लोगों की राय

मनोरंजक कथाएँ >> अलादीन औऱ जादुई चिराग

अलादीन औऱ जादुई चिराग

ए.एच.डब्यू. सावन

प्रकाशक : मनोज पब्लिकेशन प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :16
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4779
आईएसबीएन :81-310-0200-4

Like this Hindi book 1 पाठकों को प्रिय

292 पाठक हैं

अलादीन की रोचक एवं मनोरंजक कहानी का वर्णन


रहमान को अब अपनी योजना कामयाब होती नजर आने लगी, चूंकि उसकी योजना में रईसा की अहम भूमिका थी, अतः रहमान ने उसका खास ख्याल रखना शुरू कर दिया। अब रईसा रात के वक्त रहमान के कमरे में ही रहती और रहमान के साथ मुहब्बत में डूब जाती। दूसरी दासियां यही समझती थीं कि चाँदनी से रईसा की गाढ़ी छनने लगी है, दोनों का आपस में बहुत लगाव हो गया है।
चूंकि यह बात किसी को भी मालूम नहीं थी कि रहमान उर्फ चाँदनी असल में हिजड़ा नहीं है, बल्कि एक मर्द है, इसलिये किसी के दिमाग में कोई शक वाली बात पैदा नहीं हुई। चाँदनी तथा रईस एक कमरे में बंद रहकर एक-दूसरे से मुहब्बत करते रहते। रईसा रहमान से खुश थी और रहमान रईसा से।
रहमान रईसा का इस्तेमाल अलादीन के चंगुल से जादुई चिराग पाने के लिये करना चाहता था। रईसा की पहुँच अलादीन के कमरे तक थी, अतःरहमान रईसा के जरिये चिराग हासिल कर सकता था।
रईसा उसके वश में थी। वह जो भी काम कहे, रईसा ना नहीं कह सकती। थी, क्योंकि इन सब बातों में रईसा की गरज भी थी। वह गरज थी बगदाद की मलिका बनने की रईसा की निगाहों में रात-दिन मॅलिका बनने के ख्वाब सजने लगे। मलिका बनने की चाहत ने उसे पागल-सा कर दिया था। वह भूल चुकी थी कि जिसका उसने नमक खाया है, वह उसी से दगा करने जा रही है। उसे अपने मालिक का नहीं बल्कि रहमान का ख्याल था।
एक रात रहमान ने रईसा से कहा-“अलादीन से चिराग हासिल करने क्री एक तरकीब मेरे दिमाग में आयी है। अगर तुम मेरा साथ दो तो हम अलादीन से चिराग हासिल कर सकते हैं।”
“मैं तो तुम्हारी ही हो चुकी हूँ मेरे महबूब!” रईसा प्यार से बोली-“जैसा तुम कहोगे, मैं वैसा ही करने को तैयार हूँ।”
“ठीक है।” रहमान खुश होकर बोला-“हर रात को अलादीन दूध पीकर सोता हैं और दूध उसके पलंग के सिरहाने रखा जाता है। अगर तुम उसके दूध में बेहोशी की दवा मिला. दो, तो हमारा काम आसान बन जायेगा।”
“वह कैसे?”
“सुनो, कल रात को तुम उसके पीने वाले दूध में चुपके से बेहोशी की दवा मिला देना। सोने से पहले अलादीन दूध पीयेगा और बेहोश हो जायेगा। उसके बेहोश होने के दो-तीन घंटे बाद तुम चुपके से उसके कमरे में जाकर उसके तकिए के नीचे से चाबियों का गुच्छा निकाल लाना। उसके बाद उसके सिरहाने रखी अलमारी से चिराग निकालने के बाद तुम बेहोश अलादीन के हाथ की अंगुली में से जादुई अंगूठी भी निकाल लेना। बस इतना-सा काम करने के बाद हमारी योजना कामयाब हो जायेगी। चिराग के जिन्न के बल पर मैं अलादीन को हराकर बगदाद का बादशाह बन जाऊंगा और तुम मेरी बेगम; यानि बगदाद की मलिका।”
रहमान की बातें सुनकर रईसा की आंखों में मक्कारी की चमक उभरने लगी। मलिका बनने के लालच में उसके अन्दर जोश भर दिया था। वह बोली-“काम तो बहुत खतरनाक है, लेकिन मैं इस काम को जरूर करूंगी। अपनी जिन्दगी संवारने का मेरे लिये इससे अच्छा मौका और कोई हो ही नहीं सकता।”
रहमान रईसा को अपने सीने से लगाकर बोला-“अब वह दिन दूर नहीं रईसा, जब हम दोनों बगदाद पर राज करेंगे। लोग हमें बादशाह और तुम्हें मलिका कहकर पुकारेंगे। हमारे बच्चे शहजादे कहलायेंगे। इसके बाद हमारी जिन्दगी में कोई गम नहीं रह जायेगा। हमारे चारों ओर खुशियां-ही-खुशियां होंगी।"

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book