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रोमांचक विज्ञान कथाएँ

जयंत विष्णु नारलीकर

प्रकाशक : विद्या विहार प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :166
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 3321
आईएसबीएन :81-88140-65-1

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सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक एवं विज्ञान लेखक श्री जयंत विष्णु नारलीकर द्वारा लिखित ये विज्ञान कथाएँ रहस्य, रोमांच एवं अदभुत कल्पनाशीलता से भरी हुई है...


तेंग ने अपनी समझदारी दिखाई-"तथाकथित अच्छे पुराने दिनों में आदमी को आरामदेह जीवन जीने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती थी, कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता था, विपरीत परिस्थितियों से पार पाना पड़ता था; इससे वह व्यस्त रहता था और जरा सी कामयाबी उसे ढेर सारी खुशी और संतोष देती थी। इन चुनौतियों को हटा दो, जिंदगी को आसान और साधारण बना दो तो तुम्हें बोरियत के अलावा कुछ नहीं मिलेगा।"

"यहाँ आधुनिक कन्फ्यूशियस का ज्ञान बोल रहा है।" कार्टर ने कहा, आज मानवजाति की आबादी क्यों सिमट रही है? वैज्ञानिक कारण जानने को परेशान हैं। पर मैं जो समझता हूँ वह कुछ ऐसा है-जिंदा रहने की सहज वृत्ति लगभग समाप्त हो गई है। तब क्यों भला हमारी प्रजाति जीवित रहेगी! आमतौर पर प्राकृतिक ताकतें विद्यमान जीवन के लिए चुनौतियाँ पेश करती हैं और उसकी सहायता भी करती हैं। आज जीवन इतना यांत्रिक बन चुका है कि इसमें प्रकृति के लिए कोई भूमिका नहीं बची है।"

'लेकिन मुझे तो एक और खतरा नजर आता है और अगर शीघ्र कोई काररवाई नहीं की गई तो यह खतरा जानलेवा हो सकता है।" विलियम ने हैरानी से अपनी ओर ताकते हुए साथियों को देखकर कहा, "क्षेत्र-एक और दो पूरी तरह सौर ऊर्जा पर चलते हैं।" उनके तमाम ऊर्जा स्रोत अंतरिक्ष में हैं। कल्पना करो कि अगर किसी कारण से ये स्रोत गुम हो जाएँ तो? आपको याद होगा कि हमारे जमाने में ऊँची इमारतों में रहनेवाले लोग बिजली पर निर्भर थे। जब कभी बिजली जाती थी तो न केवल चारों ओर ब्लैक आउट हो जाता था, बल्कि लोग लिफ्टों में फँस जाते थे। उनके रखे हुए खाद्य बरबाद हो जाते थे, कंप्यूटर काम करना बंद कर देते थे "मैं लंबे समय के पावर कट की बात कर रहा हूँ। आज तो हालात और भी खराब हैं।"

"किस तरह से?" दलजीत ने पूछा।

"सोचो कि अगर दुर्घटना या तोड़-फोड़ के कारण सभी सौर ऊर्जा स्टेशन काम करना बंद कर दें तो क्षेत्र-एक व दो में इस ऊर्जा से चलनेवाली तमाम जिंदगी थम जाएगी। यहाँ तक कि बिजलीघरों की मरम्मत करनेवाली मशीनें भी काम नहीं करेंगी, क्योंकि वे भी सौर ऊर्जा से चलती हैं।"

तेंग ने बीच में ही टोका, “विलियम, मैं सोचता हूँ कि दुर्घटना या तोड़- फोड़ से एक या दो पावर स्टेशन नष्ट हो सकते हैं या खराब हो सकते हैं, लेकिन यह कहना कुछ ज्यादती होगी कि सभी एक साथ बेकार कर दिए जाएंगे।" "मैं मानता हूँ, पर एक संभावना है जो अब भी इस कहर को बरपा सकती है, जिसके बारे में मैं सोच रहा हूँ। यह संभावना लड़ाई की है-विश्वयुद्ध।" "विलियम को जो डर है उसकी संभावना क्षीण भले ही हो, पर पूरी तरह असंभव नहीं है।" दलजीत ने दखल दिया, "मैंने वर्तमान दशा पर इस कोण से गौर किया है। हालाँकि चारों ओर अमन-चैन है, लेकिन सभी क्षेत्रों में विनाशक हथियारों के जखीरे मौजूद हैं, जो हमारी पूरी सभ्यता का सफाया कर सकते हैं। अगर यह मान भी लें कि वे इन हथियारों का इस्तेमाल नहीं करते हैं तो भी एक- दूसरे के ऊर्जा स्रोतों को नष्ट करने की संभावना तो है ही, जैसा विलियम ने बताया। इससे सभी क्षेत्रों में भारी भगदड़ मच जाएगी; क्योंकि ऐसा कोई आक्रमण केवल अंतरिक्ष में मौजूद सौर ऊर्जा-गृहों तक ही सीमित नहीं रहेगा, बल्कि धरती पर मौजूद पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों को भी तबाह कर देगा।"

इलया ने अपना सिर हिलाया-"नहीं दोस्तो! मैं इससे सहमत नहीं हूँ। ऐसा कोई खतरा नहीं है! सभी क्षेत्रों के बीच दोस्ताना संबंध हैं। उनके बीच किसी प्रकार के विवाद भी नहीं हैं। व्यापारिक संबंध भी बेहतरीन हैं, इसलिए किसी विश्वयुद्ध के छिड़ने की संभावना शून्य है।"

इलया का मानना ठीक था, पर उसने जो नतीजा निकाला था वह गलत साबित हुआ भयानक रूप से गलत।

तीन महीने और बीत गए। वे पाँचों नए वातावरण में रम गए थे और सामान्य जिंदगी जीने लगे थे। इसके बावजूद वे अपने जीवन में बीत चुकी एक सदी के बारे में सचेत थे। इसी एक सदी के अंतर ने उन्हें इस वर्तमान हालत में ला पटका था। विलियम ने क्षेत्र-एक में बसना पसंद किया। इलया ने क्षेत्र-दो चुना। दलजीत और तेंग क्षेत्र-तीन के अपने पुराने शहरों में रहने लगे, जबकि कार्टर ने क्षेत्र-चार के दक्षिण अफ्रीका में अपना घर बनाया। इन दूरियों के बावजूद वे सप्ताह में एक बार आपस में मिलते थे और विभिन्न मसलों पर चर्चा करते थे। हाइपरसोनिक जहाजों में वे केवल चार घंटों में ही आधी धरती नाप लेते थे। लेकिन एक दिन विलियम अचानक ही दलजीत के घर आ धमका। वह बहुत चिंतित लग रहा था। इससे पहले कि दलजीत कुछ कह पाता, उसने बोलना शुरू कर दिया, "दलजीत, मैंने क्षेत्र-एक में सौर ऊर्जा स्टेशनों का गहराई से परीक्षण किया है, इससे मेरी चिंता बढ़ गई है। जैसा कि तुम जानते हो, ये सौर ऊर्जा स्टेशन धरती के चारों ओर छितराए हुए हैं, जिससे कि हर वक्त किसी एक स्टेशन पर सीधी धूप पड़ती रहे। इस तरह के 24 केंद्र हैं।

'ऐसा प्रत्येक केंद्र अपने क्षेत्र में छोटे-छोटे ऊर्जा वितरकों को नियंत्रित करता है। ऐसे अनेक ऊर्जा वितरक हैं, पर वे सभी पूरी तरह से अपने नियंत्रण के केंद्र पर निर्भर हैं। अगर नियंत्रक खराब हो जाए तो वे सभी काम करना बंद कर देंगे।"

क्या ये सभी 24 ऊर्जा केंद्र स्वतंत्र हैं ?" दलजीत ने पूछा।

नहीं, वे सभी धरती पर प्रत्येक क्षेत्र में लगे 4 मास्टर कंप्यूटरों के नियंत्रण में हैं। प्रत्येक क्षेत्र में एक-एक मास्टर कंप्यूटर लगा है। अगर कोई केंद्र खराब होता है तो उस पर नियंत्रण करनेवाले मास्टर कंप्यूटर को पता लगाना होता है कि केंद्र क्यों खराब हुआ। यह पता लगाने के बाद उसे ठीक करने का काम किया जाता है। जब तक कि वह केंद्र दोबारा पूरी ऊर्जा का उत्पादन न करने लगे, बाकी केंद्रों को अपनी उत्पादकता बढ़ाकर इस कमी को पूरा करना पड़ता है।" विलियम ने बताया।

"मेरे मन में दो सवाल हैं।" दलजीत ने कहा।
'जल्दी से पूछो!"

पहला सवाल तो यह है कि अन्य केंद्रों को कितनी देर तक ज्यादा काम करना पड़ता है?"

'एक घंटे से ज्यादा नहीं। खराबी को दूर करने में इतना ही वक्त लगता।

एक घंटे में एक केंद्र अँधेरे में चला जाता है, जबकि दूसरा प्रकाश में आ जाता है।" दलजीत ने अपनी बातों पर जोर देते हुए कहा, "मान लो, अगर ज्यादा काम करनेवाला कोई दूसरा केंद्र अँधेरे में चला जाए तो क्या इससे कार्य-संतुलन का अनुपात बिगड़ नहीं जाएगा?"

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