भाषा एवं साहित्य >> घाघ और भड्डरी की कहावतें घाघ और भड्डरी की कहावतेंदेवनारायण द्विवेदी
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घाघ और भड्डरी में दैवी प्रतिभा थी। उनकी जितनी कहावतें हैं, सभी प्रायः अक्षरशः सत्य उतरती हैं।
यात्रा में शुभाशुभ स्वर और दिन का विचार
जो स्वर चलै सोई पग दीजै, भरनी भद्रा एक न लीजै।।
गवन समय जो स्वान, फरफराय दे कान।।
एक सूद्र दो वैस असार, तीन विप्र और क्षत्री चार।।
सनमुख आवै जो नौ नार, कहै भइरी अशुभ विचार।।
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