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मनोरंजक कथाएँ >> अलादीन औऱ जादुई चिराग

अलादीन औऱ जादुई चिराग

ए.एच.डब्यू. सावन

प्रकाशक : मनोज पब्लिकेशन प्रकाशित वर्ष : 2007
पृष्ठ :16
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 4779
आईएसबीएन :81-310-0200-4

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अलादीन की रोचक एवं मनोरंजक कहानी का वर्णन


उसके दल में हजारों खूखार जानवरों की सेना थी। सबसे आगे एक मस्त हाथी था, जिस पर अशरफ सवार था। वह बगदाद की ओर बढ़ा जा रहा था। जानवरों की खूंखार आवाजों, हाथियों की चिंघाड़ों और शेरों की दहाड़ों ने सम्पूर्ण वातावरण को दहलाकर रख दिया था।
जिन्न वाली अंगूठी महा जादूगर बैसूफा ने वजीर के बेटे रहमान को खुश होकर दे दी थी, क्योंकि उसी की योजना से वह जादुई चिराग बैसूफा को हासिल हुआ था, जिसे पाकर वह खुदं को खुदा समझने लगा था। रहमान ने अंगूठी के जिन्न की मदद से बगदाद की पूरी सेना को हराकर बगदाद पर अपना कब्जा कर लिया था और बगदाद का बादशाह बन बैठा था। बादशाह बनते ही उसने वहाँ की जनता को परेशान करना शुरू कर दिया और गलत तथा सही सभी तरीके अपनाकर अपना खजाना भरने लगा था।
रईसा को तो वह बिल्कुल ही भूल चुका था, क्योंकि उससे शादी करके वह किसी बंधन में नहीं बंधना चाहता था।
उसके राज्य में जनता बहुत परेशान थी। जनता को न तो भरपेट खाने को रोटी मिलती थी और न ही तन ढकने को कपड़े। आमदनी का ज्यादातर हिस्सा उन्हें कर के रूप में बादशाह को देना पड़ता था।
अशरफ ने अचानक जंगल के सभी जानवरों को लेकर बगदाद पर हमला कर दिया। अशरफ की सेना ने रहमान की शाही सेना को चीरना-फाड़ना, नोचना-खसोटना शुरू कर दिया। कुछ ही देर में उसकी सेना तितर-बितर हो, गई। कुछ सैनिक अपनी जान बचाने के लिये भाग खड़े हुए और जो बच गये उन्हें जंगली जानवरों ने अपना शिकार बना लिया।
दोपहर तक अशरफ की फौज ने रहमान की फौज को तहस-नहस कर दिया और पूरे महल को घेर लिया।
रहमान तक यह खबर पहुँचाई गयी, लेकिन वह तो शराब के नशे में धुत्त पड़ा हुआ था। उसे तो करामाती अंगूठी के जिन्न की मदद लेने का भी होश नहीं था। वह बिल्कुल बेहोश-सी पड़ा हुआ था। अशरफ के हुक्म पर जंगली हाथियों ने टक्कर मार-मारकर महल का दरवाजा तोड़ डाला। हिंसक जानवरों की भीड़ देखकर महल के संतरी पहरेदार सभी अपनी जान बचाने के लिये इधर-उधर जा छिपे।
महल का दरवाजा टूटते ही अशरफ शेर की पीठ पर सवार होकर हाथों में नंगी तलवार लेकर रहमान के कमरे की ओर दौड़ पड़ा। उस समय वह गुस्से में बड़ा खतरनाक जांबाज नजर आ रहा था। कुछ ही पलों में वह खून से सनी तलवार लिये रहमान के सामने खड़ा था।

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