मनोरंजक कथाएँ >> अलादीन औऱ जादुई चिराग अलादीन औऱ जादुई चिरागए.एच.डब्यू. सावन
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अलादीन की रोचक एवं मनोरंजक कहानी का वर्णन
इसी तरह सत्रह साल गुजर गये। जंगल के माहौल में पला-बढ़ा अशरफ
अब जवान हो चुका था। वह अपने बाप अलादीन से भी ज्यादा खूबसूरत था। उसका सबसे बड़ा शौक जंगली हाथियों के साथ खेलना था। शेर तो उसके लिये घोड़े का काम करते थे। वह उनकी पीठ पर बैठकर पूरे जंगल की सैर किया करता था। उसके जिस्म में इतनी ताकत थी कि वह बड़े-से-बड़े पेड़ को भी जड़ से उखाड़ फेंकता था।
उसे रईसा से बहुत लगाव था। वह उसे ही अपनी मां समझता था और दिन-रात उसकी खिदमत में लगा रहता था। अक्सर वह उससे अपने पिता के बारे में पूछा करता था, इस सवाल को रईसा हमेशा ही टाल जाया करती थी, लेकिन एक दिन तो अशरफ ने जिद्द ही पकड़ ली।
वह बोला-“मां, आज तो तुझे मेरे बापं के बारे में बताना ही होगा कि वे कौन हैं? वे जिन्दा भी हैं, या मर चुके हैं? अंगर तूने मुझे उनके बारे में। नहीं बताया तो मैं यहाँ से चला जाऊंगा।” वह धमकीभरे शब्दों में बोला।
रईसा वैसे तो हमेशा ही अशरफ के सवाल को टाल जाया करती थी, लेकिन आज जब अशरफ ने चले जाने की धमकी दे डाली तो उसे कोई चारा नजर नहीं आया और उसने उसे सब कुछ सविस्तार बता दिया।
उसने बताया कि उसके बाप का नाम अलादीन है। वे बगदाद के बादशाह के दामाद थे। तुम बगदाद के बादशाह की शहजादी नूरमहल के बेटे हो।
वजीर के बेटे रहमान ने धोखे से तुम्हारे मां-बाप को मरवा दिया। तभी से मैं तुम्हें पाल-पोस रही हूँ, जिससे तुम अपने मां-बाप की मौत का बदला ले सको।
उसकी बात सुनकर अशरफ को बहुत क्रोधं आया और वह उसी समय जंगल की ओर चल दिया। चलते-चलते उसके मुंह से अजीब-अजीब तरह की आवाजें निकल रही थीं। कुछ देर बाद जंगल के सभी खूखार जानवर उसके सामने इकट्ठा हो गये। अशरफ उनसे उनकी ही ज़बान में बात करने लगा- “दोस्तों! मैं तुम सबके साये में पलकर बड़ा हुआ हूँ, इसलिये मुझे यह हक है कि मैं तुमसे अपने काम के लिये मदद मांग सकें। मैं बगदाद के शहजादे अलादीन का बेटा हूँ। मेरे बाप और मेरी मां को उनके दुश्मनों ने धोखे से. मार डाला। शेर चाचा ने मुझे नई जिन्दगी दी, मैं उनका एहसानमंद हूँ। जब मेरे बांप के दुश्मनों में मुझे जंगल में फेंक दिया था तो शेर चाचा और मेरी मुंहबोली मां ने ही मेरी जान बचाई थी। आज मैं अपने मां-बाप की मौत का बदला लेना चाहता हूँ और तुम सबसे मदद मांगता हूँ।”
उसकी बात सुनकर सभी जानवर जोर-जोर से चिंघाड़ने लगे। अशरफ अपनी मां रईसा के पास आकर बोला-“मां, मैं बगदाद पर हमला करने जा रहा हूँ।”
रईसा ने उसे दुआयें देकर रुखसत किया।
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