जीवनी/आत्मकथा >> मुझे घर ले चलो मुझे घर ले चलोतसलीमा नसरीन
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औरत की आज़ादी में धर्म और पुरुष-सत्ता सबसे बड़ी बाधा बनती है-बेहद साफ़गोई से इसके समर्थन में, बेबाक बयान
आन्तोलेना ने बताया, “यह सिसिली का सबसे बड़ा थियेटर है-मासिमो थियेटर! इसके पुनर्निमाण का काम सन् पचहत्तर से शुरू हुआ था, लेकिन वह काम आज तक पूरा नहीं हुआ है। तुमने तो अपने देश की लज्जा के बारे में किताब लिखी है। हमारे सिसिली की अनेक लज्जा है। उनमें से एक लज्जा यह भी है कि बीस सालों में भी थियेटर के रेस्टोरेशन का काम पूरा नहीं हुआ।"
समूची सिसिली के घर-मकानों पर नॉर्मन आर्किटेक्चर! लाइमस्टोन में गढ़े हुए, ग्रीक लोगों के मंदिर! घोड़े की खुर जैसे गुंबद! दीवारों पर बाइजांटिन लोगों के सुनहरे मोजैक!
सबरीना ने बताया, "सिर्फ कला और स्थापत्य ही नहीं, सामाजिक आचार-अनुष्ठानों में, दैन्यदिन जीवन में भी वे लोग अपना जबर्दस्त प्रभाव छोड़ गए हैं।"
"वो कैसे?" मैंने सवाल किया।
लेकिन इसका जवाब सुनने का वक्त नहीं मिला। पियात्सा प्रेतोरिया, पियात्सा बोलिनी बने, ला मारतोराना गिरजाघर के सामने मैं अचरज से मुँह बाए खड़ी रही। प्रभाव-ट्रभाव की बात बिल्कुल भूल ही गई। सिसिली के राजा रोजर द्वितीय के एक-एक एडमिरल ने यह गिरजा सन् 1143 में बनवाया था। सुनहरे बाइजान्टिन-मोज़ैक की कारीगरी देखकर इंसान विस्मय-विमुग्ध हो जाता है। उस जमाने के राजा-रजवाड़ों के बँधे-बँधाए मूर्तिकारों ने अपनी पेंटिंग में ईशू या मेरी के पैरों तले राजा और उनके परिवार वालों के चेहरे भी आँकते थे। मैंने देखा, इस गिरजे की समूची दीवार पर मोजेक में बाइबिल की कहानी बयान करते हुए एक जगह खुद ईशू रॉजर द्वितीय को मुकुट पहनाते हुए दिखाया गया है और एडमिरल मेरी के सामने घुटनों के बल बैठे हुए हैं। सिसिली में देखने लायक एक-दो नहीं, अनगिनत गिरजाघर हैं। धर्म के घर-मकान देखने के पीछे, मेरे अंदर कोई धार्मिक मनोभाव काम नहीं करता। मैं तो पुरानी स्थापत्य कला और कला की खूबसूरती देखने के ख्याल से जाती हूँ। बारहवीं सदी के सन कैतालदो गिरजा की मूरिश कला और स्थापत्य की कारीगरी देखने का भला क्यों मन नहीं करेगा? मैं एक गिरजे से दूसरे गिरजे तक डाँव-डाँव घूमती फिरी। फटी-फटी आँखों से यह सब कला-सौंदर्य निगलती रहती हूँ। कैथेड्रल, जिसे इतालवी लोग 'कैतिद्राले' कहते हैं, यह भी बारहवीं सदी में निर्मित है और सिसिलियन-नॉर्मन स्टाइल में गढ़ा गया है। कैथेड्रल के भीतर राजा फ्रेडरिक द्वितीय और हुहेनस्टाउफेन, ऐनगेविन शासकों की कब्र है। हुहेनस्टाउफेन ही सिसिली में गॉथिक स्टाइल लाए थे।
मैंने सबरीना से सवाल किया, “कौन-सी सदी में बताओ तो?"
"तेरहवीं सदी में!" सवरीना ने तजुर्वेकार इतिहासकार की तरह शांत लहजे में जवाब दिया।
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