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मनोरंजक कथाएँ >> अलादीन औऱ जादुई चिराग

अलादीन औऱ जादुई चिराग

ए.एच.डब्यू. सावन

प्रकाशक : मनोज पब्लिकेशन प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :16
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4779
आईएसबीएन :81-310-0200-4

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अलादीन की रोचक एवं मनोरंजक कहानी का वर्णन


वह यह सब सोच ही रहा था कि सेनेसन बोला-“क्या सोच रहे हो?”
“अं...हाँ...!” उसकी सोच टूटी। वह बोला-"कुछ नहीं। तुम बताओ, तुम्हें मुझसे क्या काम है?” रहमान ने पूछा।
“बताऊंगा। लेकिन उससे पहले मैं तुमसे कुछ पूछना चाहता हूँ।” सेनसन ने उसके सवाल का जवाब न देकर अपना सवाल उसके आगे रखा।
“पूछो।” रहमान ने कुछ बेचैन होते हुए कहा।
पहले यह बताओ कि तुमने शहजाद नूरमहल को तलाक क्यों दिया, जबकि वह तो बहुत खूबसूरत है?”
उसकी बात सुनकर रहमान ने गर्दन झुक़ा ली और चुप रहा। वह शायद सेनसन के इस सवाल का जवाब नहीं देना चाहता था।
“तुम चाहे मुझे बताओ या न बताओ, लेकिन मुझे फिर भी सब कुछ मालूम है कि तुमने शहजादी को तलाक क्यों दिया?" जादूगर सेनसन आगे बोला-“असल में तुम्हें अपनी सुहागरात वाले दिन शहजादी का किसी गैरमर्द से मुहब्बत की इजहार बहुत बुरा लगा। इसी वजह से शर्म के मारे तुमने शहजादी को तलाक दे दिया और शहर छोड़ दिया। फिर सबकी नजरों से छिपने के लिये यहाँ आकर जंगल में रहने लगे।”
रहमान शर्म से सिर झुकाये सब कुछ सुनता रहा, लेकिन बोला कुछ नहीं।
“क्या तुम उस आदमी से बदला नहीं लेना चाहोगे, जिसने तुम्हारी बीवी के साथ मिलकर तुम्हें जलील किया? क्या तुम उससे बदला नहीं लेना चाहोगे, जिसने तुम्हारी नजरों के सामने तुम्हारी बीवी से प्रेमालाप किया?”

उसकी बातें सुनकर गुस्से से रहमान का चेहरा सुर्ख हो गया। आंखों में अंगारे-से दहकने लगे।
मुट्ठी भींचकर वह गुस्से से बोली-“मैं उसे कमीने से बदला तो जरूर लेना चाहता हूँ। मेरा बस चले तो मैं उसके टुकड़े-टुकड़े करके चील-कौओं को खिला दूं, लेकिन मैं उसका मुकाबला नहीं कर सकता, क्योंकि वह आसमान की रुहानी ताकतों का मालिक है और मैं एक आम आदमी हूँ।”
“यही सोचना तो तुम्हारी सबसे बड़ी भूल है रहमान!” सेनसन अपनी बात पर जोर देता हुआ बोला-“वह आदमी रुहानी ताकतों का मालिक नहीं है, बल्कि तुम्हारे ही शहर के एक फटीचर दर्जी का बेटा अलादीन है। तुम्हारी इस हालत का वही जिम्मेदार है। तुम उसे आसमान का बाशिंदा समझकर मूर्ख बनते रहे हो और वह शहजादी से शादी करके ऐश कर रहा है। वह शहजादे की जिन्दगी जी रहा है और ऐलान हो चुका है कि बगदाद को आने वाला बादशाह भी वही होगा। जिस पर तुम्हारा हक था। अभी भी वक्त है। रहमान! अक्ल से काम लो। हिम्मत जुटाओ और बगदाद को अपने कब्जे में ले लो।”
उसकी अजीब-सी बातें सुनकर रहमान पत्थर का-सा हो गया और फटी-फटी आंखों से सेनसन को देखने लगा। उसे सेनसन की बातों पर जरा भी यकीन नहीं आ रहा था कि वह जादूगर जो कुछ कह रहा है, वह सच हो। सकता है या नहीं? उसका दिमाग जैसे सुन्न-सा हो गया था। वह सोच भी। नहीं सकता था कि जिसे वह आज तक रुहानी ताकतों का मालिक आसमानी आदमी समझता था, वह उसके शहर को एक साधारण-सा आदमी होगा।

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