भाषा एवं साहित्य >> घाघ और भड्डरी की कहावतें घाघ और भड्डरी की कहावतेंदेवनारायण द्विवेदी
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घाघ और भड्डरी में दैवी प्रतिभा थी। उनकी जितनी कहावतें हैं, सभी प्रायः अक्षरशः सत्य उतरती हैं।
जौ गेहूँ बौवै सेर पचीसौ, मटर के बीघा सेर तीसौ।
बोवै चना पसेरी तीन, तीन सेर बीघा ज्वारी कीन।
दो सेर मेंथी अरहर मास, डेढ़ सेर बिहा बीज कपास।
पाँच पसेरी बिगहा धान, तीन पसेरी जड़हन आन।
सवा सेर सावाँ का मान, तिल्ली सरसों अंजन जान।
बर्रे कोदो सेर बुआवै, डेढ़ सेर लै तीसी नावै।
डेढ़ सेर बजरा बजरी सावाँ, कोदो काकुनि सवैया बोवा।।
यहि विधि खेती करै किसान, दूने लाभ की खेती जान।।
एक बीघा खेत में गेहूं व जौ पच्चीस सेर, मटर तीस सेर, चना पन्द्रह सेर,
ज्वार तीन सेर, अरहर मेथी उर्द दो सेर, कपास डेढ़ सेर, धान पच्चीस सेर,
जड़हन पन्द्रह सेर, साव सेर भर, तिल्ली और सरसों मुट्ठी भर, बरें और कोदौ
काकुनि एक सेर के हिसाब से बोने वाले किसान को ही दूना लाभ होता है।
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