भाषा एवं साहित्य >> घाघ और भड्डरी की कहावतें घाघ और भड्डरी की कहावतेंदेवनारायण द्विवेदी
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घाघ और भड्डरी में दैवी प्रतिभा थी। उनकी जितनी कहावतें हैं, सभी प्रायः अक्षरशः सत्य उतरती हैं।
संवत् नाम और ग्रहण का विचार
संवत् सर को राजा सोई।।
जेहि नक्षत्र में रवि तपै, तिहीं अमावस होय।
परिवा साँझी जो मिलै, सूर्य ग्रहण तब होय।।
मास ऋषत्र जो तीज अँध्यारी, तेह ज्योतिषी ताहि बिचारी।
तिहि नक्षत्र जो पूरनमासी, निहचै चन्द्र ग्रहण उपहासी।।
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