पौराणिक >> अभिज्ञान अभिज्ञाननरेन्द्र कोहली
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कृष्ण-सुदामा की मनोहारी कथा...
कहते हैं, कुल छः महीनों का था प्रद्युम्न, जब कृष्ण का शत्रु शंबर अवसर पाकर उसे उठा ले गया था। निश्चित रूप से शंबर उसकी हत्या करने के लिए ही उसे उठा ले गया होगा; किन्तु उसकी मृत्यु नहीं हुई और वह शंबर के ही महल की एक दासी मायावती की सन्तान के रूप में पलता रहा। सामान्य जन की मान्यता है कि शंबर ने उसे समुद्र में फेंक दिया था, वहां उसे एक मछली खा गयी थी। उस मछली को एक मछुए ने पकड़ा और शंबर के महल में बेच आया। वहां रसोइये ने उसका पेट चीरा तो उसमें से जीता-जागता बच्चा निकल आया, जो उसने मायावती को दे दिया।...पर कल से जिन कार्य-कारण सम्बन्धों और प्राकृतिक सत्यों की चर्चा कृष्ण कर रहे हैं, उन्हीं सत्यों के अन्तर्गत यह सम्भव नहीं है। छः महीने का बच्चा समुद्र में फेंका जाने पर जीवित नहीं रह सकता। फिर मृत मछली के पेट को चीरने पर उसमें से जीवित बच्चा नहीं निकल सकता।...पता नहीं वे कौन-सी घटनाएं थीं, जिनके अन्तर्गत प्रद्युम्न शंबर की रसोई की दासी के पास पहुंचा।
पर उससे भी विचित्र दूसरी बात थी। जिस मायावती ने प्रद्युम्न को अपनी सन्तान के समान पाला, वही उसके किशोर वय को प्राप्त करने पर, उसमें अनुरक्त हो गयी और उसकी पत्नी बन बैठी।...जनमानस मानता है कि मायावती स्वयं रति थी और प्रद्युम्न कामदेव का अवतार । इस दृष्टि से मायावती और प्रद्युम्न तो पहले से ही पति-पत्नी थे। उनमें तो यही एक सम्बन्ध ही सम्भव था।...सुदामा यह सिद्ध या असिद्ध नहीं कर सकते कि प्रद्युम्न स्वयं कामदेव हैं या नहीं, पर वे मानते हैं कि मायावती अवश्य ही साक्षात् रति हैं, जिसके मन में अपनी गोद में पली सन्तान के प्रति भी वात्सल्य नहीं रति-भाव ही उमड़ा।...मायावती का वय प्रद्युम्न से बड़ा है। हो सकता है वय में मायावती स्वयं रुक्मिणी भाभी के बराबर हों या दो-एक वर्ष छोटी हों। शैशव से बिछुड़े अपने पुत्र को उसकी किशोरावस्था में पाकर कृष्ण और रुक्मिणी भाभी को प्रसन्नता तो अवश्य हुई होगी-पर साथ ही अपनी समवयस्क बहू...रुक्मिणी भाभी को ठीक ही अटपटा लगता है...पर प्रद्युम्न भी क्या करे, जिस स्त्री से उसने मातृत्व और पत्नीत्व दोनों पाया है, उससे विमुख वह कैसे हो सकता है।...फिर वीर पुरुष है प्रद्युम्न! शंबर का उसने वध किया। शाल्व को उसने पराजित किया...और सुदामा का बेटा-विवेक-अभी छोटा, कोमल-सा बालक है...।
"प्रद्युम्न!" कृष्ण बोले, "हमें खोजते हुए आये हो या संयोग से ही मिल गये हो?"
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- अभिज्ञान