मनोरंजक कथाएँ >> अद्भुत द्वीप अद्भुत द्वीपश्रीकान्त व्यास
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जे.आर.विस के प्रसिद्ध उपन्यास स्विस फेमिली रॉबिन्सन का सरल हिन्दी रूपान्तर...
उस नई जगह पर हम लगभग दो सप्ताह रहे। एक पेड़ का तना काटकर हमने शिकार करने काबिल एक नाव भी बना ली थी। बरसात के दिन पास आ गए थे, अत: हम उस नाव को लेकर सुरक्षा-तट पर वापस लौट आए। बरसात से बचाव के लिए अब हमें अपने गुफाघर में ऐसी सारी तैयारियां पूरी कर लेनी थीं कि इधर-उधर भटकना न पड़े। एक दिन शाम को बैठकर हमने आपस में सलाह-मशविरा किया। ऐसे सारे कामों की एक सूची तैयार की, जो हमें गुफाघर में करने थे। इस बात का हमने पूरा ध्यान रखा कि कोई छोटी-से-छोटी बात भी छूटने न पाए। जब सारी बातें तय हो गई तो हम सब लोगों ने आपस में काम बांट लिए और उन्हें पूरा करने में जुट गए। इस तरह, बिना किसी परेशानी और भागदौड़ के हम लोगों ने सारे काम निबटा लिए और गुफाघर में आ गए।
गुफाघर में आने के पहले ही दिन मैंने महसूस किया कि अब हम दुनिया के किसी भी सुखी परिवार से टक्कर ले सकते हें। हमें इस बात का भी संतोष था कि यह सब कुछ हमने अपने साहस, अपने बाजुओं और अपनी बुद्धि के बल पर जुटाया है।
उसी दिन शाम को हम सब लोग बड़े कमरे मे एकत्र हुए। सबके चेहरे प्रसन्नता से चमक रहे थे और होंठ विजय की मुस्कान से खिले हुए थे। मैंने कहा, ''आज तो हम लोगों को खुशियां मनानी चाहिए। इस नये महलनुमा मकान मे आने की खुशी में कुछ गीत-संगीत होना चाहिए। क्यों जैक ठीक है न ?''
मेरे कहने भर की देर थी कि जैक और फ्रांसिस अपनी-अपनी बांसुरी ले आए। उस गुफा घर में बांसुरी की तानें गूंज उठीं। यह देखकर मेरी पत्नी भी चुप बैठी न रह सकी। उसने बांसुरी की तान के साथ अपने सुरीले गले से एक गीत छेड़ दिया। इस तरह काफी देर तक संगीत और गायन का कार्यक्रम चलता रहा।
जब गायन समाप्त हुआ तो मैंने कहा, ''इस टापू पर आए आज हमें पूरे दो साल हो रहे हैं। इस बीच हम लगातार मेहनत करते रहे हैं। उसी मेहनत का यह नतीजा है कि सुनसान टापू में भी आज हम दुनिया के धनी आदमियों जैसी जिंदगी बिता सकते हैं। इसलिए मेरी इच्छा है कि कल हम लोग एक जलसे का आयोजन करें और शानदार ढंग से अपनी जीत की खुशी मनाएं।''
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