लोगों की राय

मनोरंजक कथाएँ >> अलादीन औऱ जादुई चिराग

अलादीन औऱ जादुई चिराग

ए.एच.डब्यू. सावन

प्रकाशक : मनोज पब्लिकेशन प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :16
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4779
आईएसबीएन :81-310-0200-4

Like this Hindi book 1 पाठकों को प्रिय

292 पाठक हैं

अलादीन की रोचक एवं मनोरंजक कहानी का वर्णन


एक दिन।
रहमान रोज की तरह अपनी झोंपड़ी से बाहर निकलकर इबादत कर रहा था। तभी उसे सामने से एक बिल्कुल काला और भयानक शक्ल का आदमी आता दिखायी दिया। उसे देखकर रहमान कुछ घबरा-सा गया। उसको देखकर वह इसलिये घबराया था, क्योंकि भयानक शक्ल का वह आदमी सीधा उसकी ओर ही चला आ रहा था।
“कौन हो सकता है। यह आदमी और यह मेरी ओर क्यों चला आ रहा है? क्या यह मुझे जानता है? कहीं यह शहर से न आया हो, ऐसे में तो यह मुझे पहचान भी सकता है। यह सब विचार रहमान के दिमाग में आ रहे थे।
रहमान उस आदमी की नजरों में नहीं आना चाहता था, इसीलिये वह घबराकर उठ बैठा, और इधर-उधर नजरें दौड़ाकर वह छिपने की जगह ढूंढने लगा। लेकिन वह छिप न सको, क्योंकि वह काला कलूटा आदमी उसके सामने
आ खड़ा हुआ था।
रहमान अभी सोच ही रहा था कि वह क्या करे? एकाएक वह आदमी उससे बोला-“मुझसे डरो नहीं। मैं तुम्हारा दुश्मन नहीं दोस्त हूँ। तुम बगदाद के वजीर के लड़के हो न?”
“न..नहीं...क...कौन हो तुम, मुझे कैसे जानते हो?” यह जानकर कि वह आने वाला उसे अच्छी तरह जानता है, रहमान और भी घबरा गया। मुंह से हकलाकर बोला-“मैं...मैंने तुम्हें पहचाना नहीं?”
“देखो, मैं एक जादूगर हूँ। मेरा नाम जादूगर सेनसन है।” यह आदमी जो सचमुच जादूगर सेनसन था बोला-“मैं बहुत दूर से तुमसे मिलने के लिये आया हूँ।”
“मुझसे मिलने?” रहमान हैरान होकर बोला-“लेकिन मैं तुम्हारे किस काम आ सकता हूँ?”
“तुम मेरे बहुत काम आ सकते हो।” सेनसन मुस्कराकर बोला- “आओ अन्दर झोंपड़ी में बैठकर आराम से बातें करते हैं।”
रहमान सेनसन को लेकर झोंपड़ी के अन्दर आ गया। दोनों आमने-सामने बैठ गये। रहमान सेनसन को देख रहा था। उसे वह एक रहस्यमय आदमी नजर आ रहा था। वह सोच भी नहीं सकता था कि एक अनजान आदमी उसके पास भी किसी काम से आ सकता है। रहमान को उसका आना भी अच्छा नहीं लगा था।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book