बहुभागीय पुस्तकें >> राम कथा - साक्षात्कार राम कथा - साक्षात्कारनरेन्द्र कोहली
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राम कथा पर आधारित उपन्यास, चौथा सोपान
राम, आश्रम में अपनी कुटिया के सम्मुख ही आसन जमाए बैठे थे। उनके पास निरंतर सूचनाएं पहुंच रही थी...कहां-कहां से जन-सैनिक आ गए हैं। कौन-सी टोली किस ढूह पर बसायी गयी है। कहां-कहां अन्न तथा शस्त्रों का निरीक्षण हो चुका है। कहां-कहां पर संचार-व्यवस्था स्थापित हो गयी है।...वे अपने सम्मुख पंचवटी क्षेत्र का बड़ा सा मानचित्र बिछाए बैठे थे। जिस-जिस ढूह पर सैनिक बसते जा रहे थे, उसे वे चिन्हित करते जाते थे...
प्रत्येक नयी सूचना को वे बड़ी ललक के साश ग्रहण करते थे फिर भी उनके मन में अभी एक प्रतीक्षा बनी हुई थी...अगली सूचना लाने वाले की ओर उन्होंने देखा-यह उल्लास था; मणि का पति।
''एक सूचना लाया हूं।'' अभिवादन के पश्चात् वह बोला।
''मेरे ज्ञान के अनुसार, तुम आज के संदेश-वाहकों में से नहीं हो।''
''नहीं हूं। किंतु यह कुछ अन्य सूत्रों से प्राप्त भिन्न सूचना है।''
''बच्चे का स्वास्थ्य कैसा है?'' राम ने पूछा।
''पहले से बहुत सुधरा है।'' वह मुस्कराया ''किंतु सूचना बच्चे के विषय में नहीं है।''
''बोलो।''
'प्रातः से अब तक तीन ग्रामों में ग्रामीणों तथा शूर्पणखा के अंगरक्षकों में सशस्त्र झड़पें हो चुकी हैं। यह संयोग है कि लक्ष्मण ने कल ही इन
सब ग्रामों में शस्त्र वितरण का कार्य समाप्त किया और आज शूर्पणखा के अंगरक्षक वहां आ पहुंचे।''
''क्या वे शस्त्र छीनने आए हैं?"
"नहीं!'' उल्लास बोला, "वे लोग उनका दूध छीन रहे हैं। ग्रामीणों ने दूध देना अस्वीकार किया तो अंगरक्षकों ने शस्त्र निकाल लिए। अब तक ग्रामीणों के पास शस्त्र नहीं थे, वे भयभीत हो जाया करते थे, किंतु आज वे भी सशस्त्र थे, अतः संघर्ष हो गया।''
''कोई घायल हुआ?"
''अनेक! दो अंगरक्षक भी मारे गए हैं।''
राम ने संदेशवाहकों की टोली की ओर देखा। एक संदेशवाहक निकट आया।
"मुखर से कहो कि निकट के समस्त ग्रामों को सूचित कर दे कि शूर्पणखा के अंगरक्षक उनसे बलात् दूध छीनने आएंगे। अतः वे लोग सन्नद्ध रहें। जाओ।''
दूसरे संदेशवाहक को उन्होंने संदेश दिया, ''लक्ष्मण से कहो, जनवाहिनी की दो टोलियां ग्रामों के आसपास फैला दें और संघर्ष की स्थिति में वे तत्काल ग्रामीणों की सहायता करें-आदेश की प्रतीक्षा न करें। लक्ष्मण से यह भी कहो कि वे पहले से ही देख लें कि इन ग्रामों में शस्त्रों की कमी न हो।''
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