कहानी संग्रह >> रोमांचक विज्ञान कथाएँ रोमांचक विज्ञान कथाएँजयंत विष्णु नारलीकर
|
14 पाठकों को प्रिय 48 पाठक हैं |
सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक एवं विज्ञान लेखक श्री जयंत विष्णु नारलीकर द्वारा लिखित ये विज्ञान कथाएँ रहस्य, रोमांच एवं अदभुत कल्पनाशीलता से भरी हुई है...
"ठीक है, तुम चालाक बनते रहो। हम भी देखते हैं कि तुम कहाँ तक जा पाते हो।
जहाँ तक मेरा संबंध है, तो मुझे किसी मशहूर विज्ञान कथा लेखक की दो सौ या सौ
साल पुरानी लिखी कहानी याद आती है, जिसे मैंने काफी पहले पढ़ा था। उसमें
मंगलवासियों ने धरती पर हमला किया था। तब भी मनुष्यों में भगदड़ मच गई थी और
उन्होंने जल्द ही घुटने टेक दिए थे।" शिवा ने कहा।
"वह लेखक था एच.जी. वेल्स। परंतु कहानी का अंत भी याद करो, अंत में
मंगलवासियों की हार हुई थी।" ए बी ने याद दिलाया।
वह इसलिए, क्योंकि मंगलवासी धरती के जीवाणुओं और विषाणुओं के आगे टिक नहीं
सके थे। उसमें मनुष्यों की चालाकी ने कौन सा तीर मार लिया था।" शिवा ने कहा।
ए बी ने कोई जवाब नहीं दिया। पर अचानक ही वह खामोशी के साथ कमरे में तेज
कदमों से चहलकदमी करने लगा।
शिवा समझ गया कि ए बी का महान् दिमाग अपनी पूरी ताकत से काम कर रहा है।
"हाँ, शायद यह काम कर जाए, इसे आजमाना चाहिए।" अचानक ही ए बी जोर से
चिल्लाया।
शिवा मुसकराया-"हाँ, अनुमान लगा सकता हूँ कि तुम्हारी सोचनेवाली मशीन किस
प्रकार काम कर रही है। पर मैं बता दूं कि इससे काम बननेवाला नहीं। तुम्हारा
विचार प्रारंभ से ही विफल होनेवाला है।"
"क्या काम नहीं करेगा?" ए बी ने पूछा। वह अब भी सोच-विचार में डूबा हुआ था।
"तुम यही सोच रहे हो न कि धरती के सूक्ष्म जीवों की चपेट में आकर मैंडावासी
भी धराशायी हो जाएँगे। पर यह मत भूलो कि उनमें से तीन जिनेवा तक हो आए हैं और
उन्हें कुछ भी नहीं हुआ। इसलिए अपने विचार को भूल जाओ।" शिवा उठकर खड़ा हो
गया। अब एक घंटे बाद ही उन्हें बंधकों के रूप में अपनी भूमिकाएँ शुरू करनी
थीं।
मगर ए बी प्रसन्नचित्त और तनावमुक्त लग रहा था। उसने शिवा की पीठ ठोंकी और
बोला, "मैं भी इतना मूर्ख नहीं हूँ, मेरे प्यारे वॉटसन ! मेरे पास वह नायाब
तरकीब है जो केवल तुम्हीं चला सकते हो। आओ, अभी भी कुछ उम्मीद बाकी है।"
और जब उसने अपनी तरकीब समझानी शुरू की तो शिवा के चेहरे की रंगत बदलने लगी।
अब वह बहमी कम और खुद पर भरोसा रखनेवाला ज्यादा लग रहा था।
शिवा और ए बी को बंधक बनाकर मैंडा के अंतरिक्ष यान में ले जाया गया। वहाँ
रहते हुए उन्हें दो दिन बीत गए। उनके साथ सभ्य व्यवहार किया गया। वे विशाल
अंतरिक्ष यान के भीतर अपनी मरजी से कहीं भी घूम-फिर सकते थे। जाहिर है कि
मैंडावासी इन बंधकों से कोई खतरा महसूस नहीं कर रहे थे ए बी ने यान के चालक
के साथ दोस्ती गाँठ ली, जबकि शिवा कंप्यूटर प्रणाली के इंचार्ज जोरो का दोस्त
बन गया।
तीसरे दिन शिवा ने जोरो से कहा, "जोरो, क्या तुम मुझे दिखा सकते हो कि
तुम्हारा कंप्यूटर कैसे काम करता है?"
'क्यों नहीं, अगर तुम चाहो तो अभी चलें।" जोरो ने मुसकराकर कहा।
वह शिवा को अपने साथ एक आयताकार बक्से के पास ले गया, जो करीब एक मीटर लंबा,
एक मीटर चौड़ा और आधा मीटर ऊँचा रहा होगा।
'यह क्या है?" शिवा ने पूछा।
हमारा कंप्यूटर। यह तुम्हारे सबसे अच्छे हाइपर कंप्यूटर से सौ गुना ज्यादा
तेज है और इसमें दस लाख गुना ज्यादा मेमोरी है। हमारे बेड़े में यही सब चीजों
पर नियंत्रण रखता है।"
"पूरे बेड़े पर?" शिवा ने अविश्वास से पूछा।
"हाँ! और तुम्हारे सभी लोगों से भी यही निबट रहा था। यह वास्तव में एक
चमत्कार है; पर हमारे ग्रह पर इससे भी बड़ी-बड़ी प्रणालियाँ हैं।" कंप्यूटर
को थपथपाते हुए जोरो गर्वीले स्वर में बोल रहा था। उसने बोलना जारी रखा- यह
'खिलौना' हमारे ग्रह पर मास्टर कंप्यूटर से जुड़ा है।"
|