मनोरंजक कथाएँ >> अलादीन औऱ जादुई चिराग अलादीन औऱ जादुई चिरागए.एच.डब्यू. सावन
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अलादीन की रोचक एवं मनोरंजक कहानी का वर्णन
लेकिन यह क्या! शेर ने रईसा का अपने मुंह से दामन पकड़ा और खींचकर, उसे एक तरफ ले जाने लगा। रईसा ने चकित होकर आंखें खोलकर देखा। वह आश्चर्य में भरी हुई उसके दिशा-निर्देशानुसार साथ चलने लगी। वह शेर की इस हरकत से ताज्जुब में पड़ गई। वह समझ नहीं पा रही थी कि यह आदमखोर शेर आखिर उससे चाहता क्या है, उसे तो उसे मारकर खा जाना चाहिये था?
शेर उसी तरह उसका दामन पकड़कर उसे खींचता हुआ एक गुफा के पास लेकर पहुँच गया।
रईसा यह देखकर हैरान रह गई कि एक नन्हा-सा बच्चा गुफा के बाहर लेटा अंगूठा चूस रहा है। वह इस नन्ही-सी जान को खूब अच्छी तरह पहचानती थी। यह शहजादी नूरमहल और अलादीन का बेटा अशरफ था। रईसा ने दौड़कर अशरफ को अपनी गोद में उठा लिया और उसे सीने से लगाकर-फफक-फफक कर रो पड़ी। वह हिचकियां लेती हुई बोली-
"मेरे लाल! मुझे माफ कर दे, मैं तेरी गुनाहगार हूँ। मैंने ही तुझे यतीम कर दिया। अल्लाह तो मुझे सजा दे ही रहा है, तू भी मुझे सजा दे। मुझे सजा दे मेरे लाल! मुझे सजा दे...।”
अचानक रईसा ने महसूस किया कि उसकी सूखी छातियां दूध से तर, हो गयीं। उसने इसे खुदा का करिश्मा माना और छाती खोलकर भूखे-प्यासे अशरफ को दूध पिलाने लगी। वह दूध पिलाती जाती थी और रोती जाती थी।
अशरफ गटागट रईसा का दूध पी रहा था। शेर पास ही खड़ा उसकी ममता तथा मुहब्बत को देख रहा था। रईसा को लगने लगा कि अल्लाह ने. शायद इसी दिन के लिये उस जैसी गुनाहगार को जिन्दा रखा है। उसे जीने का सहारा मिल गया था। उसने अब अषुने दिमाग से मरने की बात निकाल दीं और एक झोंपड़ी बनाकर वहीं रहने लगी। अशरफ को वह अपना बेटा. समझकर पालने लगीं। शेर और शेरनी उसकी तथा अशरफ की जंगली जानवरों से हिफाजत करते थे। उनके कोई भी बच्चा नहीं हो सका था, अशरफ को ही वो अपना बच्चा समझते थे।
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