कहानी संग्रह >> रोमांचक विज्ञान कथाएँ रोमांचक विज्ञान कथाएँजयंत विष्णु नारलीकर
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सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक एवं विज्ञान लेखक श्री जयंत विष्णु नारलीकर द्वारा लिखित ये विज्ञान कथाएँ रहस्य, रोमांच एवं अदभुत कल्पनाशीलता से भरी हुई है...
इलया मोरोविच विश्व की राजनीतिक दशा पर स्वयं को आश्वस्त करने की कोशिश कर
रहा था। वे अमरीका क्षेत्र की ओर बढ़ रहे थे। उसके मस्तिष्क बैंक ने बताया कि
उसका क्या मतलब है। सारी दुनिया अब केवल चार क्षेत्रों में बँटी हुई थी। यानी
अमरीका क्षेत्र में उत्तर और दक्षिण अमरीका दोनों महाद्वीप शामिल थे।
क्षेत्र-दो यूरोप था, जिसमें रूस और साइबेरिया भी शामिल थे। क्षेत्र-तीन में
शेष एशिया और ओशियानिया यानी ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड भी शामिल थे।
क्षेत्र- चार अफ्रीका और अंटार्कटिक को मिलाकर बना था।
यह विभाजन पूरी तरह से आर्थिक आधार पर किया गया था। इसमें धर्म- जाति-नस्ल या
इतिहास या किसी अन्य चीज का हाथ नहीं था।
प्रत्येक क्षेत्र बुनियादी तौर पर स्वतंत्र और अपने यहाँ उपलब्ध प्राकृतिक
तथा मानव संसाधनों के बल पर प्रत्येक क्षेत्र में विकास कार्यों को चला सकता
है और इस बीच ऊँचे जीवन स्तर को कायम रखा जाता। क्षेत्रों को दिए गए एक से
चार तक अंक क्षेत्र के विकास के स्तर का संकेत भी देते थे। क्षेत्र-एक विकास
की दृष्टि से सबसे ऊपर था। क्षेत्र-एक और दो अब पूरी तरह से सूर्य से ली गई
ऊर्जा का उपयोग करते थे। क्षेत्र-तीन में आधी सौर ऊर्जा और आधी ऊर्जा जीवाश्म
ईंधनों-कोयला, पेट्रोल, प्राकृतिक गैस आदि से ली जाती थी। क्षेत्र-चार में
केवल 30 प्रतिशत सौर ऊर्जा और 70 प्रतिशत पारंपरिक ऊर्जा का उपयोग होता था।
हालाँकि क्षेत्र -एक और दो में जीवन स्तर क्षेत्र-तीन और चार के मुकाबले ऊँचा
था। फिर भी पिछली सदी के मुकाबले असमानता काफी हद तक घर कर गई थी। इसका कारण
यह था कि क्षेत्र-तीन और चार में भी जनसंख्या नियंत्रण के लाभों को पूरी तरह
समझ लिया गया था और जनसंख्या नियंत्रण के उपायों का कड़ाई से पालन कर रहे थे।
विलियम मॉनक्रीफ एस.एस.वी. से धरती तक अंतरिक्ष यान के मार्ग का परीक्षण कर
रहा था। मार्ग में काले बिंदुओं से प्रदर्शित प्रतिबंधित क्षेत्रों ने उसका
ध्यान उलझा रखा था। क्यों?
उसके मस्तिष्क में संचित सूचना बैंक में जवाब हाजिर था। उन क्षेत्रों में सौर
ऊर्जा संचित करनेवाली इकाइयाँ लगी थीं। असल में वे इकाइयाँ बड़े-बड़े गोल
शीशे की शक्ल में थीं, जो सूरज की किरणों को एक बिंदु पर केंद्रित करती थीं।
जहाँ वे बहुत ही तेज गरमी पैदा करती थीं। विलियम को बचपन में खेले गए खेल याद
आ गए, जिनमें वे लेंस से सूर्य की किरणों को केंद्रित कर कागज जलाया करते थे।
तो अब अंतरिक्ष भी मानव के लिए क्रीड़ास्थल बन गया।' वह बड़बड़ाया। कार्टर
पैटरसन जानना चाहता था कि विज्ञान ने कितनी प्रगति की है, खासकर उसके क्षेत्र
में जहाँ-जहाँ जीवविज्ञान में चल रहे प्रयोगों को अमरीकी कांग्रेस ने बंद
करवा दिया था, बल्कि क्या पिछले सौ वर्षों में जीवविज्ञान ने इतनी प्रगति कर
ली थी कि वह परखनली में जीवन पैदा कर सके?
नहीं, अभी नहीं! लेकिन कार्टर ने पाया कि वैज्ञानिक अब जीवन की पहेली को
सुलझाने के कगार पर थे। उन्हें भरोसा था कि इस पहेली को दस वर्षों के भीतर
सुलझा लेंगे। इस बीच मानव शरीर के क्रिया-कलापों के बारे में जानकारी इस हद
तक बढ़ गई थी कि सभी बीमारियों की रोकथाम की जा सकती थी या उनका इलाज भी किया
जा सकता था। दरअसल, कार्टर को पता लगा कि अंतिम किस्म के रहे-सहे कैंसर का भी
पिछले साल नामोनिशान मिटा दिया गया था। लेकिन अब नई-नई समस्याएँ जीव
वैज्ञानिकों को परेशान करने लगी थीं। क्षेत्र- -एक और दो में मनुष्यों की औसत
आयु घटकर 55 साल रह गई थी तथा यह और कम होती जा रही थी। क्षेत्र-तीन और चार
में औसत आयु अभी 65 साल थी, पर इसमें भी गिरावट आ रही थी। क्यों? जैसे कोई
मशीन चलते-चलते अचानक रुक जाए वैसे ही मानव-जीवन भी एक दिन अचानक रुक जाएगा!
क्यों? इसके साथ ही एक और चीज थी कि जन्म-दर में भी लगातार गिरावट आ रही थी।
ऐसा लगता था कि मानव प्रजाति की प्रजनन क्षमता कम हो रही थी।
क्यों?
अन्य प्रश्नों के उत्तर के विपरीत कार्टर के दिमाग में इन 'क्यों' का कोई
जवाब नहीं था। लेकिन इन उपर्युक्त चीजों का एक नतीजा यह निकला कि दुनिया की
आबादी तेजी से घट रही थी। सन् 2100 में आबादी घटकर 6 अरब रह गई थी। और अगले
दस वर्षों में इसमें 4 प्रतिशत की और कमी आ गई। अगर ऐसा ही चलता रहा तो क्या
बाईसवीं सदी के अंत तक धरती पर कोई इनसान बचेगा कि नहीं। कार्टर ने हैरानी से
सोचा।
'सज्जनो, अब हम क्षेत्र-एक के लैंडिंग पैड पर पहुंच रहे हैं। वहाँ उस क्षेत्र
के प्रमुख आपका स्वागत करने के लिए इंतजार कर रहे हैं।" यह घोषणा सुनते ही
पाँचों यात्री अपने खयालों और चिंता की दुनिया से बाहर आए। आखिरकार इस जगह पर
उनकी सौ वर्ष लंबी यात्रा अंतिम मुकाम पर पहुँची।
"अगर आप मुझसे पूछे तो मैं सौ वर्ष पहले के जीवन का पक्ष लूँगा।"
दलजीत ने उत्साह में कहा। उन्हें धरती पर लौटे हुए करीब तीन महीने बीत चुके
थे। इन तीन महीनों में वे धरती के चारों क्षेत्रों और अपने-अपने जन्मस्थानों
की सैर कर चुके थे। अगले सप्ताह उनका चाँद की सैर का कार्यक्रम था। वहाँ
उन्हें बस चुकी मानव बस्ती को देखना था।
उस सौ साल के मिशन के लिए उन पाँचों का चुनाव करने की एक कसौटी यह थी कि उनका
कोई नजदीकी रिश्तेदार नहीं होना चाहिए था। उन्हें पूरी तरह अकेले होना चाहिए
था। इस कसौटी के पीछे कारण केवल यही था कि जब वे सौ साल बाद वापस आएँ तो उन
पर किसी भी प्रकार के रिश्ते-नातों की बंदिश न हो। और फिर सन् 2010 की तेज
रफ्तार यांत्रिक जिंदगी के लिए घर-परिवार और रिश्ते-नातों की भावना अतीत की
बात थी। जिंदगी का यह नया ढर्रा दलजीत को परेशान कर रहा था।
"हम सभी इस सोच के आदी होते हैं कि जिस परिवेश में हमारा लालन- पालन होता है
हम उसी को सर्वश्रेष्ठ मान लेते हैं। लेकिन जैसे-जैसे हम बड़े होते हैं और
अपने आस-पास बदलाव होते देखते हैं, हम असहज और परेशान होने लगते हैं।" कार्टर
ने कहा।
एक तरह से मैं दलजीत से सहमत हूँ।'' विलियम ने कहा।
आज हम चारों ओर संपन्नता का वातावरण देखते हैं। कोई बेरोजगारी नहीं, कोई
गरीबी नहीं, कोई अपराध नहीं, कोई झगड़ा-फसाद नहीं। मगर आदमी फिर भी सुखी और
संतुष्ट नजर नहीं आता।"
"बिलकुल! मनोरंजन के अनेक साधनों, ढेर सारा खाली समय होने तथा घूमने-फिरने के
अनेक मौकों की उपलब्धता के बावजूद लोगों को चैन नहीं, सबके सब बेचैन लगते
हैं।" इलया ने कहा।
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