मनोरंजक कथाएँ >> अद्भुत द्वीप अद्भुत द्वीपश्रीकान्त व्यास
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जे.आर.विस के प्रसिद्ध उपन्यास स्विस फेमिली रॉबिन्सन का सरल हिन्दी रूपान्तर...
मचान बनाने के बाद हमने जमीन पर अपने जानवरों के लिए एक बहुत बड़ा झोपड़ा भी बनाया। उसको कइ हिस्सो में बांटा गया था। एक् हिस्से में मुर्गियों का दड़बा था, एक बड़े हिस्से में बकरी और भेड़ों के खूंटे थे और एक हिस्से में उनके दाने और चारे की व्यवस्था थी। मचान के ऊपर अपने आराम के लिए हमने रुई के बने दो गुदगुदे गद्दे बिछा रखे थे, ताकि जब भी हमें वहां रात गुजारनी हो तो तकलीफ न हो।
मचान और झोंपड़े का काम निबटाने के बाद अर्नेस्ट और मुझको छोड़कर बाकी लोग वापस लौट गए। मेरी इच्छा यह थी कि आस-पड़ोस की जगहों की थोड़ी छान-बीन और करनी चाहिए। इसलिए हम दोनों रुक गए थे। हालांकि अर्नेस्ट अपने दूसरे भाइयों जैसा चतुर-चालाक न था, लेकिन उसकी निगाह बड़ी तेज थी और स्वभाव बड़ा ही शांत। इस बात की भी उसे हर समय ललक रहती थी कि नई से नई चीजों की जानकारी प्राप्त करे। इसीलिए मैंने उसे अपने पास रोक लिया था।
खोजबीन के दौरान हमें एक बहुत ही खूबसूरत झील दिखाई दी। उसे देखते ही मुझे अपने देश स्विट्जरलैंड की एक अत्यंत प्रसिद्ध झील की याद हो आई। यह भी हूबहू उसी के जैसी थी। इसलिए बहुत रोकने के बाद भी मेरी आँखों में आँसू छलछला आए। भला ऐसा कौन अभागा आदमी होगा जो अपनी मातृभूमि से दूर होकर भी उसकी याद आने पर रो न पड़े। और फिर, हमें तो अब वापस लौटने की भी कोई उम्मीद न थी। इसीलिए मुझे अपने देश की याद काफी देर तक परेशान करती रही।
उस झील में बहुत-से हंस भी तैरते दिखाई दिए। लेकिन वे दूसरे हंसों जैसे सफेद न थे। उनका रंग काला था। अचानक मुझे याद आया कि काले हंस आस्ट्रेलिया में काफी पाए जाते हैं। वे कतार बांधे हुए झील में तैर रहे थे। अर्नेस्ट उनका शिकार करना चाहता था, लेकिन मैंने रोक दिया। वे इतने प्यारे लग रहे थे कि उन्हें मारने की बात मैं सोच तक न सकता था।
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