बहुभागीय पुस्तकें >> भूतनाथ - भाग 1 भूतनाथ - भाग 1देवकीनन्दन खत्री
|
42 पाठक हैं |
भूतनाथ - भाग 1
गुलाब: (कुछ सोच कर) अच्छा, अगर तुम लोग हमारा साथ देना ही चाहते हो तो जो कुछ हम कहते हैं उसे करो. यहाँ से इसी समय चले जाओ, (नौजवान की तरफ बता कर) इनके मकान में जिसे राजा साहब ने जब्त कर लिया है रात के समय जिस तरह सम्भव हो घुस कर जहाँ तक दौलत हाथ लगे और उठा सको निकाल कर ले आओ और पिपलिया घाटी में जहां का पता तुम लोगों को मालूम है हमसे मिलो, अगर वहाँ हमसे मुलाकात न हो तो टिक कर हमारा इन्तजार करो.
गुलाबसिंह की बात सुन कर उसके साथियों ने जो आज्ञा कह कर सलाम किया और वहाँ से चले गए. उनके जाने के बाद गुलाबसिंह ने नौजवान से कहा, इस समय इन लोगों को बिदा कर देना ही मैंने उचित जाना. यद्यपि ये लोग मेरे साथ रहने में प्रसन्नता प्रकट करते हैं परन्तु कुछ टेढ़ा काम लेकर जाँच कर लेना जरूरी है.
नौजवान: ठीक है, तुम्हारे ऐसे होशियार आदमी के लिए यह कोई नई बात नहीं है.
गुलाब.: अच्छा अब यह बताइए कि आपको मुझ पर विश्वास है या नहीं ? या इस विषय में आपको कुछ जांच करने की आवश्यकता है ?
नौज.: नहीं-नहीं, मुझे कुछ जांच करने की जरूरत नहीं है, मुझे तुम पर पूरा-पूरा विश्वास और भरोसा है, मैं तुमसे मिलकर बहुत ही प्रसन्न हुआ. ऐसी अवस्था में यकायक सामना हो जाने पर भी मुझे किसी तरह का खुटका नहीं हुआ था.
गुलाब: ईश्वर आपका मंगल करे, अब कृपा कर यह बताइए कि आप मुझे अकेले क्यों दिखाई देते हैं और अब आपका इरादा क्या है ?
नौज.: मैं अकेला नहीं हूँ, मेरी स्त्री भी मेरे साथ है (हाथ का इशारा करके) उस पहाड़ी के ऊपर उसे अकेला छोड़ आया हूँ. हम दोनों आदमी वहाँ बैठे अपने नौकरों का इंतजार कर रहे थे कि यकायक तुम लोगों पर निगाह पड़ी, अस्तु उसे उसी जगह छोड़ कर तुम लोगों का पता लगाने के लिए मैं नीचे उतर आया था, अब तुम मेरे साथ वहाँ चलो और उससे मिलो, वह तुम्हें देखकर बहुत ही प्रसन्न होगी. इस आफत में भी वह तुम्हें बराबर याद करती रही.
गुलाब.: चलिए, शीघ्र चलिए.
गुलाबसिंह को साथ लेकर नौजवान उस तरफ रवाना हुआ जहाँ अपनी स्त्री को अकेला छोड़ आया था.
गुलाबसिंह क्षत्री खानदान का एक बहादुर और ताकतवर आदमी था, वह बहुत ही नेक, रहमदिल और धर्म का सच्चा पक्षपाती था, साथ-ही-साथ वह बदमाशों की चालबाजियों को खूब समझता था और अच्छे लोगों में से बेईमानों और दगाबाजों को छाँट निकालने में भी विचित्र कारीगर था. वह उस नौजवान और उसकी स्त्री से सच्ची मुहब्बत और हमदर्दी रखता था. जिसका बहुत बड़ा सबब यह था कि उस स्त्री के पिता ने बहुत संकट के समय गुलाबसिंह की सच्ची सहायता की थी और गुलाबसिंह को लड़के की तरह मानता था.
इस जगह पर इस नौजवान और इसकी सुशीला स्त्री का नाम खोल देना उचित समझते हैं, मगर इस बात को अभी न खोलेंगे कि ये दोनों कौन हैं और इनके इस तरह बेसरोसामान भागने का सबब क्या है.
नौजवान का नाम प्रभाकरसिंह है और स्त्री का नाम इन्दुमति. प्रभाकरसिंह की शादी इन्दुमति के साथ भये हुए आज एक वर्ष और सात महीने हो चुके हैं.
उलझाने वाले किस्से आगे यहाँ पढ़ें
|