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मनोरंजक कथाएँ >> अलादीन औऱ जादुई चिराग

अलादीन औऱ जादुई चिराग

ए.एच.डब्यू. सावन

प्रकाशक : मनोज पब्लिकेशन प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :16
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4779
आईएसबीएन :81-310-0200-4

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अलादीन की रोचक एवं मनोरंजक कहानी का वर्णन


फिर रईसा अपने घर की ओर चल दी। रहमान उसे जाता देखता रहा।
फिर वह अंगूठी के जिन्न से बोला“मुझे फौरन पाताल लोक ले चलो।”
उसका हुक्म सुनकर जिन्न ने जमीन पर पैर मारा। एक धमाके के साथ जमीन फट गई। जिन्न रहमान के साथ उसमें समा गया।
रहमान इस समय जादूगर सम्राट बैसूफा के सामने खड़ा था। उसे देखकर बैसूफा ने जोरदार अट्टाहस लगाया और आगे बढ़कर उसे गले लगाते हुए बोला- “मैं जानता हूँ, तुम कामयाब होकर ही लौटे हो। जादुई आईने के जरिये। मुझे एक-एक बात की खबर मिल रही थी। आज मेरी जिन्दगी का सबसे। बड़ा खुशी का दिन है। आज जादुई चिराग भी मेरे हाथ आ गया और अलादीन की बरबादी के दिन भी शुरू हो गये।”
उसकी बात सुनकर वहाँ खड़े जादूगर सेनसन ने भी ठहाका लगाया।
रहमान भी बहुत खुश था। अब वह खुद को बगदाद के बादशाह के रूप में देख रहा था।
जादूगर सेनसन ने रहमान से चिराग ले लिया और उसे घिसा। चिराग के घिसते ही उसमें से जिन्नों का सम्राट प्रकट हुआ और बोला-“क्या हुक्म है मेरे आका?”
सेनसन बोला-“जाओ, अपनी सेना लेकर जाओ और अलादीन तथा उसकी बीवी को बंदी बनाकर ले आओ। कोई तुम्हारे मुकाबले में आये तो उसे खत्म कर दो।”
जिन्न बोला-“जो हुक्म मेरे आका।” यह कहकर जिन्न वहाँ से चला गया।
अलादीन और शहजादी नूरमहल को सेनसन ने बंदी बना लिया था। इस वक्त दोनों पाताल लोक में एक बंदीघर में कैद थे। सेनसन उन्हें रोज मारता-पीटता था और खाना भी नहीं देता था। उन्हें बड़ी भयंकर कैद में रखा गया था। एक दिन सेनसन उन दोनों को पकड़कर महा जादूगर बैसूफा के सामने ले गया। बैसूफा एक तख्त पर बैठा हुक्का पी रहा था।
दोनों को देखकर वैसूफा बोला-“तो यह हैं अलादीन और इसकी बेगम।”
"जी हाँ उस्ताद।” सेनसन सिर झुकाकर बोला।
“हूँ...?” बैसूफा अलादीन से मुखातिब होकर बोला-“हाँ तो अलादीन साहेब! आप यहाँ से छूटना चाहेंगे या सारी जिन्दगी यहीं कैदखाने में सड़ना चाहेंगे?”
तभी शहजादी बीच में बोल पड़ी-“हम बेकसूर हैं, हमें छोड़ दीजिये। हमने किसी को कुछ नहीं बिगाड़ा।”
“यह झूठ बोल रही है उस्ताद!” सेनसन चिल्लाया-“इसी ने मुझे जहर देकर मारा था।”
“तुम चुप रहो सेनसन!” बैसूफा बोला-“अगर अलादीन मुझे खुदा मान ले, तो हम इसे छोड़ सकते हैं।”
“तुझ जैसे जलील और गुनाहगार को मैं खुदा मान लूँ, जरा अपनी शक्ल तो देख मनहूस। कहाँ रसूले-पाक और कहाँ तू।”.अलादीन जमीन पर थूकते हुए बोला।

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