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मनोरंजक कथाएँ >> अलादीन औऱ जादुई चिराग

अलादीन औऱ जादुई चिराग

ए.एच.डब्यू. सावन

प्रकाशक : मनोज पब्लिकेशन प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :16
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4779
आईएसबीएन :81-310-0200-4

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अलादीन की रोचक एवं मनोरंजक कहानी का वर्णन


रईसा की खूबसूरती को देखकर वह उसे पाने के लिए लालायित हो उठा, एकाएक तभी उसके मुख से निकल गया- “त...तुम कितनी खूबसूरत हो रईसा?”
इस पर रईसा आह भरकर बोली-“जानती हूँ। यही तो उम्र होती है। चाँदनी, जब हर लड़की अपने सपनों की दुनिया सजाती है। किसी से शादी करके घर बसाती है, लेकिन हम दासियों की भी भला कोई दुनिया होती है, हमारी जिन्दगी तो यूं ही खत्म हो जाती है। काश तुम एक मर्द होतीं चाँदनी।”
रईसा के मुंह से अपने प्रति यह बात सुनकर रहमान के दिमाग को एक झटका लगा और उसे एक तरकीब सूझी। वह बोला-“अगर खुद के करम से मैं मर्द बन जाऊं और तुम्हें अपनी बीवी बना लें, तो क्या तुम वही करोगी जो मैं कहूँगा?" वह एक तीर से दो निशाने वाली कहावत को चरितार्थ करता हुआ पूछने लगा।
रईसा रहमान की बातों का मतलब न समझ सकी, लेकिन उसे तो सिर्फ एक मर्द की तलाश थी, अतः वह बिना सोचे-समझे बोली-“सच चाँदनी! अगर ऐसा हो जाये तो मैं अपनी जवानी के साथ अपनी जान भी तुम पर कुर्बान कर दूंगी।”
चाँदनी बनी रहमान ने रईसा को अपने बारे में सब कुछ बता दिया कि वह कौन है और यहाँ किस मकसद से अलादीन के महल में आया हुआ है।
यह सब जानकर रईसा को बड़ा ताज्जुब हुआ। लेकिन अपनी सुलगती जवानी के जोश को शीतल करने के लिए उसे रहमान से अतिरिक्त अन्य कोई मार्ग नहीं नजर आ रहा था। उसे रहमान से मुहब्बत हो गई थी, इसलिये वह कुछ नहीं बोली। रहमान ने उसे सब्जबाग दिखाते हुए कहा-“अगर तुम मेरा साथ दो रईसा, तो मैं तुमसे शादी कर लूंगा। फिर तुम बगदाद की मलिका बन जाओगी।”
रईसा पर रहमान की बातों का जादू होने लगा। बगदाद की मलिका बन जाने के बारे में उसने सपने में भी नहीं सोचा था। दासी से मलिका बनने की बात ने उसके दिमाग को जाम कर दिया। रहमान ने उसे लालच ही ऐसा दिया था कि वह ना नहीं कह पायी।
रहमान से वह जुदा नहीं होना चाहती थी। उसका वादा उसे सच्चा लगा, इसलिये वह उसका साथ देने को राजी हो गयी।

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