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आजाद हिन्द फौज की कहानी

एस. ए. अय्यर

प्रकाशक : नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया प्रकाशित वर्ष : 2004
पृष्ठ :97
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 4594
आईएसबीएन :81-237-0256-4

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आजाद हिन्द फौज की रोचक कहानी....


16. मुक्त क्षेत्रों के मनोनीत गवर्नर

जब भारत-बर्मा सीमा पर अग्रिम युद्ध क्षेत्र में आई.एन.ए. संघर्षरत थी तब पीछे अस्थायी सरकार को साधन संपन्न करके सुदृढ़ किया जा रहा था जिससे कि वह भारत के स्वतंत्र हुए क्षेत्रों में प्रशासन एवं विस्थापितों को बसाने का कार्य जापानी सेना की सहायता से संपन्न कर सके। प्रारंभ से ही नेताजी ने जापानियों को यह स्पष्ट कर दिया था कि आई.एन.ए. और जापानी सेना जैसे ही भारत भूमि पर पहुंचेगी मुक्त हुए क्षेत्र में आजाद हिंद सरकार का पूर्ण शासन होगा। अस्थायी सरकार कंधे से कंधा मिलाकर लड़ने वाले जापानी सैनिकों को भारत में अंग्रेजी-अमेरिकी सेना के विरुद्ध लड़ने में आवश्यक सुविधा उपलब्ध करेगी। संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि नेताजी ने जापानियों को यह स्पष्ट कर दिया था कि आई.एन.ए. के भारत में प्रवेश करने के पश्चात् अस्थायी सरकार ही उच्चतम अधिकारी होगी और मुक्त क्षेत्र में उसी की आज्ञा से समस्त कार्य होंगे। इसी नीति के अनुरूप नेताजी ने आजाद हिंद सरकार के नोट छपवाने का प्रबंध किया और डाक टिकट भी तैयार करवाये। मेजर जनरल ए.सी. चटर्जी मुक्त क्षेत्र के प्रथम गवर्नर मनोनीत किए गए। जापानी नागरिक एवं बैंक तथा कंपनियों सहित उनकी संस्थायें जो मुक्त क्षेत्र में होंगी गवर्नर के अधिकार में होंगी और वे आज़ाद हिंद सरकार के नोटों का ही प्रयोग करेंगी। आज़ाद हिंद का राष्ट्रीय बैंक ही अस्थायी सरकार का अधिकृत बैंक होगा। जापानी बैंक तथा व्यापारिक संस्थान राष्ट्रीय बैंक के निर्देशन तथा नियंत्रण में कार्य करेंगे।

युद्ध नीति पूर्णतया जापानियों के अधिकार में थी क्योंकि वे इस युद्ध में वरिष्ठ भागीदार थे। उन्हीं के टैंक, हवाई जहाज, तोपखाना, राइफल एवं बारुद युद्ध में प्रयोग हो रहे थे। जापानी इस बात से खिन्न थे कि युद्ध-स्थल पर अपना उच्च स्थान होते हुए भी आई.एन.ए. के साथ भारत में प्रवेश करने पर वे अस्थायी सरकार के अधीन होंगे। नेताजी अपने इस महत्वपूर्ण सिद्धांत पर दृढ़ थे। अत: जापानियों को उनके इस निर्णय पर झुकना पड़ा। इसी सिद्धांत के अनुसार नेताजी ने जापानियों का यह प्रस्ताव कि भारत भूमि पर भारत जापान सहयोग समिति का अध्यक्ष जापानी हो एकदम अस्वीकार कर दिया। उन्होंने दृढ़ता से कहा कि या तो उस समिति का अध्यक्ष भारतीय होगा अथवा कोई अध्यक्ष ही नहीं होगा।

इस प्रकार जापानी सदैव यह ध्यान रखते थे कि भारत की प्रभुसत्ता, निष्ठा एवं स्वतंत्रता को प्रभावित करने वाले विषयों पर नेताजी के साथ उनकी स्थिति कहां है। नेताजी ने जापानियों से यह स्पष्ट कह दिया था कि अंग्रेजों की जगह जापानियों को अपना स्वामी बनाने की अपेक्षा वे भारत को अंग्रेजों की परतंत्रता में दो सौ वर्ष और रखना पसंद करेंगे।

हिकारी किकान (संपर्क कार्यालय) के प्रमुख जनरल इसोडा के साथ काफी खींचातानी के बाद नेताजी ने अंत में आई.एन.ए. के कार्यों की अर्थ व्यवस्था के लिए आज़ाद हिंद का राष्ट्रीय बैंक स्थापित करने की अनुमति जापानियों से प्राप्त कर ली। उन्होंने 5 अप्रैल 1944 को रंगून में बैंक खोला और उसी दिन रानी झांसी की रेजिमेंट के साथ युद्ध-स्थल की ओर प्रस्थान किया। लड़कियों में अपार उत्साह था और उन्हें इस बात का गर्व था कि वे आई.एन.ए. के पुरुषों के साथ कंधे से कंधा भिड़ाकर लड़ने के लिए युद्ध-स्थल की ओर जा रही थीं।

पुनर्निर्माण की दृष्टि से आई.एन.ए. द्वारा मुक्त कराये गए क्षेत्रों में लोगों के पुनर्वास, नागरिक प्रशासन की स्थापना के लिए मनोनीत गवर्नर पूर्णरूप से तैयार थे। उनके साथ आजाद हिंद दल के नागरिक प्रशासन में पूर्णरूपेण प्रशिक्षित सैनिक थे। इस दल में कृषक, बढ़ई, लुहार, पोस्टमैन, वायरलैस आपरेटर्स, ट्रक चालक, सड़क निर्माणकर्ता तथा अन्य कारीगर थे जो ध्वस्त ग्रामों एवं नगरों में पुनर्निर्माण का कार्य करने को तैयार थे एवं सामान्य नागरिक जीवन पुन:स्थापित करने के लिए प्रस्तुत थे।

नेताजी ने सैनिक कार्रवाई के प्रत्येक पहलू पर और विदेशी शासन से मुक्त होने पर शीघ्रता से नागरिक प्रशासन पुनःस्थापित करने पर विचार कर रखा था। उन्होंने छोटे से छोटे कार्य के लिए भी प्रशिक्षित पुरुषों की नियुक्ति की थी जिससे कि परिवर्तन के समय अविलंब सामान्य जीवन स्थापित किया जा सके एवं पुनर्निर्माण का कार्य हो सके। आई.एन.ए. की जीत के परिणामस्वरुप उसके आगे बढ़ने पर शत्र यदि पूर्ण विध्वंस की नीति अपना कर प्रत्यावर्तन करते समय समस्त वस्तुओं को नष्ट भी कर दे तो आजाद हिंद दल तुरंत कार्यरत होने के लिए तैयार था। नागरिक अभियंताओं द्वारा अस्थायी कुटिया बनाने की एवं यांत्रिक अभियंताओं द्वारा खाद्यान्न उगाने के लिए पानी के पंप लगाने की तथा विद्युत अभियंताओं द्वारा सड़कों पर प्रकाश करने की योजना तैयार थी। पीने का पानी समीप के कुओं एवं तालाबों से लाया जायेगा, आसपास के ग्राम अस्थायी सड़कों द्वारा मिलाए जायेंगे, मुक्त क्षेत्र में पोस्टमैन डाक एवं मनिआर्डर वितरित करेंगे, आजाद हिंद बैंक मुक्त क्षेत्र के व्यक्तियों को उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु पर्याप्त धन देगा।

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