लोगों की राय

मनोरंजक कथाएँ >> अलादीन औऱ जादुई चिराग

अलादीन औऱ जादुई चिराग

ए.एच.डब्यू. सावन

प्रकाशक : मनोज पब्लिकेशन प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :16
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4779
आईएसबीएन :81-310-0200-4

Like this Hindi book 1 पाठकों को प्रिय

292 पाठक हैं

अलादीन की रोचक एवं मनोरंजक कहानी का वर्णन


फिर अशरफ ने जिन्न से पूछा कि, “इनमें से मेरे मां-बाप कौन हैं?”
जिन्न ने अलादीन व नूरमहल की तरफ इशारा कर दिया।
“अपने मां-बाप अलादीन और नूरमुहल को देखते ही अशंरफ उनसे जा लिपटा।
अलादीन और नूरमहल भौंचक्के-से खड़े थे। असल में उन्हें लग रहा था कि वे अभी-अभी गहरी नींद से जागे हैं। बैसूफा ने जब उन्हें मूर्ति में बदला था उस वक्त वे जवान थे, आज भी वे जवान ही थे। उन्हें पता ही नहीं चला था कि उन्हें मूर्ति बने सालों गुजर गये और उनका दूध पीता बेटा अशरफ अब एक जवां मर्द बन गया है और उनके सामने खड़ा है।
हमें इस जालिम जादूगर की कैद से आजाद कराने वाले फरिश्ते तुम कौन हो बेटे, हमें अपने बारे में बताओ?”
“बाबा! मैं आपको अपना बेटा अशरफ हूँ। शायद आप नहीं जानते कि आपको मूर्ति बने हुए सत्रह साल गुजर चुके हैं। आप इतने सालों बाद आजाद हुए हैं।”
सभी लोग उसकी बात सुनकर हैरान रह गये।
वे पूछने लगे-“बेटा! क्या बैसूफा मारा गया?”
हाँ, बैसूफा मारा गया। मैंने इस अंगूठी के जिन्न की मदद से उसे मार डाला-और अब बगदाद पर भी हमारा ही कब्जा हैं। बाबा, अब आप वहाँ के बादशाह हैं, क्योंकि नाना जान को तो उस जालिम रहमान ने कत्ल कर दिया।"
अपने बाप की मौत की खबर सुनकरे शहजादी नूरमहल रोने लगी। अलादीन और अशरफ ने उसे तसल्ली दी।
अशरफ चिराग के जिन्न से बोला-“भाई! इन सब लोगों को इनके अपने-अपने घर पहुँचा दो।”
जिन्न बोला-“जो हुक्म मेरे आका।”
और वह उन सभी को लेकर उड़ चला तथा कुछ ही देर में वापस भी लौट आया। अब अशरफ ने जिन्न से पूछा--"बैसूफा की मौत के बाद अब उसके इस महल का मालिक कौन होगा?”
जिन्न बोला-“मेरे मालिक! बैसूफा अभी मरी नहीं है। सिर्फ उसकी गर्दन ही धड़ से अलग हुई है। सुबह होते ही उसकी गर्दन फिर दोबारा धड़ से आ जुड़ेगी।”

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book