आचार्य श्रीराम शर्मा >> अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाए अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाएश्रीराम शर्मा आचार्य
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अध्यात्मवाद पर आधारित पुस्तक
ईश्वर सर्वव्यापी है। विश्व के कण-कण में वह समाया हुआ है। उसे देखने या प्राप्त करने के लिए कहीं दूर देश में जाना नहीं पड़ता। जो मलीनताएँ जीव और ईश्वर के बीच में दीवार बनकर खड़ी हो जाती हैं, यदि उन्हें गिरा दिया जाए तो अत्यंत निकट निवास करने वाले परमात्मा का दर्शन तत्काल हो सकता है। विवेक की आँखों से हम उसे हर वस्तु में श्रेष्ठता, जीवन एवं सौंदर्य रूप में निहार सकते हैं। सत्, चित्, आनंद स्वरूप परमात्मा, सत्य, शिव और सुंदर अनुभूतियों में सहज ही हमें परिलक्षित हो सकता है। इसके लिए हमें अपना ही अज्ञान हटाना और अपना ही ज्ञान जाग्रत् करना है। मलीनताओं के हटते ही अपना इष्टदेव अपने चारों ओर थिरकता हुआ, परमानंद की नित्य अनुभूतियों के साथ हमारे सामने आ उपस्थित होता है। उसे बाहर ढूँढ़ने जाने की कोई आवश्यकता नहीं पड़ती।
आध्यात्मिक लक्ष्य की पूर्ति किसी के लिए भी कठिन नहीं है। अपना भीतर सुधार करने पर वे सब साधन सहज ही जुट जाते हैं, जिनके आधार पर स्वर्गानुभूति, जीवन मुक्ति, शांति, सद्गति, सिद्धि एवं ईश्वर प्राप्ति की विभूतियाँ उपलब्ध हो सकें।
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- भौतिकता की बाढ़ मारकर छोड़ेगी
- क्या यही हमारी राय है?
- भौतिकवादी दृष्टिकोण हमारे लिए नरक सृजन करेगा
- भौतिक ही नहीं, आध्यात्मिक प्रगति भी आवश्यक
- अध्यात्म की उपेक्षा नहीं की जा सकती
- अध्यात्म की अनंत शक्ति-सामर्थ्य
- अध्यात्म-समस्त समस्याओं का एकमात्र हल
- आध्यात्मिक लाभ ही सर्वोपरि लाभ है
- अध्यात्म मानवीय प्रगति का आधार
- अध्यात्म से मानव-जीवन का चरमोत्कर्ष
- हमारा दृष्टिकोण अध्यात्मवादी बने
- आर्ष अध्यात्म का उज्ज्वल स्वरूप
- लौकिक सुखों का एकमात्र आधार
- अध्यात्म ही है सब कुछ
- आध्यात्मिक जीवन इस तरह जियें
- लोक का ही नहीं, परलोक का भी ध्यान रहे
- अध्यात्म और उसकी महान् उपलब्धि
- आध्यात्मिक लक्ष्य और उसकी प्राप्ति
- आत्म-शोधन अध्यात्म का श्रीगणेश
- आत्मोत्कर्ष अध्यात्म की मूल प्रेरणा
- आध्यात्मिक आदर्श के मूर्तिमान देवता भगवान् शिव
- आद्यशक्ति की उपासना से जीवन को सुखी बनाइए !
- अध्यात्मवादी भौतिकता अपनाई जाए
- आध्यात्मिक साधना का चरम लक्ष्य
- अपने अतीत को भूलिए नहीं
- महान् अतीत को वापस लाने का पुण्य प्रयत्न