जीवनी/आत्मकथा >> मुझे घर ले चलो मुझे घर ले चलोतसलीमा नसरीन
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औरत की आज़ादी में धर्म और पुरुष-सत्ता सबसे बड़ी बाधा बनती है-बेहद साफ़गोई से इसके समर्थन में, बेबाक बयान
एक दिन इयगंन ने कहा- "चलो, काई फ़िल्म देख आएँ।"
रात का शो! ग्रँड नामक सिनेमा हॉल में, स्टीवन स्पिलवर्ग की फ़िल्म 'सिंडलर्स लिस्ट' देख आई। वह फ़िल्म मुझे वेहद पसन्द आई। यूरोप में किसी हॉल में जाकर फ़िल्म देखने का यह पहला मौका था। यहाँ के हॉल, हमारे देश के हॉल जैसे नहीं होने। यहाँ निचले और ऊपरी कक्ष में कई सौ दर्शकों को बिठाकर फ़िल्म दिखाने की कोई योजना नहीं है। वस, कुछेक कृतियाँ विछी हई! कमरा भी खात बड़ा नहीं होता। छोटा-सा कमरा? छोटी-सी स्क्रीन! छोटी-छोटी कुर्सियाँ ! चूँकि शहर में अनागेनत हॉल है, इसलिए भीड़-भड़क्के की कोई समस्या नहीं है। 'सिंडलसं लिस्ट' फ़िल्म देखकर, जव में पैदल-पैदल गाड़ी की तरफ जा रही थी, एक स्मृति फलक पर मरो नज़र पड़ी। यह फलक ठीक उसी जगह स्थित था, जहाँ वल्फ पालम की हत्या हुई थी। फलक फुटपाथ पर स्थित था। नीचे के हिस्से में नाम खदा हुआ था वुल्फ पालमे! वुल्फ पालम स्वीडन के बेहद लोकप्रिय प्रधानमन्त्री थे। बिना किसी सुरक्षा-प्रहरी के व इत्मीनान से घूमते-फिरते थे। दो जन फ़िल्म देखने आए थे! वे और उनकी बीवी! अचानक काई अनजान आदमी प्रकट हआ! वह अकला हा था। उसन वल्फ पालम के पेट में दो वार गोलियां दागीं। पुलिस आज तक खुनी को गिरफ्तार नहीं कर पाई। एक दिन संयुक्त राष्ट्र के किसी कार्यक्रम का आमंत्रण पाकर कुछ देर के लिए मैं वहाँ गई थी। मुझे देखते ही एक महिला दौड़कर मर करीव आ पहुंची। जपना परिचय दकर उन्हाने वताया कि व वुल्फ पालम का वावा है-लसवज्या! आजकल वं संयुक्त राष्ट्र में शिशु-उन्नयन का काम करती हैं। वह भद्र महिला धाराप्रवाह लहजे में पूरा किरसा वयान कर गईं कि उनके पति की हत्या किसने की, ये जानती हैं। उसे उन्होंने देखा है। घोर शरावी जीव था-क्रिस्टर पीटर्सन ! इस दिन वे अपने पति के साथ ही थीं। थाने में जाकर, एक दिन वे उस आदमी की शिनाख्त भी कर आईं, जिसने उनके पति का खून किया था। लेकिन उनके बयान को कोई अहमियत नहीं दी गई। किसी ने भी उनकी बातों पर विश्वास नहीं किया। आततायी को रिहाई मिल गई। अब वह आराम से बहाल-तबीयत रहता है। लिसवेज्या ने दुःखभरी लम्बी उसाँस भरी! उस वक्त तक मैं वुल्फ पालमे के बारे में ज़्यादा कुछ नहीं जानती थी। वाद मैं मुझे उनके बारे में और भी जानकारी मिली । मुझे पता चला कि पालमे अमेरिका के कटु समालोचक थे। खासकर वियतनाम युद्ध के! उनके ज़माने में स्वीडन में, अमेरिका का कोई दूतावास नहीं था। वे दक्षिणी अफ्रीका की एपार्थेड प्रणाली की घोर निन्दा किया करते थे। वे मंडेला पक्ष के अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस की तरह-तरह से मदद भी किया करते थे। वे एपार्थेड सरकार को जिसका और एक नाम, ‘इम्बार्गो' भी था, अर्थनतिक दंड देने की बात करते रहे। वे पैलेस्टाइन लिवरेशन आर्मी, पी. एल.ओ. के समर्थक थे। पालमे क्यूबा जाकर फिदेल कास्त्रो से भी मुलाक़ात कर आए थे। चरम दक्षिण पंथियों के वे घोर शत्रु थे। सन् उन्नीस सौ छियासी में पालमे की हत्या के कुछ ही दिनों पहले यह ख़बर सरगर्म थी कि पालमे का सोवियत यूनियन से कोई गुप्त रिश्ता है। स्टॉकहोम में जो सरोवर स्थित है, उस मालारेन सरोवर के जल में रह-रहकर लहरें उठती रहती हैं। स्वीडनवासियों ने गौर किया है कि कभी-कभी उस जल में कुछ हिलता रहता है। उन लोगों का खयाल है कि वहाँ सोवियत सवमैरीन मौजूद है। स्वीडनवासी इसी संशय में कई युग गुजार चुके हैं। जल में स्थित इस सबमैरीन के बारे में बताने के लिए वुल्फ पालमे पर एक किस्म का दवाव डाला जा रहा था। वैसे कई सालों बाद यह पता चला कि जल में कोई सवमैरीन स्थित नहीं है। पानी में एक किस्म के समुद्री जीव मौजूद थे, उनके हिलने-डुलने से ही हलचल होने लगती थी। अजीव वात है! पालमे के आततायी को आज तक कोई गिरफ्तार नहीं कर पाया। वैसे कई तरह के विचार ज़ाहिर किए जाते रहे हैं। मसलन किसी वेहद चरमपंथी ने यह हत्या कराई है या दक्षिण अफ्रीका की एपार्थेड सरकार ने खून कराया है या पी.के. के कुर्दिस्तान के स्वतंत्रता संग्रामी दल ने यह हत्या कराई है या किसी शरावी, अर्ध विक्षिप्त इंसान ने उनका खून कराया है। इनमें से कोई भी ख़याल अंत तक सावित नहीं कर पाया। वुल्फ पालमे का खूनी भी कहीं वहाल तबीयत जिन्दा है।
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