मनोरंजक कथाएँ >> अलादीन औऱ जादुई चिराग अलादीन औऱ जादुई चिरागए.एच.डब्यू. सावन
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अलादीन की रोचक एवं मनोरंजक कहानी का वर्णन
अपना घर देखकर रहमानं की आंखें भर आईं। उसका जी चाहा कि वह दौड़कर अपने घर जाये और अपने मां-बाप से लिपटकर खूब रोये।
लेकिन वह ऐसा नहीं कर सकता था, क्योंकि उसका लक्ष्य सिर्फ अपने घर जाना नहीं था, बल्कि उसे तो पूरा बगदाद हासिल करना था, बगदाद का बादशाह बनना था। अलादीन और शहजादी नृमहल से इन्तकाम लेना था। इसलिये जज्बातों की भावना को झटककर उसने अपने घर की तरफ से मुंह फेर लिया। अब उसके सामने अलादीन का शानदार महल था।
अलादीन से बदला लेने के उसके जज्बात जोर पकड़ने लगे। उसकी मुट्ठियां भिंच गयीं। मन-ही-मन वह बड़बड़ाया-“अलादीन और शहजादी नूरमहल, अंब तुम्हारे खुशी के दिन खत्म हो चुके हैं। अब तुम्हारी किस्मत में सिर्फ बरबादी ही है। जैसे मैं खून के आंसू रोया हूँ, वैसे ही तुम्हें भी ना रूला यूँ तो मेरा नाम रहमान नहीं । तुम दोनों को तो मैं दर-दर का भिखारी बना दूंगा।”
दूसरे ही पल उसने खुद पर काबू पाया और एक फरेबी मुस्कान अपने होठों पर सजाकर अलादीन के महल की ओर चल दिया।
उधर!
अलादीन की जिन्दगी के दिन बड़ी खुशी से बीत रहे थे। सारे संसार की खुशियां उसे हासिल थीं। वह अपनी खूबसूरत बीवी और प्यारे-से बच्चे के साथ बड़े मजे से दिन काट रहा था। इस सबमें एक भयंकर खतरा जो इसकी ओर बढ़ रहा था, वह उससे अनजान था।
अलादीन की यह आदत थी कि अगर उसके दरवाजे पर कोई जरूरतमंद आ जाता था तो वह फौरन उससे मिलने की कोशिश करता था। जरूरतमंद की जो भी ख्वाहिश होती वह उसे दूर करता था। इसी आदत की वजह से वह पूरे बगदाद में फरिश्ता माना जाता था। इतना सब होने के बाद भी उसमें जरा भी गरूर न था।
अलादीन अपने कमरे में शहजादी के साथ बैठा हुआ शतरंज खेल रहा था। उसका बेटा अशरफ पालने में सो रहा था। तभी एक नौकरानी:कमरे के दरवाजे पर आयी और बड़े अदब से सिर झुकाकर बोली-“एक हिजड़ा सरकार से मिलना चाहता है।”
"ठीक है।” अलादीने ने कहा-“उसे इज्जत के साथ दीवानखाने में बैठाओ, हम अभी आते हैं।”
नौकरानी सिर झुकाकर चली गई। अलादीन ने शतरंज की बिसात को छोड़ा और उठकर सिर पर पगड़ी रखी और नूरमहल से इजाजत लेकर दीवानखाने में आ गया। तब तक हिजड़ा नहीं आया था। उसी वक्त नौकरानी हिजड़े को लेकर दीवानखाने में आयी। हिजड़ा बना रहमान अलादीन के सामने अदब से झुक गया।
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