लोगों की राय

कहानी संग्रह >> रोमांचक विज्ञान कथाएँ

रोमांचक विज्ञान कथाएँ

जयंत विष्णु नारलीकर

प्रकाशक : विद्या विहार प्रकाशित वर्ष : 2006
पृष्ठ :166
मुखपृष्ठ : सजिल्द
पुस्तक क्रमांक : 3321
आईएसबीएन :81-88140-65-1

Like this Hindi book 14 पाठकों को प्रिय

48 पाठक हैं

सुप्रसिद्ध वैज्ञानिक एवं विज्ञान लेखक श्री जयंत विष्णु नारलीकर द्वारा लिखित ये विज्ञान कथाएँ रहस्य, रोमांच एवं अदभुत कल्पनाशीलता से भरी हुई है...


"अपने आम तरीकों को नाकामयाबी के साथ आजमाने के बाद लिटिल मास्टर के दिमाग में शानदार विचार आया। उन्हें महसूस हुआ कि गूढ़ संकेत भेजनेवालों के इतिहास, संस्कृति और पर्यावरण के बारे कुछ जानने से बात बन सकती है। पर चूँकि उन एलियन के बारे में तो ये सब जानकारियाँ नहीं थीं, इसलिए उनका तरीका विफल हो ही जाता। तभी उन्हें खयाल आया कि क्यों न इन एलियन को अपनी भाषा सिखाई जाए!

'इसलिए उन्होंने पूरा विश्वकोश, एक बड़ा शब्दकोश और तसवीरवाली एक बड़ी सी किताब, जिसमें तसवीरों के नाम और अन्य जानकारियाँ दी गई थीं, हमारे ट्रांसमीटर के जरिए उन एलियन को मेल कर दी। अपने बेहतरीन दिमाग और बेहतर तकनीकी के बल पर वे बेशक इस जानकारी से कुछ काम की चीजें  निकाल सकते थे, इसलिए लिटिल मास्टर सब्र के साथ उनके उत्तर का इंतजार करने लगे।

"परंतु उन्हें लंबा इंतजार नहीं करना पड़ा। करीब आधे घंटे के भीतर ही पहले अंग्रेजी लिखित और फिर मौखिक संदेश आने लगे। लेकिन शुरुआती अभिवादनों और शुभेच्छाओं के बाद उन्होंने जो इरादे जाहिर किए उन्हें नेक तो नहीं कहा जा सकता है।

"हमारे कमांडर एलन ब्रॉडबेंट यानी ए बी ने उनके अभिवादनों का जवाब दिया और उनसे उनके ठिकाने, स्थिति एवं धरती के पास आने का कारण पूछा तो उन्हें ये सूचनाएँ मिलीं-वे मैंडा नामक ग्रह से आए हैं, जो मिराड नामक तारे का चक्कर लगाता है। इस तारे को हम 'बर्नार्ड तारे' के नाम से जानते हैं। यह हमसे छह प्रकाश वर्ष की दूरी पर है। हमारे एच.एस.टी. || ने ही करीब बीस साल पहले उस ग्रह को खोजा था। इस ग्रह तक अंतरिक्ष यान भेजने की योजना भी बनाई थी। लेकिन खर्चीला होने के कारण उसे ताक पर रख दिया गया। इस ग्रह तक की यात्रा बहुत लंबी है और उस वक्त की तकनीकी सीमा से कहीं बाहर थी।

'लेकिन पिछली दो सदियों से हमने जो उन्नति की, उस पर मैंडावासियों ने अपने ग्रह से पूरी निगरानी रखी। अपने प्रेक्षणों के आधार पर उन्होंने तय किया कि यहाँ आने का एकदम सही समय है। धरती के पच्चीस साल के बराबर समय में उन्होंने यहाँ तक की यात्रा पूरी की है।

"यह समय मैंडा पर औसत जीवन काल का करीब आठवाँ भाग है। वे मिराड से प्राप्त की गई ऊर्जा पर जिंदा रहते हैं। यही ऊर्जा उस बेड़े को चला रही है, जो वे यहाँ लेकर आए हैं। रास्ते में उन्होंने कुछ ऊर्जा बृहस्पति से भी ली। इन सबको देखकर लगता है कि ज्ञान और ऊर्जा-स्रोतों के लिहाज से वे हमसे कहीं आगे हैं। उनके मुकाबले हम अभी उन्नीसवीं सदी के शुरुआती दौर में ही हैं। "उनका इस धरती पर स्वागत कर हमें खुशी ही होती; पर बदकिस्मती से वे यहाँ पर कब्जा जमाने के इरादे से आए हैं। वे हमारी धरती को अपने जैविक परीक्षणों के लिए इस्तेमाल करना चाहते हैं। इस मकसद से वे चाहते हैं कि हम अफ्रीका महाद्वीप को पूरी तरह खाली कर दें। अगर हमने ऐसा किया और उस इलाके से दूर रहे तो वे भी वादा करते हैं कि वे हमसे छेड़छाड़ नहीं करेंगे।

"उन्होंने हमें विचार-विमर्श करके जवाब देने के लिए सात दिनों का समय दिया है। अगर हम मान गए तो ठीक, वरना"

इन शब्दों में छिपी धमकी किसी भी साफ शब्द से ज्यादा साफ थी। कुछ देर तक सारे प्रतिनिधि खामोश बैठे रहे, जैसे इन शब्दों में छिपे मतलब को हजम करने की कोशिश कर रहे हों। अंत में मध्य अफ्रीका के प्रतिनिधि संडे वांपा ने बोलना शुरू किया, "तो हमें एक बार फिर से दो सदी पहलेवाले औपनिवेशिक दिनों में फेंका जा रहा है। इस बार हमें गुलाम बनानेवाली ताकतें दूसरे ग्रह से आई हैं। हमारी भारी-भरकम अंतरिक्ष सेना इस पिद्दी से बेड़े को नष्ट क्यों नहीं कर पा रही है?"

"हमें अपने कमांडर से पूछना चाहिए।" चेयरमैन ने कुछ बटन दबाए और सभी प्रतिनिधियों के सामने मौजूद परदों पर ए बी प्रकट हुआ। चेयरमैन ने उसे वांपा के विचारों से अवगत कराया और उससे उसकी प्रतिक्रिया माँगी ए बी खोखली सी हँसी हँसा और बोला, "मि. वांपा, मैं आपके गुस्से से सहमत हूँ। लेकिन आपका सुझाव मुझे मंजूर नहीं। इन बाहरी दुनिया के लोगों की कद-काठी बहुत कमजोर है, लेकिन उनके सिर बहुत बड़े-बड़े हैं। इसका कारण यह हो सकता है कि उनका दिमाग हमसे ज्यादा बड़ा और दक्ष है। वे शारीरिक श्रम करने के आदी नहीं हैं। उन्होंने हमारे मिसाइल छोड़नेवाले सभी रॉकेटों को बेकार कर दिया है। हम अभी यह पता लगा रहे हैं कि उन्होंने बिना किसी प्रयास के ऐसा कैसे किया? पक्के तौर पर उनकी सूचना-प्रौद्योगिकी हमसे कहीं आगे है; इसलिए इस बात का तो सवाल ही नहीं उठता कि हम उनका बाल भी बाँका कर सकें।"

"और अगर हम उनकी शर्ते मान लें तो?" स्टारोबिंस्की ने पूछा। "उन्होंने अभी जाहिर नहीं किया है कि वे क्या करेंगे। लेकिन उनकी ताकत देखकर लगता है कि हमारे पास कोई और चारा नहीं है।"

"तो क्या हम कायरों की तरह उनकी शर्ते मान लें?" चीन के ली झाओ ने पूछा। आमतौर पर झाओ शांत रहता था, लेकिन इस वक्त वह गुस्से में उबल रहा था।

चेयरमैन ने बीच में ही टोका, "अभी हमारे पास सात दिनों का समय है। कल हमारे जिनेवा कार्यालय में मैंडा के तीन प्रतिनिधि हमसे मिलेंगे। यह फैसला करने के लिए कि क्या किया जा सकता है। अभी भी मोल-भाव करने की काफी गुंजाइश है।"

"वे अपनी शर्ते हम पर थोपने जा रहे हैं और वे शर्ते हमें माननी ही पड़ेंगी!" झाओ ने तीखे अंदाज में कहा।

"हो सकता है कि हम इन सात दिनों में अपनी इस समस्या का कोई समाधान ढूँढ़ लें।" चेयरमैन ने संयत होने की नाकामयाब कोशिश की। उन्होंने ए बी से पूछा,. "ए बी, क्या तुम्हारे पास कोई सुझाव है?"

श्रीमान, मनुष्य इस ब्रह्मांड का सबसे बड़ा बुद्धिमान प्राणी नहीं रह गया है। लेकिन मनुष्य की समझदारी पर मुझे अब भी भरोसा है। हमें कोशिश जारी रखनी चाहिए।" ए बी ने उत्तर दिया। हालाँकि उसके पास किसी तरह का कोई तरीका नहीं था कि इसे कैसे हल किया जाए!

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book