्तर दिया और गद्गद कंठ से कहा, "मेरी जन-सेना की पहली टुकड़ी के वीरो! तुम्हारा स्वागत है।"
"आदेश दें!"
"तुम लोग आश्रम में रहोगे और केन्द्रीय जल-व्यवस्था तुम्हारे पास होगी।" राम बोले, "तुम्हें तथा तुम्हारे साथियों को युद्ध की अवधि में भी सैनिकों तक जल पहुंचाने के लिए जाना होगा। गोदावरी के उन घाटों को किसी भी मूल्य पर अपने अधिकार में रखना होगा, जो आश्रम, के निकट पड़ते हैं, अथवा जहां से स्वच्छ जल प्राप्त करना हमारे लिए सुविधाजनक है। काम कठिन है; और संभव है, राक्षस सेना कभी घेराबंदी करे-तब तुम्हारा कार्य कठिनतर हो जाएगा। सोच लो।"
अनिन्द्य मुस्कराया, "कठिन कार्य सौंपकर, आपने हमारे प्रति अपने विश्वास और स्नेह का प्रमाण दिया है; और जहां तक कठिनाई की बात है, आप निश्चिंत रहे -हमें चुनौतियों का साक्षात्कार करने का प्रशिक्षण सीधे राम से प्राप्त करने का गर्व है।"
राम हंसे, "युद्ध-कौशल के साथ-साथ तुमने वाक्-चातुर्य भी अर्जित किया है।" अनिच्छ भी हंसता हुआ उठ गया।
उल्लास मणि तथा आदित्य से मिलकर लौट आया।
"क्या समाचार लाए?"
"कुछ समझ नहीं पाया, राम!" वह बोला, "मणि का कहना है कि सैनिकों की किसी भी आवश्यकता की पूर्ति के लिए खर के सैनिक जाते हैं, शूर्पणखा के अंगरक्षक नहीं। दूध प्राप्त करने कें लिए अंगरक्षक गए हैं, तो उसका अर्थ है कि दूध शपर्णखा की निजी आवश्यकता के लिए चाहिए। शूर्पणखा की निजी आवश्यकता क्या हो सकती है? वह इतना दूध पी नहीँ सकती। मणि का कहना है कि शूर्पणखा जब अपनी कामेच्छा के हाथों, उन्मादिनी हो जाने की सीमा तक पीड़ित होती है, तब असाधारण श्रृंगार की पूर्व-भूमिका के रूप में दूध-स्नान करती है।" उल्लास सांस लेने के लिए रुका, "आदित्य कोई सूचना तो नहीं दे सका, किंतु इस बात की पुष्टि उसने अवश्य की है कि शूर्पणखा के प्रासाद में दूध-स्नान के लिए एक सरोवर अवश्य बना हुआ है।"
राम कुछ सोचते रहे, और फिर मुस्कराए, "ठीक है! बात स्पष्ट है। आज शूर्पणखा का विशिष्ट श्रृंगार-समारोह है। वह आज दूध-स्नान करेगी।"
"किंतु क्यों?"
"उसे रहने दो।" राम बोले, "तुम सौमित्र को सूचित कर दो कि संभवतः आज शूर्पणखा उनसे भेंट करने आये। वे मनोबल और शस्त्र-बल से तैयार रहें।"
"कोई विशेष बात है?" उल्लास ने चकित होकर पूछा।
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