लोगों की राय

मनोरंजक कथाएँ >> अलादीन औऱ जादुई चिराग

अलादीन औऱ जादुई चिराग

ए.एच.डब्यू. सावन

प्रकाशक : मनोज पब्लिकेशन प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :16
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4779
आईएसबीएन :81-310-0200-4

Like this Hindi book 1 पाठकों को प्रिय

292 पाठक हैं

अलादीन की रोचक एवं मनोरंजक कहानी का वर्णन


सुबह होने वाली थी, शहजादी फिर से पलंग पर आ बैठी। अलादीन ने रहमान को खोल दिया और उसे पलंग पर बिठाते हुए बोला-“तुम चुपचाप इस पलंग पर पड़े रहना, अगर जरा भी चालाकी दिखायी तो तुम्हें जिन्न से उठवाकर किसी पहाड़ के नीचे फिंकवा दूंगा।”
रहमान तो पहले से ही बुरी तरह डरा हुआ था। उसने जब अलादीन की बात सुनी तो वह और भी डर गया।
अभी अलादीन रहमान को पलंग पर बैठाकर हटा ही था कि अचानक उसके पास से आवाज आई-“अब मैं इस पलंग को उठाकर ले जाऊं मेरे
आका?”
मगर तुम रात-भर यहाँ क्यों ठहरे थे? मैंने तो अभी चिराग भी नहीं घिसा और तुम यहाँ मौजूद हो?” अलादीन बोला।
“मेरे आका! बुरा मत मानियेगा। मगर मैं देखना चाहता था कि दो मुहब्बत करने वाले इन्सान आपस में किस तरह से मुहब्बत करते हैं।”
उसकी बात सुनकर शहजादी नूरमहल और अलादीन दोनों ही शरमाकर रह गये।
जिन्न ने कहा-“अच्छा मेरे आको, अब मैं इन्हें ले जाता हूँ।”
“ठीक है लें जाओ।” मन में शहजादी को भेजने की मर्जी न होते हुए भी अलादीन ने निराशा में भरकर कहा।
जिन्न शहजादी और रहमान को पलंग समेत लेकर उड़ गया। रहमान के चेहरे पर इस समय भी घबराहट हावी थी। इसका चेहरा पीला जर्द हो रहा था। वह पलंग के ऊपर बिल्कुल ही सिमटकर बैठा हुआ था।
शहज़ादी के जाते ही अलादीन के चेहरे पर छाई रौनक मुर्दानी में बदल गयी। आंखों में वीरानी-सी छा गयी। भारी कदमों से वह अपने घर की ओर चल दिया।
पलंग के महल के कमरे में उतरने के बाद भी रहमान, अलादीन और उसके जिन्न से बुरी तरह डरा हुआ था। उसे तो शहजादी से भी खौफ हो रहा था।
वह सोच रहा था कि हो-न-हो यकीनन शहजादी अलादीन की रुहानी ताकतों से ताल्लुक रखती है। रहमान इस तरह की चीजों (भूत-प्रेतों) से बहुत डरता था। उसका दिल था भी बहुत कमजोर। शहजादी अलादीन की मुहब्बत में खोई आराम की नींद सो रही थी। जब वह जागी तो रहमान उससे डरकर. सिर पर पैर रखकर अपने घर की ओर भाग खड़ा हुआ।
घर पहुँचकर किसी से कुछ कहे-सुने बिना, सीधा अपने बिस्तर में जाकर दुबक गया। उसकी किसी से भी नजरें मिलाने की हिम्मत नहीं हो रही थी। अलादीन के सामने शहजादी ने उसकी बड़ी बेइज्जती की थी, साथ ही बड़ी बेशर्मी से सारी रात अलादीन के साथ बिताई थी।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book