मनोरंजक कथाएँ >> अलादीन औऱ जादुई चिराग अलादीन औऱ जादुई चिरागए.एच.डब्यू. सावन
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अलादीन की रोचक एवं मनोरंजक कहानी का वर्णन
शाम होने को थी।
आकाश में लाली छायी हुई थी। सूज पश्चिम दिशा में डूबने वाला था। रईसा थके-थके कदमों से अन्जान मन्जिल की ओर जा रही थी। उसके चेहरे पर गम और पछतावे के भाव थे। उसका जिस्म एकदम कमजोर हो गया था। इसकी वजह रहमान की उसके साथ दगाबाजी थी।
रईसा ने अपनी जान पर खेलकर रहमान के लिये जादुई चिराग चुराया था। रहमान उसे अपनी बीवी तथा बगदाद की मलिका बनाने का ख्वाब दिखाकर उसके घर छोड़ गया था, लेकिन आज एक अर्सा बीत जाने के बाद भी वह नहीं आया। रईसा को हर लमहा उसका इन्तजार रहता था। लेकिन जब बहुत वक्त गुजर जाने के बाद भी रहमान नहीं आया तो उसका दिल डूबने लगा। अब उसे यकीन होने लगा था कि रहमान ने उसके साथ धोखा किया है। अब वह पछताने लगी थी, कि क्यों वह रहमान की बातों में आयी और अपने मालिक के साथ दगा किया?
वह कितनी इज्जत और शान के साथ अलादीन के महल में रहा करती थी। सभी दास-दासी उसका कहना मानते थे। शहजादी नूरमहले भी उसे कितना प्यार किया करती थीं। ऐसे मालिकों को धोखा देकर उसने खुद अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारी थी।
लेकिन जो होना था वह तो हो ही चुका था। अब किया ही क्या जा सकता था? रईसा का दिल टूट चुका था। अब उसे जीने की कोई ख्वाहिश नहीं रह गयी थी। वह मौत की तलाश में एक अन्जान राह की ओर बढ़ रही। थी।
चलते-चलते वह बहुत दूर निकल आयी थी। वह नहीं जानती थी कि उसे जाना कहाँ है, बस चलती ही जा रही थी। वह एक जंगल से होकर गुजर रही थी।
अचानक वह चौंककर रुक गई। उसके सामने एक बहुत ही भयंकर तथा खूखार शेर खड़ा हुआ था। रईसा की आंखें भर आयीं। वह हाथ जोड़कर बोली-“दूर क्यों खड़े हो जंगल के शहंशाह! आओ आकर मुझे खा लो, जिससे मेरे सारे गम दूर हो जायें। अब मैं बिल्कुल भी जीना नहीं चाहती।”
"शेर आगे बढ़ा। डर की वजह से रईसा ने आंखें बंद कर लीं।
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