आचार्य श्रीराम शर्मा >> सफलता के सात सूत्र साधन सफलता के सात सूत्र साधनश्रीराम शर्मा आचार्य
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विद्वानों ने इन सात साधनों को प्रमुख स्थान दिया है, वे हैं- परिश्रम एवं पुरुषार्थ ...
प्राइमरी का एक मिडिल पास अध्यापक ट्रेनिंग करके अपनी पदोन्नति कर सकता है,
इंट्रेन्स, एफ. ए, बी, तथा एम. ए. पास करके विद्यालयों व कॉलिजों में जा सकता
है। एक से दो विषयों में अधिकार प्राप्त कर अपनी योग्यता बढ़ा सकता है। अपने
विषय में पूर्णता प्राप्त कर दूसरों की दृष्टि में ऊपर उठ सकता है। विद्यालय
के अन्य कार्यों में दक्षता प्राप्त कर प्रिंसिपल अथवा प्रधानाचार्य का
दाहिना हाथ बन सकता है आदि ऐसी उन्नतियाँ हैं, जो कोई भी अध्यापक सहज में ही
उपलब्ध कर सकता है।
क्लर्क जैसे सीमित स्थान में भी उन्नति कर सकने की कुछ कम संभावनाएँ नहीं
हैं। साधारण क्लर्क टाइप सीखकर उपयोगिता बढ़ा सकता है। अपने काउंटर के
अतिरिक्त अन्य स्थानों का काम सीखकर अपना विस्तार कर सकता है। चिट्ठी-पत्री,
जानकारी, सूचना, नियमों तथा विषय में निपुणता प्राप्त कर अपने अधिकारियों
निर्भर कर सकता है।
तात्पर्य यह है कि उन्नति एवं सफ़लताओं का आधार कोई स्थान, पद अथवा अवसर नहीं
है उसका आधार है जिज्ञासा, इच्छा, नवीनता तथा अखंड परिश्रम एवं लगन ! यथा
स्थान पड़े-पड़े घिस-घिस करते रहना जड़ता का लक्षण है। अपनी उन्नति का
प्रयत्न न करना न केवल अपने साथ ही बल्कि पुत्रों तथा समाज के साथ भी अन्याय
करना है। समाज की शोभा उसकी सफलता एवं संपन्नता हमारी उन्नति एवं विकास पर
निर्भर है। अस्तु, हम आज जहाँ पर पड़े हैं, वहाँ से आगे उठने में तन, मन, धन
भर कोई कसर उठा नहीं रखनी चाहिए। सफलता निश्चय ही हमारे चरण चूमेगी।
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- सफलता के लिए क्या करें? क्या न करें?
- सफलता की सही कसौटी
- असफलता से निराश न हों
- प्रयत्न और परिस्थितियाँ
- अहंकार और असावधानी पर नियंत्रण रहे
- सफलता के लिए आवश्यक सात साधन
- सात साधन
- सतत कर्मशील रहें
- आध्यात्मिक और अनवरत श्रम जरूरी
- पुरुषार्थी बनें और विजयश्री प्राप्त करें
- छोटी किंतु महत्त्वपूर्ण बातों का ध्यान रखें
- सफलता आपका जन्मसिद्ध अधिकार है
- अपने जन्मसिद्ध अधिकार सफलता का वरण कीजिए