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मनोरंजक कथाएँ >> अलादीन औऱ जादुई चिराग

अलादीन औऱ जादुई चिराग

ए.एच.डब्यू. सावन

प्रकाशक : मनोज पब्लिकेशन प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :16
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4779
आईएसबीएन :81-310-0200-4

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अलादीन की रोचक एवं मनोरंजक कहानी का वर्णन


तभी अचानक अलादीन मारे खुशी से उछल पड़ा।
उसे आकाश में उड़ता हुआ एक पलंग नजर आया। देखते-ही-देखते पलंग उसके सामने आकर उतर गया और जिन्न की आवाज आयी-“आपकी अमानत हाजिर है मेरे आका।” इतना कहकर जिन्न गायब हो गया।
अलादीन ने नशे में धुत्त रहमान को पकड़कर एक पेड़ से बांध दिया। रहमान तो इस हादसे से इतना खौफजदा था कि वह एक कठपुतली की तरह अलादीन के इशारों पर नाच रहा था उसने जरा भी किसी बात का कोई विरोध नहीं किया था।
अलादीन ने जब रहमान को पेड़ से बांध दिया तो उसके बाद वह शहजादी को होश में लाने की कोशिश करने लगा।
होश में आने के बाद शहजादी ने जब रहमान को पेड़ से बंधे देखा तो उसकी हँसी छूट गयी। उसने इतना बेबस आज तक किसी को नहीं देखा था। नूरमहल को हँसते देखकर रहमान को बड़ी ही बेइज्जती महसूस हुई, लेकिन वह इतना डरा हुआ था कि कुछ भी नहीं बोला।
अलादीन ने देखा कि दुल्हन बनी नूरमहल बहुत ही खूबसूरत लग रही थी। चाँदनी रात उसकी खूबसूरती में और भी चार-चाँद लगा रही थी। उसका सौन्दर्य हीरे की तरह चमक रहा था।
उधर जब शहजादी की निगाह अलादीन पर पड़ी तो वह उसे देखती-की-देखती रह गयी। पहली नजर में ही वह उसके दिल की गहराइयों में उतर गया। शहजादी को इस प्रकार अपनी ओर देखते पाकर अलादीन बड़ी खुशी महसूस कर रहा था।
तभी शहजादी ने खुद को संभाला और अलादीन से बोली-“आप कौन हैं और इस तरह मुझे अगुवा करने के पीछे आपको क्या मकसद है?”
“मैं कोई बुरा आदमी, या चोर-उचक्का नहीं हूँ शहजादी! मैं तो एक भला ईन्सान हूँ और तुम्हें बेपनाह चाहता हूँ। मैंने तुम्हारी खातिर ईरान की फौजों पर जीत हासिल की। लेकिन तुम्हारे बाप ने मुझे धोखा दिया। उसने तुम्हारी शादी मुझसे करने का वायदा करके रहमान से करा दी। लेकिन मैं तुम्हारे बिना एक पल भी नहीं रह सकता था, इसलिये मैंने तुम्हें यहाँ मंगवा लिया। अब तुम्हीं बताओ कि मेरा क्या कसूर है?”
“तुमने यह अच्छा ही किया।” शहजादी शरमाकर बोली-“मैं भी पहली ही नजर में तुम्हें पसन्द कर चुकी हूँ।”
अलादीन ने इतना सुना तो उसने शहजादी को बांहों में भर लिया। उन दोनों ने एक-दूसरे से खूब मौहब्बत की।

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