लोगों की राय

मनोरंजक कथाएँ >> अलादीन औऱ जादुई चिराग

अलादीन औऱ जादुई चिराग

ए.एच.डब्यू. सावन

प्रकाशक : मनोज पब्लिकेशन प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :16
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4779
आईएसबीएन :81-310-0200-4

Like this Hindi book 1 पाठकों को प्रिय

292 पाठक हैं

अलादीन की रोचक एवं मनोरंजक कहानी का वर्णन


सेनसन एकदम हड़बड़ा गया। वह यह भूल गया था कि महा सम्राट बैसूफा तो दिल का हाल भी जान लेता है, वह बैसूफा के कदमों में गिरकर माफी मांगने लगा-“क्ष...क्षमा कर दीजिये जादूगर सम्राट, मैं फिर कभी ऐसी गलती नहीं करूंगा।”
बैसूफा बोला-“हाँ सेनसन, हम रंगबाज भी हैं। हम साढ़े तीन सौ सालों से अधिक के हो चुके हैं, लेकिन हमें बूढा मत समझो। वह जो खूबसूरत हसीना पलंग पर सोई हुई है, वह मेरी नई बीवी है।”
उसी समय वह लड़की एक मादक अंगड़ाई लेती हुई उठ बैठी तथा उसने मुस्कराकर बैसूफा को देखा।
बैसूफा बोला-“अभी नहीं प्यारी, हमारा सबसे अच्छा चेला आज हमारे साथ है। अभी तुम सो जाओ। पहले हम अपने शागिर्द की थकान दूर करेंगे।”
वह लड़की फिर से लेट गई। बैसूफा ने सेनसन से कहा-“मेरी नई बीवी को छोड़कर तुम्हें इनमें से जो भी लड़की पसंद आये, उसे लेकर दूसरे कमरे में चले जाओ। यहाँ तुम पहली बार आये हो-जाओ ऐश करो।”
जादूगर सम्राट के कहने पर सेनसन ने एक लड़की को पसन्द करके उसका हाथ पकड़ा और उस कमरे से बाहर निकल गया।

उधर!
रहमान शहजादी नूरमहल को तलाक देकर शहर छोड़कर चला गया था। वह एक घने जंगल में झोंपड़ी बनाकर रहने लगा था। उसने फकीर बनकर अपनी पूरी जिन्दगी यहीं गुजारने का फैसला कर लिया था।
उसकी झोंपड़ी घने जंगल के बीच में थी, इस वजह से रहमान को वहाँ रहने में आसानी थी। वह लोगों से बचकर ही रहता था। उसे डर था कि कहीं कोई उसे पहचान न ले कि वह बगदाद के वज़ीर का बेटा है। इसी वजह से वह घने जंगल में जाकर बसा था। वह खुद को लोगों को मुंह दिखाने के काबिल नहीं समझता था। उसे अपनी सुहागरात वही घटना अभी भी याद थी।
जब भी रहमान को वह घटना याद आती, उसके तन-बदन में आग-सी लग जाती। बदला लेने का दिल चाहने लगता, लेकिन वह यह सोचकर चुप बैठ जाता कि उसका दुश्मन तो आसमान का आदमी है, वह उसका मुकाबला कैसे कर पायेगा?
परेशानियों से रहमान का सारा जिस्म सूखकर कांटा हो गया था। ढंग से खाने को नहीं मिलता था। वह जंगल के फल-फूल खाकर ही अफ्ना पेट भरा करता था। उस आसमानी से बदला लेने की उसकी भावना खत्म हो गई।
थी। वह आग की तरह उसके दिल में हमेशा धधकती रहती थी, लेकिन कोई सहारा न होने की वजह से वह अपनी बदले की भावना को दबाकर हर समय खुद की इबादत में ही लगा रहता था।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book