बहुभागीय पुस्तकें >> राम कथा - साक्षात्कार राम कथा - साक्षात्कारनरेन्द्र कोहली
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राम कथा पर आधारित उपन्यास, चौथा सोपान
तीसरे संदेशवाहक से बोले, ''जिन ग्रामो में संघर्ष हुए हैं, वहां के हताहतों को उठवाकर यहां लाने का प्रबंध करवाओ, तुरंत।''
चौथे को उन्होंने कहा, ''सीता से कहो, शल्य-चिकित्सा की तत्काल व्यवस्था करें। अनेक घायलों की पट्टी करनी होगी।''
चारों संदेशवाहकों को भेजकर वे उल्लास की ओर मुड़े, ''दूध का क्या झगड़ा है? वर्षों से प्रतिदिन ढेरों दूध शूर्पणखा के अंगरक्षक निःशुल्क ले जाते हैं, अब क्या झगड़ा है?''
''मैंने पता लगाया है।'' उल्लास बोला, ''पहले दूध की एक निश्चित मात्रा जाती थी, किंतु आज वे सारा का सारा दूध छीन रहे हैं। यहां तक कि बच्चों के लिए भी थोड़ा-सा दूध वे छोड़ना नहीं चाहते।''
''बात क्या है?'' राम जैसे अपने-आपसे पूछ रहे थे, हमें ऐसी कोई सूचना नहीं मिली, जिससे आभास हो कि स्कंधावार में सैनिकों की संख्या बढ़ रही है या किसी अन्य कारण से उन्हें दूध की अधिक आवश्यकता है।...सहसा वे उल्लास से संबोधित हुए, ''तुमने मणि से पूछा कि इसका क्या कारण हो सकता है?''
''मैं तो सीधा आपको सूचना देने चला आया।'' उल्लास बोला, ''मुणि से मेरी बात ही नहीं हुई।''
''अच्छा तो ऐसा करो,'' राम कुछ सोचते हुए बोले, ''एक तो तुम मणि से पूछो, दूसरे आदित्य से। आदित्य को जानते हो न, वह सुंदर और बलिष्ठ युवक, जिसे शूर्पणखा ने माली बना रखा था। वह आर्य जटायु की टोली में होगा। आशा है, इन दोनों में से किसी से दूध की आवश्यकता का कारण मालूम हो जाएगा। यह सूचना हमारे लिए बहुत महत्व की है।''
उल्लास चला गया और राम पुनः अपने काम में लग गए। सूचनाओं का प्रवाह बढ़ता जा रहा था। जैसे-जैसे दिन चढ़ता जा रहा था, कार्य का विस्तार भी वृद्धि पा रहा था।
सीता की ओर से सूचना आ गयी थी कि घायलों के उपचार की समुचित व्यवस्था है-रोगियों के आते ही उपचार हो जाएगा। ग्राम से लौटे हुए संदेशवाहक ने भी बताया था कि घायलों को लेकर लोग चल चुके हैं-थोड़ी देर तक वे लोग आश्रम में आ पहुंचेंगे।
और इस सबके मध्य भी, बार-बार राम के मन में प्रश्न उठता था कि शूर्पणखा को आज इतने अधिक दूध की आवश्यकता क्यों पड़ी?...अधिक अतिथि आ गए हैं? नये व्यंजन बनने हैं? लंका से नयी सैनिक टुकड़ियां आयी हैं? अथवा यह अत्याचारियों की सनक मात्र है?...
तभी संदेशवाहक के मुख से नयी आने बाली टोली के नायक का नाम सुनकर राम चौंके, ''कौन अनिन्द्य?''
''हां, आर्य!''
''धर्मभृत्य के आश्रम के साथ वाली धातु-खान वाली बस्ती से?''
''हां, आर्य!''
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