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मनोरंजक कथाएँ >> अलादीन औऱ जादुई चिराग

अलादीन औऱ जादुई चिराग

ए.एच.डब्यू. सावन

प्रकाशक : मनोज पब्लिकेशन प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :16
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4779
आईएसबीएन :81-310-0200-4

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अलादीन की रोचक एवं मनोरंजक कहानी का वर्णन


रहमान बहुत थकावट महसूस कर रहा था। नाचते-नाचते उसके जिस्म का पोर-पोर.दुःख रहा था। थके-थके कदमों से वह अपने कमरे में पहुँचा और सांसें दुरुस्त करने लगा। इसके बाद उसने अपने जिस्म से भारी-भरकम पोशाक उतारी। उसी समय रईसी कमरे में दाखिल हुई–उसका चेहरा खुशी से खिला हुआ था। उसने आते ही रहमान के गले में बांहें डाल दीं। रहमान ने उत्सुकतावश पूछा-“क्या रहा, चिराग हाथ लगा?”
“मैं कामयाब होकर लौटी हूँ, मेरे सरताज!” रईसा बोली-“चिराग और अंगूठी दोनों ही इस वक्त मेरे पास हैं।”
“क...क्या कहा! सचमुच?” रहमान खुशी से उछल पड़ा और उतावला-सा होकर बोला-“कहाँ हैं, मुझे दिखाओ?”  रईसा ने अपने कपड़ों में से चिराग और अंगूठी निकालकर रहमान के आगे रख दीं। उन्हें देखकर रहमान की खुशी का ठिकाना ही न रहा। उसने रईसा के हाथ चूम लिये।
“मुझे डर लग रहा है कहीं हम पंकड़े न जायें। अगर हम पकड़े गये, तो हमारा अंजाम बहुत बुरा होगा।” अचानक रईसा डरकर बोली।
"अब तुम फिक्र मत करो रईसा!” रहमान तेजी के साथ कपड़े बदलता हुआ बोला-“जब तक चिराग हमारे पास है, हमारा कोई कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता।” .
पोशाक बदलकर रहमान ने चिराग एक थैले में डाला और अंगूठी पहनकर रईसा के साथं महल से बाहर आ गया। पहरेदार ने पूछा-“कौन है?"
“मैं हूँ मुए।” रहमान चाँदनी की आवाज में बोला-“जरा बाहर हवा खाने जा रही हूँ।”
हँसते हुए पहरेदार ने रास्ता छोड़ दिया। रईसा को लेकर रेहमान बाहर आया और कुछ दूर चलकर रईसा से बोली- “अब तुम कुछ दिनों के लिये अपने गांवं चली जाओ, क्योंकि यहाँ पर बहुत उथल-पुथल होने वाली है। जब सब काम ठीक-ठाक हो जायेगा तो मैं तुम्हें बुला लूंगा।”
“कहते तो तुम ठीक हो।” रईसा दुःखी होकर बोली-“लेकिन तुम्हारे बिना मेरा दिल कैसे लगेगा?”
“कुछ दिनों की ही तो बात है प्यारी, फिर तो तुम्हें बगदाद की महारानी बनकर रहना है। कुछ दिनों में सब ठीक हो जायेगा।” फिर बोला-“चलो, मैं तुम्हारे गांव तक तुम्हारे साथ चलता हूँ।”
जादूगर सम्राट से रहमान अंगूठी और चिराग का सारा राज जान चुका था। उसने अंगूठी को जमीन पर पटका, तो एक धमाके के साथ फौरन ही अंगूठी का जिन्न सामने प्रकट हो गया और बोला-“क्या हुक्म है मेरे आका?! आपका गुलाम आपकी खिदमत में हाजिर है।”
रईसा इतने भयंकर जिन्न को देखकर घबरा गई। वह डरकर रहमान से लिपट गई।

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