मनोरंजक कथाएँ >> अलादीन औऱ जादुई चिराग अलादीन औऱ जादुई चिरागए.एच.डब्यू. सावन
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अलादीन की रोचक एवं मनोरंजक कहानी का वर्णन
अगले दिन!
शाम के समय रहमान अपने बिस्तर पर लेटा-लेटा अपनी योजना के बारे में सोच रहा था, कि तभी एक बांदी आई और कहने लगी-“शहजादी साहिबा ने आपको तलब किया है और कहा है कि नृत्य करके उनका मनोरंजन करें।”
बांदी इतना कहकर वहाँ से चली गई। हिजड़ा बने रहमान ने सजना-संवरना शुरू किया। अपने कपड़े बदले और माथे पर झूमर सजाया। हाथों में खनकदार कंगन और पैरों में घुघरू बांधे। अभी वह सज-संवर ही रहा था कि रईसा कमरे में आ गई। रहमान का यह रूप देखकर इठलाती हुई बोली- “हाय! मेरी जान तुम तो अनारकली जैसी लग रही हो।”
अनारकली का खिताब सुनकर रहमान ने शरमाने का नाटक किया और नाक पर उंगली रखकर कहा-“हाय, शहजादी! आज तो अपनी अनारकली को गले लगा लो।”
रईसा ने झपटकर रहमान के गले में बांहें डाल दीं और बोली- “आज ही मौका है, अपनी योजना पर काम करने का। मैंने अलादीन के दूध में बेहोशी की दवा मिला दी है।”
“क्या!” रहमान खुशी से उछल पड़ा-“तुम सच कह रही हो?”
“हाँ मेरे सरताज!” रईसा बोली-“आज मैं किसी भी तरह चिराग और अंगूठी हासिल करके ही रहूँगी।”
रहमान ने रईसा को प्यार करना चाहा, तो रईसा फौरन उससे अलग हट गयी, क्योंकि उसने किसी के उस ओर आने के कदमों की आहट सुन लीं थी।
महल के एक बहुत बड़े कमरे में महफिल सजी थी। दास-दासियां सभी नृत्य का मजा ले रहे थे। चाँदनी ठुमक-ठुमक कर नाच रही थी। रहमान उर्फ चाँदनी आज बहुत खुश थी, अतः उसने बहुत अच्छा नृत्य किया था।
शहजादी को उसका नृत्य इतना पसन्द आया कि उसने अपने गले से मोतियों को हार उतारकर चाँदनी को इनाम के रूप में दे दिया। हार हाथ में लेकर चाँदनी ने उसे सिर-माथे लगाया और शहजादी को दुआयें देने लगी।
नृत्य का आयोजन जिस कमरे में हो रहा था वहाँ पर सभी दास-दासियां जमा थे और सभी भरपूर मजा ले रहे थे।
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