कहानी संग्रह >> रोमांचक विज्ञान कथाएँ रोमांचक विज्ञान कथाएँजयंत विष्णु नारलीकर
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सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक एवं विज्ञान लेखक श्री जयंत विष्णु नारलीकर द्वारा लिखित ये विज्ञान कथाएँ रहस्य, रोमांच एवं अदभुत कल्पनाशीलता से भरी हुई है...
"हमारा समाज अभी इतना परिपक्व नहीं हुआ है कि महानता को अपने में समा सके।
लेकिन मेरी तरह के बहुत कम लोग हैं जो इस तरह से महसूस करते हैं। क्या मैं
पूछ सकता हूँ कि तुमने यह क्यों कहा कि मैंने इस धूमकेतु को नहीं खोजा होता।"
'धूमकेतु दुर्भाग्य लाते हैं और मैं चाहती हूँ कि आप जैसे अच्छे आदमी को किसी
धूमकेतु की खोज से नहीं जुड़ना चाहिए था।" इंद्राणी देवी ने चिंतातुर हो कहा।
दत्ता दा ठहाका लगाकर हँस पड़े।
"मैं देखता हूँ कि एम.ए. की डिग्री ने भी तुम्हारे अंधविश्वासों का इलाज नहीं
किया है। किसी धूमकेतु के आगमन और धरती पर तबाहियों के बीच कोई संबंध नहीं
है, बल्कि धूमकेतुओं का वैज्ञानिक ढंग से अध्ययन किया गया है और उनकी बनावट
को अच्छी तरह समझा गया है।
"उनमें कुछ भी नुकसानदायक नहीं है। वे तो निष्क्रिय प्रणालियाँ हैं जो
गुरुत्वाकर्षण बल में अपने आप खिंची चली आती हैं—हम मनुष्यों पर उनकी दिव्यं
या दानवी ताकत चलने की तो बात ही छोड़ दो! तुम जल्दी ही देखोगी कि मेरे
द्वारा खोजा गया यह धूमकेतु हमारे पास से चुपचाप गुजर जाएगा और किसी के लिए
कोई परेशानी पैदा नहीं करेगा।"
लेकिन अपनी इस आखिरी बात में दत्ता दा बिलकुल ठीक नहीं जा रहे थे। कैंब्रिज
के किंग्स कॉलेज के बड़े से दावतखाने में अभी-अभी रात की दावत खत्म हुई थी।
कॉलेज के छात्र फेलो (प्राध्यापक) दावत में शरीक हुए थे। विद्यार्थीगण तो
चुपचाप खाना खाकर जा चुके थे और अपनी-अपनी पढ़ाई या मौज-मस्ती में मशगूल थे।
पर फेलो अभी-अभी दावतखाने की ऊँची मेज पर डटे हुए थे। डटकर खाने के बाद अब वे
कॉलेज के तहखाने से निकाली गई शैटियू मॉण्टॉ रॉथ्स चाइल्ड जैसी पुरानी मदिरा
का स्वाद ले रहे थे।
दरअसल, कॉलेज के प्राध्यापकों को कॉलेज की उत्कृष्ट मदिरा पर बहुत गर्व था।
उन्हें शराब न पीनेवालों पर तरस आता था और पीकर धुत्त हो जानेवालों से घृणा
होती थी। उनकी राय में ये दोनों ही तरह के पियक्कड़ शराब के नजाकत भरे स्वाद
का मजा लेना नहीं जानते थे। इन शराब पारखियों में जेम्स फोटसिथ सबसे नया था।
दस्तूर के अनुसार और जूनियर फेलो होने के नाते शराब, अखरोट एवं पनीर का दौर
पूरा होने पर बत्तियाँ बुझाने का काम उसे ही करना पड़ता है और दस्तूर के
अनुसार ही बोतलों में बची-खुची शराब भी वह घर ले जाकर पी सकता था। आज रात भी
वह शराब का दौर थमने का इंतजार कर रहा था। पर आज ऐसा कुछ भी नहीं होने वाला
था। शराब की खूबसूरत ट्रॉली ने लंबी मेज़ का एक चक्कर लगाया ही था कि रसोइए
ने आकर प्रिंसिपल के कान में फुसफुसाकर कुछ कहा। साथ ही चाँदी की ट्रे में
उन्हें एक लिफाफा थमा दिया। प्रिंसिपल ने इशारे से जेम्स को अपने पास बुलाया
और लिफाफा देते हुए कहा, "ऐसा लगता है कि जिम, आज रात बची हुई शराब तुम्हें
नहीं मिलेगी। लगता है, कमरे में तुम्हारी सख्त जरूरत है।"
जेम्स गिब्स द्वारा बनाई गई खूबसूरत इमारत की ओर बढ़ते हुए जेम्स ने लिफाफा
खोला। इसमें एक छोटा सा संदेश था-
प्रिय डॉ. फॉरसिथ,
इस संदेशवाहक को निर्देश है कि वह आपको आज रात मेरे लंदनवाले कार्यालय में ले
आए। कृपया अविलंब चले आएँ। मैं लंदन में आपके रात भर रुकने का इंतजाम कर रहा
हूँ।
आपको हुई असुविधा के लिए मुझे खेद है। आपसे प्रार्थना है कि इस यात्रा को
गोपनीय रखें। मेरा विश्वास करें, यह बहुत जरूरी है।
आपका विश्वसनीय,
जॉन मैकफर्सन
हस्ताक्षर के नीचे करनेवाले की पदवी भी लिखी थी-
'प्रतिरक्षा विज्ञान सलाहकार', महामहिम महारानी की सरकार।'
जेम्स के कमरे में घुसते ही आतिशदान के पास बैठे, कटोरी जैसी टोपी पहने आदमी
ने उनका स्वागत किया।
"मैं जॉनसन हूँ, श्रीमान। ह्वाइट हॉल में सुरक्षा अधिकारी।"
उसने अपना पहचान-पत्र दिखाया और आगे बोला, "मैं समझता हूँ श्रीमान, आप मेरे
यहाँ आने का कारण जानते हैं।"
"केवल उतना ही जितना इस संदेश में है।" जेम्स ने उत्तर दिया। वह जानता था कि
जॉनसन से और ज्यादा पूछताछ करना बेकार है-"मैं ज्यादा वक्त नहीं लूँगा, क्या
तुम शेरी पीना पसंद करोगे?"
'नहीं श्रीमान! गाड़ी चलाते वक्त तो बिलकुल नहीं।"
जेम्स ने जल्दी-जल्दी अपना बैग तैयार किया और जॉनसन के पीछे-पीछे चल पड़ा।
आगे का लॉन पार करते ही ग्रेट सेंट मेरी चर्च के घंटाघर ने नौ का घंटा बजाया।
लंदन तक एम 11 मोटर-वे पर जॉनसन ने अपनी फोर्ड कॉर्टिना डाल दी। डेढ़ घंटे के
भीतर ही वे ह्वाइट हॉल के सामने खड़े थे। वहाँ सत्ता का गलियारा पार कर सर
जॉन मैकफर्सन के कक्ष तक पहुँचने में उन्हें दस मिनट और लगे। जेम्स को सर जॉन
से मिलाने के बाद गंभीर और अपने काम में होशियार जॉनसन चुपचाप वहाँ से चला
गया।
"डॉ. फॉरसिथ, बेवक्त आपको यहाँ बुलाने के लिए माफी चाहता हूँ।" सर जॉन ने कोट
और स्कार्फ उतारने में जेम्स की मदद करते हुए कहा,
'और ज्यादा विलंब से बचने के लिए मैं सीधे पॉइंट पर आता हूँ।" यह कहकर सर जॉन
ने जेम्स को एक छपा हुआ परचा थमा दिया।
"यह क्या! यह तो मेरा परचा है जो मैंने 'नेचर' को भेजा था। आपको यह मूल प्रति
कैसे और कहाँ से मिल गई?" जेम्स हैरान था और कुछ-कुछ परेशान भी। क्या उसकी
जासूसी की जा रही थी?
नहीं-नहीं, यह जासूसी का मामला नहीं है।" जेम्स की बेचैनी देखकर सर जॉन ने
कहा, "नेचर का संपादक टेलर मेरा मित्र है। हम ट्रिनिटी में साथ-साथ पढ़ते थे
और अब रिफॉर्म क्लब में अकसर मिला करते हैं।" हालाँकि सर जॉन ने साफ-साफ नहीं
कहा था, पर जेम्स जानता था कि ट्रिनिटी से उनका मतलब ट्रिनिटी कॉलेज,
कैंब्रिज से था।
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