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रोमांचक विज्ञान कथाएँ

जयंत विष्णु नारलीकर

प्रकाशक : विद्या विहार प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :166
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 3321
आईएसबीएन :81-88140-65-1

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सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक एवं विज्ञान लेखक श्री जयंत विष्णु नारलीकर द्वारा लिखित ये विज्ञान कथाएँ रहस्य, रोमांच एवं अदभुत कल्पनाशीलता से भरी हुई है...


"सर जॉन, क्या मैं पूछ सकता हूँ कि आपको यह पांडुलिपि कैसे मिली? मैंने 'नेचर' से कहा था कि इसे अविलंब छाप दिया जाए, क्योंकि यह महत्त्वपूर्ण है।" जेम्स के चेहरे पर हैरानी के भाव झलक रहे थे।

"मैं भी मानता हूँ कि यह महत्त्वपूर्ण है। असल में यह इतना महत्त्वपूर्ण है कि इसे कभी प्रकाशित ही नहीं होना चाहिए यानी आपने जो कहा है, अगर वह सच है तो।" सर जॉन ने पाइप सुलगाया।

उसके काम की सटीकता पर कोई संदेह करे या कोई सच्चाई को दबाने का आदेश दे तो जेम्स को कभी भी सहन नहीं होता। पर क्योंकि सर जॉन सम्मानित वैज्ञानिक थे और उसकी बातों को सुनना भी चाहते थे, इसलिए जेम्स चुप था। दो कश खींचने के बाद सर जॉन ने बोलना शुरू किया, "कृपया मुझे गलत न समझें, डॉ. फॉरसिथ। आज दोपहर के भोजन पर मैं टेलर से क्लब में मिला था, जहाँ उसने मुझे आपका परचा दिखाया। मेरी अभी भी खगोलशास्त्र में अच्छी-खासी रुचि है। आप जानते हैं किसी पेशेवर रेफरी के पास भेजने से पहले उसने इस पर मेरी राय मांगी है। मुझे तुरंत ही महसूस हुआ, आपने जो नतीजा निकाला है उसका बहुत गहरा असर होगा, बशर्ते कि वह सही हो।"

'मेरा यकीन करें, सर जॉन, यह बिलकुल सही नतीजा है। मैंने इस पर अपना सारा कुछ दाँव पर लगा दिया है।" जेम्स अपने आप पर और ज्यादा काबू नहीं रख पाया।

'हालाँकि आकाशीय यांत्रिकी में आपका बड़ा नाम है, पर मैं चाहूँगा कि इस बार आपकी गणना गलत साबित हो। आपने भविष्यवाणी की है कि धूमकेतु दत्ता धरती से टकराने जा रहा है। क्या आप जानते हैं कि इस टक्कर का नतीजा क्या होगा?"

'नतीजे तो विनाशकारी ही होंगे। इसलिए मैंने अपनी गणनाओं को जाँचने में ज्यादा सावधानी बरती। कुछ दुर्लभ परिस्थितियों को छोड़ दें तो यह टक्कर जरूर होगी।" जेम्स के शब्दों में पूरा आत्मविश्वास झलक रहा था। तभी सर जॉन ने अप्रत्याशित सवाल दागा, "और वे दुर्लभ परिस्थितियाँ क्या हैं ?"

"हूँ, हो सकता है कि धरती पर पहुँचने से पहले ही वह किसी क्षुद्र ग्रह से टकरा जाए अथवा सूर्य के निकट आने पर फट जाए या भाप बनकर उड़ जाए।"

"लेकिन हम इन परिस्थितियों पर भरोसा नहीं कर सकते, जो खुद संयोग पर टिकी हों। हमें तो यही मानकर चलना होगा कि धूमकेतु दत्ता धरती से टकराएगा। इस तरह के धूमकेतुओं की धरती से टक्कर दस लाख वर्ष में एक बार होती है; पर अब हम जानते हैं कि अगले साल ही एक धूमकेतु धरती से टकराने जा रहा है।" 'नहीं, केवल दस महीने में।" जेम्स ने बीच में ही टोका।

भूल सुधार के लिए धन्यवाद! क्या तुम महसूस करते हो कि धरती पर जीव-जंतुओं की सारी प्रजातियों को बचाने के लिए हमारे पास केवल दस माह का वक्त है ? क्योंकि इस सीधी टक्कर में ऐसा नहीं होगा कि धरती का केवल वही भाग तबाह हो जिससे धूमकेतु टकराएगा, बल्कि समुद्र का जल बड़े पैमाने पर भाप बनकर उड़ जाएगा। वातावरण के अभाव में वे जीव-जंतु भी नष्ट हो जाएँगे, जो टक्कर से बच जाएँगे। क्या तुम नहीं सोचते कि इस सबको रोकने के लिए हमें कुछ करना चाहिए?"

जेम्स के चेहरे पर मुसकान तैर गई। 'बिलकुल सरकारी नौकर की तरह बोल रहा है ! जैसे कि हमारे सामने कानून-व्यवस्था तोड़ने की कोई मामूली वारदात हो।' जेम्स ने सोचा। लेकिन प्रकट रूप में कहा, "मैं पूछ सकता हूँ कि कैसे हम इस प्राकृतिक आपदा को टाल सकते हैं?"

"मैं नहीं जानता, पर हमारे पास कोशिश करने के अलावा और कोई चारा नहीं है। मैं सोचता हूँ कि इस मुसीबत से निपटने के लिए हमें दो से ज्यादा खोपड़ियों की जरूरत पड़ेगी। यह जरूरी है कि सारी दुनिया से विशेषज्ञों की बैठक तुरंत बुलाई जाए और इस आपदा को टालने के लिए गंभीरता से विचार- विमर्श किया जाए। यह सब काम पूरी गोपनीयता से होना चाहिए।" जेम्स के हाथों में पकड़ी पांडुलिपि को देखते हुए सर जॉन ने कहा, "जरा सोचो, अगर दिल दहला देनेवाली यह खबर लीक हो जाए तो दुनिया में कितनी भगदड़ मच जाएगी!" "लेकिन मेरे इस परचे को दबा लेने से सच्चाई छुप तो नहीं जाएगी, सर जॉन!" जेम्स ने कहा, "दुनिया में और भी वैज्ञानिक हैं, जो देर-सबेर इसी नतीजे पर पहुंचेंगे।"

'नहीं-नहीं, इसे दबाओ नहीं, पर इसकी भाषा को जरा गोलमोल कर दो। इसमें जगह-जगह पर अगर-मगर' जोड़ दो, ताकि लगे कि तुम्हारा निष्कर्ष निश्चित नहीं है। इस बीच मैं अन्य देशों में अपने मित्रों पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर उन्हें भी संयम बरतने को कहूँगा।"

"पर कब तक?"

"जब तक कि यह कमबख्त धूमकेतु चुपचाप अपने रास्ते पर चला नहीं जाता है। आओ, कुछ वक्त लगाकर हम इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की तैयारी के लिए योजना बनाएँ। क्या हम इस बैठक को एक हफ्ते में बुला सकते हैं, इसी जगह?"

अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की अहम लेकिन गोपनीय बैठक, वह भी केवल एक हफ्ते के भीतर ! जेम्स को कुछ संदेह था, पर सर जॉन उससे सहमत नहीं हुए और बैठक की योजना बनाने में जुट गए।

जिस वक्त तक उनकी बातचीत खत्म हुई और सर जॉन ने जेम्स को रीजेंट्स स्ट्रीट पर उनके होटल पहुँचवाया, रात के एक बज चुके थे। सड़क पूरी तरह सुनसान पड़ी थी। तभी अनायास ही जेम्स की निगाह ऊपर को उठी। खिड़की के बाहर तारों भरा आसमान उसका स्वागत कर रहा था। उन्हीं सितारों के बीच कहीं दत्ता धूमकेतु था, जो सीधे धरती से टकराने आ रहा था। ऐसी नीरवता भरी रात में यकीन करना मुश्किल था कि भविष्य में कितनी भीषण तबाही होने जा रही है। एक पल के लिए तो जेम्स को भी लगा कि उसके गुणा-भाग में कोई गलती तो नहीं हो गई।

अभी तक जेम्स के मन में सर जॉन की विद्वत्ता को लेकर जो कुछ शक था वह भी जाता रहा। जब वह बैठक में भाग लेने वहाँ पहुँचा तो देखा कि जिन विशेषज्ञों की सूची बनाई गई थी, वे सभी वहाँ मौजूद थे। खगोलशास्त्री, कंप्यूटर वैज्ञानिक, नाभिकीय भौतिकविद्, अंतरिक्ष विज्ञानी, जीव विज्ञानी-सब-के-सब बैठक में मौजूद थे और सर जॉन ने खास तौर पर उस शख्स को भी बुलाया था जिसकी खोज से इस बवाल की शुरुआत हुई–मनोज दत्ता।

सम्मेलन करीब एक सप्ताह तक चला। पूरी काररवाई की किसी को भनक तक नहीं लगी। सबसे पहले तो वरिष्ठ विशेषज्ञों ने जेम्स फॉरसिथ की गणनाओं का धूमकेतु दत्ता के ताजा प्रेक्षणों से मिलान किया। वह बिलकुल ठीक था। उसने जिस सीधी टक्कर की भविष्यवाणी की थी उससे कोई बचाव नहीं था। इस बात की मामूली सी संभावना थी कि धूमकेतु धरती से टकराकर नहीं, बस वातावरण को रगड़ता हुआ निकल जाए। वैसी सूरत में जान-माल का भारी नुकसान नहीं होता; पर यह मामूली राहत यह आश्वस्त करने को अपर्याप्त थी कि कोई काररवाई न की जाए।

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